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शेखावत वंश परिचय एवम् शेखावत वंश की शाखाएँ

शेखावत वंश परिचय एवम् शेखावत वंश की शाखाएँ शेखावत शेखावत सूर्यवंशी कछवाह क्षत्रिय वंश की एक शाखा है देशी राज्यों के भारतीय संघ में विलय से पूर्व मनोहरपुर,शाहपुरा, खंडेला,सीकर, खेतडी,बिसाऊ,सुरजगढ़,नवलगढ़, मंडावा, मुकन्दगढ़, दांता,खुड,खाचरियाबास, दूंद्लोद, अलसीसर,मलसिसर,रानोली आदि प्रभाव शाली ठिकाने शेखावतों के अधिकार में थे जो शेखावाटी नाम से प्रशिद्ध है । शेखावत वंश परिचय वर्तमान में शेखावाटी की भौगोलिक सीमाएं सीकर और झुंझुनू दो जिलों तक ही सीमित है | भगवान राम के पुत्र कुश के वंशज कछवाह कहलाये महाराजा कुश के वंशजों की एक शाखा अयोध्या से चल कर साकेत आयी, साकेत से रोहतास गढ़ और रोहताश से मध्य प्रदेश के उतरी भाग में निषद देश की राजधानी पदमावती आये |रोहतास गढ़ का एक राजकुमार तोरनमार मध्य प्रदेश आकर वाहन के राजा गौपाल का सेनापति बना और उसने नागवंशी राजा देवनाग को पराजित कर राज्य पर अधिकार कर लिया और सिहोनियाँ को अपनी राजधानी बनाया |कछवाहों के इसी वंश में सुरजपाल नाम का एक राजा हुवा जिसने ग्वालपाल नामक एक महात्मा के आदेश पर उन्ही नाम पर गोपाचल पर्वत पर ग्वालियर दुर्ग की नीवं डाली | महात

खंगारोतो का पाटवी (मुख्य)संस्थान

खंगारोतों का पाटवी (मुख्य) संस्थान तत्पश्चात नरायणा  आमेर - जयपुर  के  कछवाहों  की एक प्रमुख शाखा खंगरोतों का पाटवी (मुख्य) संस्थान हो गया. इस शाखा के पूर्व पुरुष  जगमाल कछवाहा  थे. उनके पुत्र  राव खंगार  थे जो इस खंगारोत वंश के प्रवर्तक माने जाते हैं. जगमाल कछवाहा तथा राव खंगार अकबर के परम विश्वस्त और प्रमुख मनसबदार थे. [16] बादशाह अकबर की और से अनेक युद्ध-अभियानों में भाग लिया.  1537  ई. में जब अकबर ने  गुजरात  पर चढ़ाई की तब राव जगमाल  को कैम्प कमांडर गया था. जगमाल कछवाहा के बाद  राव खंगार  नरायणा के शासक हुए. अकबर ने जब गुजरात का अभियान किया तब ये शाही सेना के साथ पाटण  गए थे. दूसरे गुजरात अभियान के समय राव खंगार को राजा भारमल के साथ आगरा की सुरक्षा के लिए तैनात किया गया था. महाराणा प्रताप के विरूद्ध ह ल्दीघाटी की लड़ाई  में राव खंगार कुंवर मानसिंह के साथ शाही सेना में सम्मिलित प्रमुख सेना नायकों में थे.  अकबरनामा ,  तबकाते अकबरी , तथा  मुन्तख़ब ऊत तावारीख  अनेक ग्रंथों में वर्णन मिलता है.  तबकाते अकबरी  के अनुसार उनका मनसब 2000 का था. राव खंगार विक्रम संवत  1640  (1583ई) को  पुर

कछवाह राजवंश की किलदेवी श्री जमवाय माता का

कछवाह राजवंश की कुलदेवी श्री जमवाय माता का   ( संक्षिप्त इतिहास )  कछवाह वंश अयोध्या राज्य के सूर्यवंशी राजाओ की एक शाखा है , भगवान श्री रामचन्द्र जी के ज्येष्ठ पुत्र कुश से इस वंश , ( शाखा ) का विस्तार हुआ है । कालान्तर में इनकी एक शाखा अयोध्या राज्य से चलकर रोहताशगढ ( बिहार ) व फिर नरवर आई , नरवर (ग्वालियर ) के पास का प्रदेश कच्छप प्रदेश कहलाता था , क्यो कि यहा पर कच्छप नामक नागवंशीय क्षत्रियो की शाखा का राज्य था । ( महाभारत आदि पर्व श्लोक ७१ ) नागो का राज्य ग्वालियर के आसपास था , इनकी राजधानी पद्मावती थी , जो अब नरवर कहलाती है । अत: स्पष्ट है कि कछवाहो के पूर्वजो ने आकर कच्छपो से युद्द कर उन्हे हराया और इस क्षेत्र को अपने कब्जे में किया । इसी कारण ये कच्छप , कच्छपघात या कच्छपहा कहलाने लगे और यही शब्द बिगडकर आगे चलकर कछवाह कहलाने लगा । कछवाह राजवंश के ग्वालियर नरवर राज्य के अंतिम राजा सोढदेव जी के पुत्र दुलहराय जी का विवाह राजिस्थान में दौसा राज्य के मौरा के चौहान शासक की पुत्री से हुआ था, दुलहराय जी ने चौहानो की सहायता से दौसा पर अधिकार कर लिया , दौसा क्षेत्र एंव उसके आसपास मी