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जौधा राठौड़

 

जोधा राठोड़ :- राव रिड़मल के पुत्र जोधा के वंशज जोधा राठौड़ कहलाये ।  जोधा राठौड़ो की निम्न खांप है ।   

01. बरसिन्होत जोधा:- जोधा की सोनगरी राणी के पुत्र बरसिंह के वंशज बरसिन्होत जोधा कहलाये |बरसिंह अपने भाई दुदा के साथ मेड़ते रहे | परन्तु मुसलमानों ने उन्हें मेड़ते से निकाल दिया | मालवा के झबुवा में बरसिन्होत जोधा राठौड़ो का राज्य था |

02. रामावत जोधा :- जोधपुर के शासक जोधा के बाद क्रमश बरसिंह व आसकरण हुए |  आसकरण के पोत्र रामसिंह ने बांसवाड़ा की गद्दी के लिए चौहानों औरराठौड़ो के बीच युद्ध विक्रमी 1688 में वीरता तथा वीरगति को प्राप्त हुए | रामसिंह के तेरह पुत्र थे | जो रामावत राठोड़ कहलाये | रामसिंह के तीसरे पुत्र जसवंतसिंह के जयेष्ट पुत्र अमरसिंह को साठ गाँवो सहित खेड़ा की जागीरी मिली तो रतलाम राज्य में था |यह अंग्रेजी सरकार द्वार कुशलगढ़ बांसवाडा के नीचे कर दिया गया | विक्रमी संवत 1926 में कुशलगढ़ बांसवाडा के नीचे कर दिया |

03. भारमलोत जोधा:- जोधा की हूलणी राणी के पुत्र भारमल के वंशज भारमलोत जोधा कहलाये | इनके वंशज झाबुआ राज्य में निवास करते है |

04. शिवराजोत जोधा:- जोधा की बघेली राणी के पुत्र शिवराज के वंशज शिवराजोत जोधा कहलाये |

05. रायपालोत जोधा:- जोधा को भटियानी राणी के पुत्र रायपाल के वंशज रायपालोत जोधा कहलाये |

06. करमसोत जोधा :- जोधा की भटियानी राणी के पुत्र करम्सी के वंशज करमसोत जोधा कहलाये |खींवसर ( 26 गाँव ) बड़ा ठिकाना था | इसके अतिरिक्त भोजावास , धरणी , पांचोड़ी , बागणवाडो,सांढीको, आचीणे, हमीरानो , देयु , गोवणा , टालो माडपुरी, चटालियो , सोयला , नागड़ी , खारी, भदवासी, गिरावड़ी, हरिमो , जीवास , सीगड़, कादरपूरा ,थलाजू , बह, आसरनडो, उस्तरा , सावंत कुआ ,अमरलायी , रंगालो, सिरानो , छगाडो, सोमडावास ,गीगालो , राजुवास , जाखणीओ , बाल्वो, डावरो ,बाहारो वडो, आदी ऐक ऐक गाँव के ठिकाने थे |बीकानेर राज्य में रायसर , बकसेउ , भणाय का राजा। आदी ठिकाने थे |

07. बणवीरोत जोधा:- जोधा की भटियानी राणी के पुत्र बणवीर के वंशज बणवीरोत जोधा कहलाये |

08. खंगारोत जोधा:- राव जोधा के पुत्र जोगा के पुत्र खंगार हुए | इसी खंगार के वंशज खंगारोत जोधा कहलाये | खारीयो, पुनास, जालसू, बड़ी,डाहोली,खारी और छापली इनके गाँव ऐक ऐक गाँव के ठिकाने है |

09. नरावत जोधा:- सूजा के बेटे नरा के वंशज |भडानो, बासुरी, बुहु, कसुबी, बाधणसर आदी इनके ठिकाने थे |

10. सांगावत जोधा:- सूजा के पुत्र सांगा के वंशज

11. प्रतापदासोत:- सूजा के पुत्र प्रतापदास के वंशज

12. देविदासोत:- सूजा के पुत्र देवीदास के वंशज |

13. सिखावत:- सूजा के पुत्र सिखा के वंशज |

14. नापावत:- सूजा के पुत्र नापा के वंशज |

15. बाघावत जोधा:- रिड़मल जी मंडोर के पुत्र राव जोधा राठोड़ कहलाये | जोधाजी की म्रत्यु के बाद बड़े पुत्र सातल की म्रत्यु विक्रमी संवत 1549 इसवी संवत1492 में होने पर जोधाजी के दुसरे पुत्र सूजा गादी पर बेठे | सुजाजी के पुत्र बाघाजी विक्रमी संवत 1549 में सोजत की चढ़ाई में काम आये | इसी बाघा के वंशज बाघावत राठोड़ कहलाये | मारवाड़ में बाघावत जोधाओं का मुख्या ठिकाना पहाड़पूरा था | इसके अलावा आरण और सिकारपूरा ऐक ऐक गाँव ठिकाने थे|

16. प्रतापसिहोत जोधा:- सूजा के पुत्र प्रताप सिंह के वंशज |

17. गंगावत जोधा: - जोधपुर के राव सूजा के पश्चात् बाघा के पुत्र और सूजा के पोत्र गंगा गादी बेठे | इसी गंगा के वंशज गंगावत जोधा कहलाये | मारवाड़ में गंगावत जोधाओं के कालीजाड़, हेजावास, साली आदी ऐक ऐक गाँव के ठिकाने है |

18. किश्नावत जोधा:- गंगा के पुत्र किशनसिंह के वंशज किश्नावत जोधा कहलाते है |

19.रामोत जोधा:- गंगा के पुत्र राव मालदेव जोधपुर के शासक थे | इनके पुत्र राम के वंशज रामोत जोधा कहलाये | मारवाड़ में पावा इनका मुख्या ठिकाना है |मालवा में अमझेरा इनका राज्य था | इनका वर्णन अमझेरा राज्य के अनागर्त कर दिया गया |

20. केशोदास जोधा:- राम के पुत्र केशोदास के वंशज केशोदाश जोधा भी कहलाते है |

21. चन्द्रसेणोत जोधा : - राव मालदेव जोधपुर के पुत्र चन्द्रसेन का जन्म 1598 विक्रमी में हुआ था | मालदेव के पश्चात विक्रमी संवत 1619 में गढ़धि पर बेठे | राना प्रताप की तरह उन्होंने भी अकबर की अधीनता स्वीकार नहीं की | इस कारन जोधपुर का राज्य अकबर ने इनके भाई उदयसिंह को दे दिया | इन्ही चन्द्र सेन के वंशज चन्द्रसेणोत जोधा कहलाये | भिनाय, बाँधनवाडा,देवलिया , बडली, केरोठ , देवगढ़ बगेरा इनके बड़े ठिकाने तथा पालड़ी , नीब्ड़ी, कोठारिया , छापड़ा ,डीकावो, पावटा , इनके ऐक ऐक गाँव के ठिकाने थे |

22. रतनसिहोत जोधा:- जोधपुर के राव गंगा के पुत्र रतनसिंह के वंशज रतनसिहोत जोधा कहलाये | भादरा, जुण (11 गाँवो का ठिकाना) बीजल ( तीन गाँव ) इनके मुख्या ठिकाने थे

23. महेश दासोत जोधा :- राव मालदेव के पुत्र महेश दास के वंशज महेश दासोत जोधा कहलाये | पाटोडी ,(तीन गाँव ) केसवाणा ( दो गाँव ) नेवरी ( २ गाँव ) आदी इनके मुख्या ठिकाने थे | तथा सिरथलो , फलसुंड ,नागाणी , नेह्वायी , साईं , सीख आदी ऐक ऐक गाँव के ठिकाने थे |

24.भोजराजोत जोधा:- राव मालदेव के पुत्र भोजराज के वंशज भोजराजोत जोधा कहलाये | भगासणी इनका गाँव का ठिकाना था |

25. अभेराजोत जोधा:- राव मालदेव के पुत्र रायमल के पुत्र कनोराव के पुत्र अभेराज के वंशज अभेराजोत जोधा कहलाये | इनके मुख्या ठिकाने नीबी (11 गाँव) था | हुडावास, बोसणी और डावरीयोणी दो दो गाँवो के ठिकाने तथा खारठिओ, दताउ, चक, देवडाटी, ऐक ऐक गाँव के ठिकाने थे |

26. केसरीसिहोत जोधा :- राव मालदेव के पुत्र रायमल के पुत्र केशरीसिंह के वंशज केसरीसिहोत जोधा कहलाये | लाडणु ( ६ गाँव ) सीगरावट( तीन गाँव ) लेहड़ी ( पांच गाँव ) गोराउ ( तीन गाँव ) मामडोदा( दो गाँव ) तूबरो ( दो गाँव ) सेतो ( दो गाँव ) सीगरावट( दो गाँव ) खारडीया ( दो गाँव ) कुस्बी जाखड़ा . अंगरोटियों आदी मुख्य ठिकाने और ऐक ऐक गाँव के करीब 40ठिकाने थे | केसरी सिंह के वंशज अर्जुनसिहोत जोधा है | सीवा, रसीदपूरा , रामदणा , कुसुम्भी , मिढ़ासरी,सावराद, लोढ़सर , खारडीया , मंगलपूरा , मांजरा,तान्याउ , ललासरी, सिकराली , कंग्सिया , कुमास्यो,रताऊ , भंडारी , मोलासर आदी इनके गगाँव है,

27. बिहारीदासोत जोधा:- मालदेव जोधपुर के पोत्र कल्याणदास के पुत्र इश्वर दास के पुत्र बिहारी दास के वंशज बिहारीदासोत जोधा कहलाते है | मारवाड़ में रोहिसी तथा मुडीयासरी ऐक ऐक गाँव के ठिकाने है |

28. करभ सेणोत जोधा:- मालदेव के पोत्र उग्रसेन चंद्रसेनोत के पुत्र कमरसेनोत के वंशज करमसेनोत जोधा हुए | भिणाय इनका ठिकाना था |

29. भानोत जोधा:- मालदेव के पुत्र भानजी के वंशज |

30. डुंगरोत जोधा:- मालदेव के पुत्र डूंगरसी के वंशज|

31.गोयंददासोत जोधा:- बादशाह अकबर ने चंद्रसेन द्वारा अधीनता स्वीकार न करने पर उनके छोटे भाई उदयसिंह को जोधपुर का राज्य दे दिया | इन्ही उदयसिंह के पुत्र भगवान दास के पुत्र गोयंददास हुए इन्ही के वंशज गोयंद दास जोधा हुए | इनके मुख्य ठिकाने खेरवे ( 10 गाँव ) बाबरो ( 6 गाँव ) बलाडो( दो गाँव ) थे | इनके आलावा खारडी, बुटीयास, अलचपुरो, आंतरोली बड़ी रायिको ( दो गाँव ) आदी ऐक ऐक गाँव के ठिकाने थे |

32.जयतसिहोत जोधा:- मालदेव के पुत्र उदयसिंह के पुत्र जयत सिंह के वंशज |

33. माधोदास जोधा:- उदयसिंह के पुत्र माधोदास के वंशज है | पिसाग़ण, महरू, जून्या, पारा ,गोविन्दगढ़ आदी इनके ठिकाने थे |

34. सकतसिहोत जोधा:- मोटे राजा उदयसिंह के पुत्र सकत सिंह के वंशज सकतसिहोत जोधा कहलाये |इनका मुख्या ठिकाना खरवा व् किशनगढ़ राज्य में रघुनाथ पूरा ऐक ठिकाना था | राव गोपालसिंह खरवा भारतीय स्वाधीनता संग्राम में ख्याति प्राप्त स्वतन्त्रता सेनानी थे |

कृष्णागढ़ ईन के भाईयोँ के घराने इस प्रकार हैँ -

वीरसिँहोत-वीरसिँह, राजसिँहोत का, रलावते का राजा।

बाधसिँहोत-बाघसिँह बहादूरसिँहोत का, फतेहगढ महाराज।

प्रथविसिँहोत- ढसँक और केकङी के महाराज।

35. किशनसिहोत जोधा:- उदयसिंह के पुत्र किशनसिंह के नवीन राज्य किशनगढ़ की स्थापना की | इनके वंशज किशन सिहोत जोधा कहलाये | रलावता, फतह गढ़, ढसूक, करकेडी इन्ही के ठिकाने है |

36. नरहर दासोत:- उदयसिंह के पुत्र नहरदास के वंशज| नदणी, नरवर, भदूण इनके ठिकाने थे |

37.गोपालदासोत जोधा:- मोटे राजा उदय सिंह जोधपुर के पुत्र भगवान दास के पुत्र गोपाल दास के वंशधर गोपालदासोत जोधा कहलाते है | तोलासर,मालावासणी, खातोलायी, इनके ऐक ऐक गाँव के ठिकाने थे |

38. जगन्नाथ जोधा:- उदय सिंह (जोधपुर)

38. जगन्नाथ जोधा:- (जगन्नाथोत जोधा):- रावजगन्नाथ जी - राव नरहरदास जी - राव उदयसिँह जी - राव मालदेव जी - राव गंगा जी - राव बाघा जी - राव सूजा जी- राव जोधा जी- राव रणमल जी (राव रिङमाल जी)  

39. यशवन्तसिहोत जोधा - यशवन्तसिँह का।

40. श्यामसिँहत जोधा -  श्यामसिँह जी का।

41. भोपपोत जोधा - भोपत जी का, नारायण, भदूण क्रष्णगढ राज्य मेँ।

42. मोहनदासोत जोधा - मोहनदास जी का।

43. दलपतोत जोधा - दलपत जी का मोटा राजा’ उदयसिंह (जोधपुर) के चौथे पुत्र दलपत जी ।

44. मनरूय जोधा - मान - यशवन्तोत का ।

अमरसिँहोत जोधा:- राव अमर सिँह जी – महाराजा गज सिंह – आनन्दसिँह – राजा अजीतसिँह

आनन्दसिहोत जोधा:- आनन्दसिँह – राजा अजीतसिँहका राज्य ईडर, अहमनगर।

45. रतनसिहोत जोधा :- मोटे राजा उदयसिंह के बाद क्रमश दलपतसिंह , महेश दास ,रतनसिंह हुए ।रतनसिंह ने मालवा में रतलाम राज्य की स्थापना की ।रतनसिंह अपने समय में ख्याति प्राप्त योधा थे ।धरमत( 1658ई ) के युद्ध मे सेना का सञ्चालन किया और युद्ध में वीरता प्रदर्शित करते हुए सच्चे क्षत्रिय की भांती वीरगति प्राप्त हुए ।इन्ही रतनसिंह के वंशज रतन सिहोत जोधा हुए ।इनके पांचवे वंशज केशवदास ने सीतामउ के राजा मानसिंह के छोटे भाई जयसिंह ने सेलाना राज्य की स्थापना की । मालवा काछी बडोजा, मुल्तान , अमलेटा , जड़वास , सेमालिया, बडवास , पतलासी आदी ठिकाने थे ।

46. कल्यान्दासोत जोधा:- रतनसिंह के कल्याण दासजी के वंशज कल्याणदासोत जोधा कहलाये है ।जालणीयासर, आकोडो, जानेवो, इनके एक गाँव के ठिकाने थे । मालवा में मोरिया खेड़ी (सीतामउ राज्य) टोलखेड़ी (जावरा राज्य) तथा कोटा राज्य में बाराबड़ोदा इनके ठिकाने है ।

46. फतहसिहोत जोधा:- रतनसिंह के रतलाम के छोटे भाई फतह सिंह ने धरमत के युद्ध में वीरगति पायी ।इनके वंशज फतहसिहोत जोधा कहलाये ।धार के पास इनके दो गाँव पाना व कोद विड़वाल थे और ग्वालियर राज्य में पचलाना और रुनिजा इनके ठिकाने थे ।तथा बोरखेड़ा, सरसी , केरवासा , सादाखेड़ी , इनके ठिकाने थे ।इनके आलावा मध्य परदेश में मुगेला , पाणदा, लाखरी , आक्या , सांगथली , सुरखेड़ा , मसवाणीया , सारंगी , दोतरिया , सरवन आदी ठिकाने थे ।

47. जैतसिंहोत जोधा:- मोटे राजा उदयसिंह के पुत्र जैतसिंह के वंशज जैतसिहोत जोधा कहलाये ।इनके जैतगढ़, मेवाड़ीया, (अजमेर प्रान्त) खैरवा, नोखा (मेड़ता) कणमोर , मोरन आदी ठिकाने थे ।

48. रत्नोत जोधा:- मोटे राजा उदयसिंह के पोत्र हरिसिंह जैतसिंहोत के एक पुत्र रतनसिंह के वंशज रतनोत जोधा कहलाये ।मारवाड़ में इनके मुख्या ठिकाने में दुगोली खास (6 गाँव) लोहोतो (तीन गाँव) पठाणारो बास( दो गाँव ) थे ।करीब 15 एक-एक गाँव के ठिकाने थे ।

जोधा राठौड़ो का पीढी क्रम इस प्रकार है –      

राव जोधा जी - राव रणमल जी (राव रिङमाल जी)

1. बरसिन्होत जोधा – बरसिँह - राव जोधा जी - राव रणमल जी (राव रिङमाल जी)

2. रामावत जोधा:- राव रामसिंह जी - राव आसकरणजी

3. भारमलोत जोधा:- राव भारमल जी - राव जोधा जी- राव रणमल जी (राव रिङमाल जी)

4. शिवराजोत जोधा:- राव शिवराज जी - राव जोधाजी- राव रणमल जी (राव रिङमाल जी)

5. रायपालोत जोधा:- राव रायपाल जी - राव जोधा जी - राव रणमल जी (राव रिङमाल जी)

6. करमसोत जोधा:- राव करम्सी जी - राव जोधा जी- राव रणमल जी (राव रिङमाल जी)

7. बणवीरोत जोधा:- राव बणीर जी - राव जोधा जी- राव रणमल जी (राव रिङमाल जी)

8. खंगारोत जोधा:- राव खंगार जी - राव जोगा जी -राव जोधा जी- राव रणमल जी (राव रिङमाल जी)

9. नरावत जोधा:- राव नरा जी - राव सूजा जी - राव जोधा जी- राव रणमल जी (राव रिङमाल जी)

10. सांगावत जोधा:- सांगा - राव सूजा जी - राव जोधा जी- राव रणमल जी (राव रिङमाल जी)

11. प्रतापदासोत:- प्रतापदास - राव सूजा जी - राव जोधा जी- राव रणमल जी (राव रिङमाल जी)

12. देविदासोत:- देवीदास - राव सूजा जी - राव जोधा जी- राव रणमल जी (राव रिङमाल जी)

13. सिखावत:- सिखा - राव सूजा जी - राव जोधा जी- राव रणमल जी (राव रिङमाल जी)

14. नापावत:- नापा - राव सूजा जी - राव जोधा जी- राव रणमल जी (राव रिङमाल जी)

15. बाघावत जोधा:- राव बाघाजी जी - राव सूजा जी - राव जोधा जी- राव रणमल जी (राव रिङमाल जी) 

16. प्रतापसिहोत जोधा:- राव प्रताप सिंह जी - रावसूजा जी- राव जोधा जी- राव रणमल जी (राव रिङमाल जी)    

17. गंगावत जोधा: - राव गंगा जी - राव बाघा जी - राव सूजा जी- राव जोधा जी- राव रणमल जी (राव रिङमाल जी)    

18. किश्नावत जोधा:- राव किशनसिँह जी - राव गंगा जी - राव बाघा जी - राव सूजा जी- राव जोधा जी- राव रणमल जी (राव रिङमाल जी)     

19.रामोत जोधा :- राव राम जी - राव मालदेव जी -राव गंगा जी - राव बाघा जी - राव सूजा जी- राव जोधा जी- राव रणमल जी (राव रिङमाल जी)    

20. केशोदास जोधा:- राव केशोदास जी - राव राम जी - राव मालदेव जी - राव गंगा जी - राव बाघा जी - राव सूजा जी- राव जोधा जी- राव रणमल जी (राव रिङमाल जी)   

21. चन्द्रसेणोत जोधा: - राव चन्द्रसेन जी - राव मालदेव जी - राव गंगा जी - राव बाघा जी - राव सूजा जी- राव जोधा जी- राव रणमल जी (राव रिङमाल जी)    

22. रतनसिहोत जोधा:- राव रतनसिँह जी - राव गंगा जी - राव बाघा जी - राव सूजा जी- राव जोधा जी- राव रणमल जी (राव रिङमाल जी)    

23. महेश दासोत जोधा:- राव महेश दास जी - राव मालदेव जी - राव गंगा जी - राव बाघा जी - राव सूजा जी- राव जोधा जी- राव रणमल जी (राव रिङमाल जी)    

24.भोजराजोत जोधा:- राव भोजराज जी - राव मालदेव जी - राव गंगा जी - राव बाघा जी - राव सूजा जी- राव जोधा जी- राव रणमल जी (राव रिङमाल जी)    

25. अभेराजोत जोधा:- राव अभेराज जी – राव कनोराव जी -  राव रायमल जी - राव मालदेव जी - राव गंगा जी - राव बाघा जी - राव सूजा जी- राव जोधा जी- राव रणमल जी (राव रिङमाल जी)    

26. केसरीसिहोत जोधा:- राव केशरीसिंह जी - राव मालदेव जी - राव गंगा जी - राव बाघा जी - राव सूजा जी- राव जोधा जी- राव रणमल जी (राव रिङमाल जी)      

राव अर्जुन जी - राव केसरी सिंह जी के वंशज अर्जुनसिहोत जोधा है |  

27. बिहारीदासोत जोधा:- राव बिहारी दास जी - राव ईश्वर दास जी - राव कल्याण दास जी - राव? - राव मालदेव जी - राव गंगा जी - राव बाघा जी - राव सूजा जी- राव जोधा जी- राव रणमल जी (राव रिङमाल जी)     

28. करभ सेणोत जोधा:- राव करमसेनोत जी - राव उगरसेन जी - राव चंद्रसेनोत जी –- राव मालदेव जी - राव गंगा जी - राव बाघा जी - राव सूजा जी- राव जोधा जी- राव रणमल जी (राव रिङमाल जी)      

29. भानोत जोधा:- राव भानजी जी - राव मालदेव जी - राव गंगा जी - राव बाघा जी - राव सूजा जी- राव जोधा जी- राव रणमल जी (राव रिङमाल जी)         

30. डुंगरोत जोधा:- राव (डूँगरसिँह) डूँगरसी जी - राव मालदेव जी - राव गंगा जी - राव बाघा जी - राव सूजा जी- राव जोधा जी- राव रणमल जी (राव रिङमाल जी)         

31.गोयंददासोत जोधा:- राव गोयंददास जी - राव भगवान दास जी - राव उदयसिँह जी - राव मालदेव जी - राव गंगा जी - राव बाघा जी - राव सूजा जी- राव जोधा जी- राव रणमल जी (राव रिङमाल जी)        

32.जयतसिहोत जोधा:- राव जयत सिंह जी -  राव उदयसिँह जी - राव मालदेव जी - राव गंगा जी - राव बाघा जी - राव सूजा जी- राव जोधा जी- राव रणमल जी (राव रिङमाल जी)       

33. माधोदास जोधा:- राव माधोदास जी -  राव उदयसिँह जी - राव मालदेव जी - राव गंगा जी - राव बाघा जी - राव सूजा जी- राव जोधा जी- राव रणमल जी (राव रिङमाल जी)       

34. सकतसिहोत जोधा:- राव सकतसिँह जी -  राव उदयसिँह जी - राव मालदेव जी - राव गंगा जी - राव बाघा जी - राव सूजा जी- राव जोधा जी- राव रणमल जी (राव रिङमाल जी)   

·         सकतसिँहोत जोधा कृष्णागढ़ ,ईन के भाईयोँ के घराने इस प्रकार हैँ -

·         वीरसिँहोत-वीरसिँह, राजसिँहोत का, रलावते का राजा।

·         बाधसिँहोत-बाघसिँह बहादूरसिँहोत का, फतेहगढ महाराज।

·         प्रथविसिँहोत- ढसँक और केकङी के महाराज।

35. किशनसिहोत जोधा:- राव किशनसिँह जी -  राव उदयसिँह जी - राव मालदेव जी - राव गंगा जी - राव बाघा जी - राव सूजा जी- राव जोधा जी- राव रणमल जी (राव रिङमाल जी)       

36. नरहर दासोत:- राव नरहरदास जी -  राव उदयसिँह जी - राव मालदेव जी - राव गंगा जी - राव बाघा जी - राव सूजा जी- राव जोधा जी- राव रणमल जी (राव रिङमाल जी)       

37.गोपालदासोत जोधा:- राव गोपाल दास जी - राव भगवान दास जी - राव उदयसिँह जी - राव मालदेव जी - राव गंगा जी - राव बाघा जी - राव सूजा जी- राव जोधा जी- राव रणमल जी (राव रिङमाल जी)       

38. जगन्नाथ जोधा:- (जगन्नाथोत जोधा):- रावजगन्नाथ जी - राव नरहरदास जी - राव उदयसिँह जी - राव मालदेव जी - राव गंगा जी - राव बाघा जी - राव सूजा जी- राव जोधा जी- राव रणमल जी (राव रिङमाल जी)  

39. यशवन्तसिहोत जोधा - यशवन्तसिँह का।

40. श्यामसिँहत जोधा -  श्यामसिँह जी का।

41. भोपपोत जोधा - भोपत जी का, नारायण, भदूण क्रष्णगढ राज्य मेँ।

42. मोहनदासोत जोधा - मोहनदास जी का।

43. दलपतोत जोधा – दलेलसिंह- रायसिंह

44. मनरूय जोधा - मनरूय जी का।

45. अमरसिँहोत जोधा:- राव अमर सिँह जी – महाराजा गज सिंह – आनन्दसिँह – राजा अजीतसिँह

46. आनन्दसिहोत जोधा:- आनन्दसिँह – राजा अजीतसिँह का राज्य ईडर, अहमनगर।

47. रतनसिहोत (रत्नोत जोधा) - महेशदास - दलपत सिंह - मोटा राजा’ उदयसिंह

48. कल्यान्दासोत जोधा:- कल्याण दासजी – रतनसिंह – राजसिँह

49. फतहसिहोत जोधा:- गजसिंह - केशवदास

50. जैतसिंहोत जोधा:- जैतसिंह - मोटे राजा उदयसिंह

जोधा राठौड़ सीतामऊ राज्य का संक्षिप्त इतिहास क्रम इस प्रकार है –      

1 - शिवसिंह - रामसिंह - रतनसिँह - महेशदास - दलपत सिंह - मोटा राजा’ उदयसिंह

बखतसिंह - केशवदास

राजसिँह - फतहसिंह - गजसिंह - केशवदास

भवानीसिंह - रतनसिँह - राजसिँह

अभयसिंह - राजसिँह 

मोटा राजा’ उदयसिंह (जोधपुर)

दलपत सिंह - (मोटा राजा’ उदयसिंह (जोधपुर) के चौथे पुत्र)

महेशदास - (दलपत सिंह का पुत्र)

रतनसिँह - (महेशदास का पुत्र)

रामसिंह - (रतनसिँह का पुत्र)

शिवसिंह - (रामसिंह का पुत्र) शिवसिंह के निःसंतान मरने के कारण      

          रतलाम का शासक उसका सौतेला भाई केशवदास बना ।

केशवदास -रतनसिंह                   

बखतसिंह - (केशवदास का ज्येष्ठ पुत्र) केशवदास का ज्येष्ठ पुत्र बखतसिंह

          अपने पिता के जीवन काल में ही निःसंतान मर गया था ।  

          तब केशवदास का छोटा पुत्र गजसिंह सीतामऊ का शासक  बना।

गजसिंह - (केशवदास का छोटा पुत्र)

फतहसिंह - (गजसिंह का पुत्र)

राजसिँह - (फतहसिंह का ज्येष्ठ पुत्र राजसिँह)

रतनसिँह एवं अभयसिंह - (राजसिँह के दो पुत्र थे)अभयसिंह 20 वर्ष की उम्र में ही

                      मर गया था। रतनसिँह का जन्म 11 अप्रेल 1808 ई0 को   

                      हुआ था। महाराजकुमार रतनसिँह का दुर्भाग्यवश घोड़े से

                      गिर जाने के बाद अस्वस्थता के कारण 26 जनवरी       

                      1864ई0 को निधन हो गया ।

भवानीसिंह - (रतनसिँह का पुत्र) तब राजसिंह की मृत्युपरान्त रतनसिँह का पुत्र भवानीसिंह    

           जून 19, 1867 ई0 को सीतामऊ का शासक बना। मई 28, 1885 ई0 को

           भवानीसिंह का निधन हो गया । वह पुत्र विहीन मरा था। अतः उसके निकट

           संबंधी चीकला महाराज तखतसिंह के ज्येष्ठ पुत्र बहादुरसिंह को गोद लेकर

           सीतामऊ का शासक बनाया गया । वह भी पुत्र विहीन मरा तब उसके छोटे

           भाई शार्दूलसिंह को सीतामऊ का शासक बनाया गया । शार्दूलसिंह के

           शासनकाल में सीतामऊ में अकाल तथा महामारी फैली । उसी महामारी में 10

           मई 1900 ई0 को राजा शादूर्लसिंह का निधन हो गया ।

तखतसिंह (चीकला महाराज) -

बहादुरसिंह - (तखतसिंह का पुत्र)  

शार्दुलसिंह - (तखतसिंह का पुत्र, बहादुरसिंह के छोटे भाई) में 10 मई 1900 ई0 को राजा

           शादूर्लसिंह का निधन हो गया । राजा शार्दुलसिंह भी निःसंतान मरा था । अतः

           एक बार फिर उत्तराधिकार की समस्या सामने आई। तब उस परिस्थिति में

           उस समस्या का समाधान अंग्रेज सरकार द्वारा किया । और धरमाट के युद्ध में

           काम आने वाले रतनसिंह के दूसरे पुत्र रायसिंह के वंशज काछी बड़ौदा के  

           महाराज दलेलसिंह के द्वितीय पुत्र रामसिंह को सीतामऊ का शासक बनाया 

           गया । 

रायसिंह -   (रतनसिंह के दूसरे पुत्र)

दलेलसिंह –   (काछी, बड़ौदा के महाराज, रतनसिंह के दूसरे पुत्र रायसिंह के वंशज)

रामसिंह   -   (दलेलसिंह के पुत्र रामसिंह को सीतामऊ का शासक बनाया गया) सीतामऊ  

            नगर के अन्दर बने गढ़ में उसने किशन महल बनाया तथा गढ़ के परिसर में

            ही लक्ष्मी-नारायण मन्दिर बनवाया । वर्तमान में जहाँ राज परिवार के सदस्य

            निवास करते है वे भवन भी राजा रामसिंह द्वारा ही बनवाये गये थे ।

            कोटेश्वर तथा भगोर में भी कोठियों का निर्माण राजा रामसिंह द्वारा ही

            करवाया गया था । राजा रामसिंह सीतामऊ के भारतीय संघ में विलीनीकरण

            तक सीतामऊ का शासक रहा। राजा रामसिंह का निधन 25 मई 1967 ई0

            को हुआ ।

जोधपुर के रतना टाक की पुत्री गोरा धाय जिन्होने, 1679 मेँ मारवाड़ के राजकुमार महाराजा अजीतसिँह को वीर दुर्गादास के साथ मुग़ल घेरे मेँ से बाहर निकाला था अपने अपूर्व त्याग वस्वामीभक्ति के कारण इनका नाम मारवाड़ के राष्ट्र गीत "धूसा" मेँ गाया जाता है।

जोधपुर के महाराज गजसिंह के तीन पुत्र थे- अमरसिंह, जसवंतसिंह और अचलसिंह। अचलसिंह का देहांत बचपन में ही हो गया।

अमर सिंह राठौड़ की वीरता सर्वविदित है ये जोधपुर के महाराजा गज सिंह के ज्येष्ठ पुत्र थे जिनका जन्म रानी मनसुख दे की कोख से वि.स.1670, 12 दिसम्बर 1616 को हुआ था (अमरसिंह राठौर का जन्म वि.सं. 1670 में वैशाख सुदी 7 को हुआ था और मृत्यु वि.स. 1701 की सावन सुदी 2 को हुआ था)। 6 मई 1638 को अमर सिंह के पिता महाराजा गज सिंह का निधन हो गया उनकी इच्छानुसार उनके छोटे पुत्र जसवंत सिंह को जोधपुर राज्य की गद्दी पर बैठाया गया । अमरसिंह वीर किंतु बहुत क्रोधी थे इसलिये गजसिंह ने अपने छोटे पुत्र जसवंतसिंह की ही गद्दी के उपयुक्त समझा। 25मई 1638 के दिन बारह बरस का जसवंत गद्दी पर बैठा।

वहीं अमर सिंह को शाहजहाँ ने राव का खिताब (राव कि उपाधी) देकर नागौर परगने का राज्य प्रदान किया ।

बूँदी की राजकुमारी हाड़ी रानी जिस से हाल ही में अमरसिंह राठौर विवाह के पश्चात गौना करा कर लाते हैं—और उसकी रूप-जवानी के बंदी भ्रमर बनकर शाही दरबार में जाना भूल जाते हैं—जिसके कारण सम्राट उन पर साढ़े सात लाख रुपये का दंड करता है। इसी बात से अमरसिंह राठौर मुग़लसत्ता पर अप्रसन्न होते हैं। और आगे की सारी घटनाएँ घटती हैं। इतिहास में महाराज अमरसिंह की दो रानियों का उल्लेख मिलता है, एक थी आमेर के राजा महासिंह की बेटी कछवाही अनंददे जिससे उनको रायसिंह नाम का पुत्र प्राप्त हुआ था, दूसरी थी डूँगरपुर के रावल पूँजा अहाड़ा गहलोत की बेटी अहाड़ी अजायवदे।

अहाड़ी अजायवदे जिससे उन्हें जगतसिंह नाम का एक पुत्र प्राप्त हुआ था। ऐतिहासिक तथ्य है कि अमरसिंह मृत्यु के समय दो पुत्र और तीन पुत्रियों के पिता थे किन्तु उनकी कोई संतान दस वर्ष से अधिक आयु की नहीं थी।

अर्जुन गौड़ को—जिसने छल से अमरसिंह राठौर की हत्या की थी अमरसिंह राठौर का साला मानते हैं। अर्जुन गौड़, उस समय जीवीत राजा बिट्ठलदास गौड़ का पुत्र था। बिट्ठलदास को अजमेर के पास सम्राट शाहजहाँ से एक बड़ी जागीर मिली, क्योकि उनके पिता ने, उन्होंने और उनके भाईयोँ ने उनका उस समय साथ दिया था जब उन्होंने अपने पिता जहाँगीर से विद्रोह किया था। बिट्ठलदास के पिता उस संघर्ष में मारे गए थे।

हाथी की चराई पर बादशाह की और से कर लगता था जो अमर सिंह ने देने से साफ मना कर दिया था । सलावतखां द्वारा जब इसका तकाजा किया गया और इसी सिलसिले में सलावतखां ने अमर सिंह को कुछ अपशब्द बोल ने पर, स्वाभिमानी अमर सिंह ने बादशाह शाहजहाँ के सामने ही सलावतखां का वध उनकी नाक के नीचे अनेक मनसबदारों के सामने कर डाला सलावतखां शाहजहाँ का साला था ।  

अमर सिंह ख़ुद मुग़ल सैनिकों के हाथों लड़ता हुए आक्रमण का अकेले ही सामना करते हुए अनेक प्रबल योद्धाओं को मौत के घाट उतार दिया था और बाद में वे एक राजपूत मनसबदार अर्जुन गौड़ द्वारा छलपूर्वक मारे गए थे। आगरे के किले में मारा गया । इस घटना के समय उनकी आयु केवल 32 वर्ष की थी। वह अपने पिता के ज्येष्ठ पुत्र थे। उनसे छोटा भाई अचलसिंह बचपन में मर गया था। उसके अतिरिक्त जसवंतसिंह ही तीसरे भाई थे जिनकी आयु इस घटना के समय केवल 19 वर्ष की थी। इतिहास के अनुसार बल्लू जी राठौड़ों की चाँपावत शाखा के सामंत थे। चाँपावत शाखा के वंशज अभी जागीरदारी के अन्त होने के समय तक विभिन्न जागीरों के स्वामी रहे हैं। मारवाड़ नरेश राव, रणमल जी के, जिनका जन्म संवत 1449 में हुआ था और मृत्यु संवत 1495 में हुई थी। चौथे पुत्र चाँपाजी के चाँपावत शाखा का प्रारम्भ हुआ है।

राव अमर सिंह राठौड़ का पार्थिव शव लाने के उद्येश्य से उनका सहयोगी बल्लू चाँपावत ने बादशाह से मिलने की इच्छा प्रकट की, कूटनीतिज्ञ बादशाह ने मिलने की अनुमति दे दी, आगरा किले के दरवाजे एक-एक कर खुले और बल्लू चाँपावत के प्रवेश के बाद पुनः बंद होते गए । अन्तिम दरवाजे पर स्वयं बादशाह बल्लू के सामने आया और आदर सत्कार पूर्वक बल्लू से मिला। बल्लू चाँपावत ने बादशाह से कहा "बादशाह सलामत जो होना था वो हो गया” मै तो अपने स्वामी के अन्तिम दर्शन मात्र कर लेना चाहता हूँ।" और बादशाह में उसे अनुमति दे दी ।इधर राव अमर सिंह के पार्थिव शव को खुले प्रांगण में एक लकड़ी के तख्त पर सैनिक सम्मान के साथ रख कर मुग़ल सैनिक करीब 20-25 गज की दुरी पर शस्त्र झुकाए खड़े थे ।दुर्ग की ऊँची बुर्ज पर शोक सूचक शहनाई बज रही थी । बल्लू चाँपावत शोक पूर्ण मुद्रा में धीरे से झुका और पलक झपकते ही अमर सिंह के शव को उठा कर घोड़े पर सवार हो ऐड लगा दी और दुर्ग के पट्ठे पर जा चढा और दुसरे क्षण वहां से नीचे की और छलांग मार गया मुग़ल सैनिक ये सब देख भौचंके रह गए । दुर्ग के बाहर प्रतीक्षा में खड़ी 500 राजपूत योधाओं की टुकडी को अमर सिंह का पार्थिव शव सोंप कर बल्लू दुसरे घोड़े पर सवार हो दुर्ग के मुख्य द्वार की तरफ रवाना हुआ जहाँ से मुग़ल अस्वारोही अमर सिंह का शव पुनः छिनने के लिए दुर्ग से निकलने वाले थे, बल्लू चाँपावत मुग़ल सैनिकों को रोकने हेतु उनसे बड़ी वीरता के साथ युद्ध करता हुआ मारा गया लेकिन वो मुग़ल सैनिको को रोकने में सफल रहा।

जसवंतसिंह- जोधपुर के महाराज गजसिंह के तीन पुत्र थे- अमरसिंह, जसवंतसिंह और अचलसिंह। अचलसिंह का देहांत बचपन में ही हो गया। अमरसिंह वीर किंतु बहुत क्रोधी थे इसलिये गजसिंह ने अपने छोटे पुत्र जसवंतसिंह की ही गद्दी के उपयुक्त समझा।25 मई 1638 के दिन बारह बरस का जसवंत गद्दी पर बैठा।

सन् 1648 में ईरान के शाह अब्बास ने 50,000 सेना और तोपें लेकर कंधार को घेर लिया। कुछ समय के बाद किला उसके हाथ आया। जसवंतसिंह किले पर घेरा डालनेवाली शाहजादे औरंगजेब की फौज में संमिलित था। औरंगजेब किला लेने में असमर्थ रहा। इसी बीच जसवंतसिंह के मनसव में अनेक बार बृद्धि हुई और सन् 1655 में उसे “महाराजा” की पदवी मिली।

अमर सिँह जी को राव कि उपाधी थी। इस लिये इनके आगे की पीढी के वँशज राव कहलाते हैँ।

ख्यात अनुसार पीढी क्रम ईस प्रकार है -

1. महाराजराजा यशोविग्रह जी (कन्नौज राज्य के राजा)

2. महाराजराजा महीचंद्र जी

3. महाराज राजा चन्द्रदेव जी

4. महाराजराजा मदनपाल जी (1154)

5. महाराज राजा गोविन्द्र जी

6. महाराज राजा विजयचन्द्र जी जी (1162)

7. महाराज राजा जयचन्द जी (कन्नौज उत्तर प्रदेश1193)

8. राव राजा सेतराम जी

9. राव राजा सीहा जी (बिट्टू गांव पाली, राजस्थान1273)

10. राव राजा अस्थान जी (1292)

11. राव राजा दूहड़ जी (1309)

12. राव राजा रायपाल जी (1313)

13. राव राजा कान्हापाल जी (1323)

14. राव राजा जलमसी जी (राव जालण जी) (1328)

15. राव राजा चड़ा जी (राव छाडा जी) (1344)

16. राव राजा तिडा जी (राव टीडा जी) (1357)

17. राव राजा सलखा जी (1374)

18. राव बीरम जी (राव विरम देव जी)

19. राव चुंडा जी

20. राव रणमल जी (राव रिङमाल जी)

21. राव जोधा जी

22. राव सूजा जी

23. राव बाघा जी

24. राव गंगा जी

25. राव मालदेव जी

·         राव चन्द्रसेन जी (राव मालदेव जी के पुत्र)

·         राव उदयसिँह जी (राव मालदेव जी के पुत्र)

·         राव (डूँगरसिँह) डूँगरसी जी (राव मालदेव जी के पुत्र)

·         राव भान जी (राव मालदेव जी के पुत्र)

टिप्पणियाँ


  1. तिलोकसिंहोत जोधा
    (लूणावास, राबड़ियावास, तिलोरा, धूणा)

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  2. कृपया ये जो रतलाम के मुल्तान में राठौड़ राजपूत हैं जिनके कुलदेवता कुलदेवी और गोत्र के बारे में बताएं...

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  3. मुल्तान से ही इनका सम्बन्ध है इनको मुलतानिया राजपूत कहा जाता है।

    84) Shankhapal(Sakpal):- Throne:- Malkhed,Throne colour Red,Canopy colour:- Red,Sign colour:- Red,Horse (Varu):- Red,Moon on flagepole,Clan godess:- Jogeshwaree,Clan object(Deva):- Shankha,Guru:- Gargacharya,Gotra:- Rathod,Veda:- Yajurveda,Mantra:- Gayatri Clans, Line,

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  4. जय माताजी की सा... राठोड़ों के इतिहास के बारे में एक बहुत अच्छी जानकरी के लिए धन्यवाद।

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  5. करमसोतो के गांव में धरणी कौनसा गांव है धनारी तो सुना है धरणी कहां है कृपया करके बताइए

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  6. राव surname वाले क्या राजपूत में भी आते हैं

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  7. Hkm आपने फतेहसिंहसिंहोत जोधा राठौड़ के पीढ़ी क्रम में गज सिंह, केशवदास बताया है तो ये मुझे बताए की आपने जो पीढ़ी क्रम बताया ही वो कैसे चला क्योंकि रतनसीहोत और फतहसिंहोत का पीढ़ी क्रम अलग अलग कैसे हो सकता है क्योंकि रतन सिंह जी और फतेह सिंह जी दोनो भाई थे तो दोनो का पीढ़ी क्रम ak hona chaiye

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