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भगवान श्री राम से लेकर कनौज तक राठौड़ वंश का इतिहास

भगवान श्री राम से लेकर कनौज तक राठौङ वंश का इतिहास

इस प्रकार भगवान श्री राम का जन्म मनु की चालिसवीँ पिढी मेँ और इकतालिसवीँ पिढी मेँ लव व कुश का जन्म हुआ। भगवान श्री राम के दो पुत्र थे –

    01 - लव

    02 - कुश

रामायण कालीन महर्षि वाल्मिकी की महान धरा एवं माता सीता के पुत्र लव-कुश का जन्म स्थल कहे जाने वाला धार्मिक स्थल तुरतुरिया है।

भरत के दो पुत्र थे -

    01 - तार्क्ष 

    02 - पुष्कर।

लक्ष्मण के दो पुत्र थे –

    01 - चित्रांगद 

    02 - चन्द्रकेतु

शत्रुघ्न के क दो पुत्र थे –

    01 - सुबाहु और      

    02 - शूरसेन थे। (मथुरा का नाम पहले शूरसेन था)

- लव और कुश राम तथा सीता के जुड़वां बेटे थे। जब राम ने वानप्रस्थ लेने का निश्चय कर भरत का राज्याभिषेक करना चाहा तो भरत नहीं माने। अत: दक्षिण कोसल प्रदेश (छत्तीसगढ़) में कुश और उत्तर कोसल में लव का अभिषेक किया गया।

- राम के काल में भी कोशल राज्य उत्तर कोशल और दक्षिण कोशल में विभाजित था। कालिदास के रघुवंश अनुसार राम ने अपने पुत्र लव को शरावती का और कुश को कुशावती का राज्य दिया था। शरावती को श्रावस्ती मानें तो निश्चय ही लव का राज्य उत्तर भारत में था और कुश का राज्य दक्षिण कोसल में। कुश की राजधानी कुशावती आज के बिलासपुर जिले में थी। कोसला को राम की माता कौशल्या की जन्म भूमि माना जाता है।

- रघुवंश के अनुसार कुश को अयोध्या जाने के लिए विंध्याचल को पार करना पड़ता था इससे

- भी सिद्ध होता है कि उनका राज्य दक्षिण कोसल में ही था। राजा लव से राघव राजपूतों का जन्म हुआ जिनमें बर्गुजर, जयास और सिकरवारों का वंश चला। इसकी दूसरी शाखा थी सिसोदिया राजपूत वंश की जिनमें बैछला (बैसला) और गैहलोत (गुहिल) वंश के राजा हुए। कुश से कुशवाह (कछवाह) राजपूतों का वंश चला। ऐतिहासिक तथ्यों के अनुसार लव ने - की स्थापना की थी, जो वर्तमान में पाकिस्तान स्थित शहर लाहौर है। यहां के एक किले में लव का एक मंदिर भी बना हुआ है। लवपुरी को बाद में लौहपुरी कहा जाने लगा। दक्षिण-पूर्व एशियाई

- देश लाओस, थाई नगर लोबपुरी, दोनों ही उनके नाम पर रखे गए स्थान हैं। राम के दोनों पुत्रों में कुश का वंश आगे बढ़ा ।

प्रकार भगवान श्री राम का जन्म मनु की चालिसवीँ पिढी मेँ और इकतालिसवीँ पिढी मेँ लव व कुश का

01 - जन्म हुआ। भगवान श्री राम के दो पुत्र थे –

    01 - लव

    02 - कुश

03 - कुश के पुत्र अतिथि हुये। 

04 - अतिथि के पुत्र निषधन हुये। 

05 - निषधन के पुत्र नभ हुये। 

06 - नभ के पुत्र पुण्डरीक हुये।

07 - पुण्डरीक के पुत्र क्षेमन्धवा हुये। 

08 - क्षेमन्धवा के पुत्र देवानीक हुये। 

09 - देवानीक के पुत्र अहीनक हुये।

10 - अहीनक से रुरु हुये। 

11 - रुरु से पारियात्र हुये। 

12 - पारियात्र से दल हुये।

13 - दल से छल हुये।

14 - छल से उक्थ हुये।

15 - उक्थ से वज्रनाभ हुये।

16 - वज्रनाभ से गण हुये।

17 - गण से व्युषिताश्व हुये।

18 - व्युषिताश्व से विश्वसह हुये।

19 - विश्वसह से हिरण्यनाभ हुये।

20 - हिरण्यनाभ से पुष्य हुये।

21 - पुष्य से ध्रुवसंधि हुये।

22 - ध्रुवसंधि से सुदर्शन हुये।

23 - सुदर्शन से अग्रिवर्ण हुये।

24 - अग्रिवर्ण से पद्मवर्ण हुये।

25 - पद्मवर्ण से शीघ्र हुये।

26 - शीघ्र से मरु हुये।

27 - मरु से प्रयुश्रुत हुये।

28 - प्रयुश्रुत से उदावसु हुये।

29 - उदावसु से नंदिवर्धन हुये।

30 - नंदिवर्धन से सकेतु हुये।

31 - सकेतु से देवरात हुये।

32 - देवरात से बृहदुक्थ हुये।

33 - बृहदुक्थ से महावीर्य हुये।

34 - महावीर्य से सुधृति हुये।

35 - सुधृति से धृष्टकेतु हुये।

36 - धृष्टकेतु से हर्यव हुये।

37 - हर्यव से मरु हुये।

38 - मरु से प्रतीन्धक हुये।

39 - प्रतीन्धक से कुतिरथ हुये।

40 - कुतिरथ से देवमीढ़ हुये।

41 - देवमीढ़ से विबुध हुये।

42 - विबुध से महाधृति हुये।

43 - महाधृति से कीर्तिरात हुये।

44 - कीर्तिरात से महारोमा हुये।

45 - महारोमा से स्वर्णरोमा हुये।

46 - स्वर्णरोमा से ह्रस्वरोमा हुये।

47 - ह्रस्वरोमा से सीरध्वज का जन्म हुआ। ये “सीरध्वज” सिता के पिता जनक सीरध्वज से अलग है क्योंकि सीरध्वज नाम से अनेक और व्यक्ति हुए हैं।

शल्य, माद्रा (मद्रदेश) के राजा जो पांडु के सगे साले और नकुल व सहदेव के मामा थे। परंतु महाभारत में इन्होंने पांडवों का साथ नहीं दिया और कर्ण के सारथी बन गए थे। कर्ण की मृत्यु पर युद्ध के अंतिम दिन इन्होंने कौरव सेना का नेतृत्व किया और उसी दिन युधिष्ठिर के हाथ मारे गए। इनकी बहन माद्री, कुंती की सौत थीं और पांडु के शव के साथ चिता पर जीवित भस्म हो गई थीं।

एक शोधानुसार लव और कुश की 50वीं पीढ़ी में शल्य हुए, जो महाभारत युद्ध में कौरवों की ओर से लड़े थे। यह इसकी गणना की जाए तो लव और कुश महाभारत काल के 2500 वर्ष पूर्व से 3000 वर्ष पूर्व हुए थे अर्थात आज से 6,500 से 7,000 वर्ष पूर्व। इसके अलावा शल्य के बाद बहत्क्षय, ऊरुक्षय, बत्सद्रोह, प्रतिव्योम, दिवाकर, सहदेव, ध्रुवाश्च, भानुरथ, प्रतीताश्व, सुप्रतीप, मरुदेव, सुनक्षत्र, किन्नराश्रव, अन्तरिक्ष, सुषेण, सुमित्र, बृहद्रज, धर्म, कृतज्जय, व्रात, रणज्जय, संजय, शाक्य, शुद्धोधन, सिद्धार्थ, राहुल, प्रसेनजित, क्षुद्रक, कुलक, सुरथ, सुमित्र हुए। महाभारत के पश्चात अयोध्या के सूर्यवंशी राजा सुमित्र हुए।

टिप्पणियाँ

  1. अंतिम पैरागराफ - ऊपर आपने कुश की वंशावली लिखी है. यहाँ आपने लिखा है की - एक शोधानुसार लव और कुश की 50वीं पीढ़ी में शल्य हुए, जो महाभारत युद्ध में कौरवों की ओर से लड़े थे।
    यहाँ लव का वंश कहाँ से आ गया, स्पष्ट करने की कृपा करें.

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    उत्तर
    1. एक तरफ आप कह रहे हैं कि लव का वंश समाप्त हो गया और कुश का वंश आगे चला और दूसरी ओर आप कह रहे हैं कि लव से राघव राजपूतों की दूसरी शाखा सिसोदिया राजपूत वंश हुआ कृपया समझायें कि क्या सिसोदिया राजपूत वंश अस्तित्व में नहीं है?और क्या इस वंश के बराबर और किसी वंश की प्रतिष्ठा है?

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    2. Typing mistake है, writer कहना चाह रहा है की आगे कुश के वंशज राठौड़ कुल का विवरण आगे दिया है। ऐसा इसलिए की यह पहले कह चुके है की कोंनसे वंश कहा से शुरू है। ऐसा कही नहीं लिखा है कि कोई वंश समाप्त हो गया। शायद लेखक ने लिखते समय लिप्यंतरण का use किया है जिसकी वजह से कुछ mistakes रह गयी हों

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  2. Sir plz bataiye ki hamara gotra kya h hum arkvanshi shatriye h

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  3. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  4. Bhai g agar m galat nhi hu to mahabharat kaal me बृहद्वल naam k raaja कौरवों की तरफ से लड़े थे jo ki श्रीराम ke 31-32 pidhi me the or unka वध अभिमन्यु ने चक्रव्यूह में किया था... Aur aap keh rhe h ki शल्य Kush ki 50vi pidhi me the ... Kuch smjh ni aaya

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  5. भाई साहब की सी को कुछ पता नही है सब अंधेरे मै तीर चलाते हैं,,,सब भगवान राम के वंशज बनते है खुद के वंश को बढ़ा चढ़ा के बताते है सिर्फ 1 बात का जवाब दो जयपुर वाले कच्छवाहा कुश के वंशज उदयपुर वाले लव के वंशज जोधपुर के राठौड़ भी भगवान राम के डायरेक्ट वंशज सब इन मै सै। तो सब आपस मै शादियां के सै करते हो मुसलमान हो क्या ,,,,1 तरफ मनुस्मृति जो सब मानव को मनु की संतान बता ती है ,,,हम सब मानते है क्षत्रिय सै बड़ा कोई नही ओर उनसे बड़ा ब्राह्मण है उनसे बड़ा भगवान भी नही बाकी सब कीड़े मकोड़े हैै हां 1 बात ओर कोई परशुराम जी को पूछे 17 बार तो क्षत्रिय विहीन कर दी प्रथ्वी को ओर हर बार k sai ye उत्तपन्न ho ja तै ,,,कोई भी avg बुद्धि का आदमी ये सब सोचे गा तो सर चकरा जाए गा ,,,,,,aap or hum sab ram ji ki he Santane hain Jai Ram Ji ki

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    उत्तर
    1. राजा सुमित्र जो अयोध्या के अंतिम राजा थे उनको नंदवंश के महापद्म नंद ने अयोध्या से निकाल दिया था। राजा सुमित्र स्वयं राजा कुश के वंश से है। राजा सुमित्र के 4 पुत्र थे। वज्रनाभ, कूर्म, विश्वराज एंव मूलराज (मूलदेव)।

      वज्रनाभ से मेवाड़ के गुहिलोत और सिसोदिया राजपूत हुए। कूर्म से आमेर (जयपुर) के कच्छावा राजपूत हुए। विश्वराज से राष्ट्रकूट हुए, इन्ही राष्ट्रकूटों से गहड़वाल राजपूत और बुंदेला राजपूत हुए और गहड़वालों से राठौड़ राजपूत हुए। सबसे छोटे राजकुमार मूलराज (मूलदेव) से जम्मू और कश्मीर के जामवाल राजपूत हुए।

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    2. Mithila ke Raja Sirdhwaj (Janak) aur Ayodhya Ke Raja Dashrath Ji dono hi Suryavanshi the, toh inn dono me Vivah Sambandh kaise sthapit hue? Ye logic mat lagaon yaha. 100 pidhi ke upranth ek kul yadi anek kul me divide hota h toh unme vivah sambandh ho sakte hain. Aur Parshuram ji koi dharti ko Kshatriya vihin nhi kiya. Keval Kartivirya Arjun ko aur uske 21 bacho ko sote hue mar diya, jaise unhone apni Maa ko Mar diya tha pita ke kehne par. Aur waise Parshuram ka pura episode hi bakwaaas aur mangadhant hai. Aisa isliye ki jab bhagwan ke Poornavtar Shri Krishna aur Bhagwan Ram jab upashthith the dharti par toh Parshuram ji ke hone koi sense nhi banta. kya titar maarne aaye the yaha par. Aur doosra yeh ki Kartvirya Arjun ke vanshaj, Kalchuri Rajput aaj bhi maujood hain.

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  6. प्रत्येक मनुष्य की ये इच्छा हो ती है के वो सम्मान के साथ जिये,,,वो हर उस काम या नाम सै जुड़ना चाहता हैं जिस सै उस को भी वो सम्मान मिले ,,,कुछ कर्म सै कुछ जाती सै कुछ जनम सै धन सै पोस्ट सै कुछ भी हो सकता है,,,अब जिन महान पूर्वजों पर चर्चा हो रही है वो तो अपना काम ओर नाम कर के चले गए ,,,
    आप कितना भी 400 500 पीढ़ी बता लो कुछ नही हो गा
    आप को जो भी जन्म मिला है कुछ भी अच्छा करो की सी के काम आओ
    माता पिता का सिर गर्व सै उंचा हो a sa kuch सोचो ,
    सब राम कृष्ण आप के अंदर है झूठा दिखावा या बातों सै ये अमूल्य समय निकल रहा है ,,, बाकी सब bohat समझदार है मै रा निजी मत है

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