सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

राव शेखा व उनकी सन्तति

                               राव शेखा व उनकी सन्तति 
राव शेखा के बारह पुत्र थे जिनमें चार न ओलाद गये , शेष आठों पुत्रो के वंशज शेखावत कहलाते हैं।  उनमे सबसे जेष्ठ दुर्गा जी थे , किन्तु शेखा जी की मृत्यु के उपरान्त  अमरसर की राज गद्दी पर उनके छोटे पुत्र  रायमल जी बैठे।
१. दुर्गाजी इनके वंशज अपनी माता टांकण जी के नाम से टकनेत कहलाये।  इस वंश में अलखाजी अपने समय के परम ईश्वर भक्त व आदर्श व्यक्ति थे।  ये खंडेला राजा गिरधर दास के प्रधान थे।इनके वंशज पिपराली ,खोह , गुंगारा ,अजाडी, तिहावली , जांखड़ा, और भाकरवासी  में बसते हैं।  माधोदास जी के वंशज खोरी ,मंडवरा तथा बाजोर में हैं। सकत सिंह जी के वंशज बारवा ,तिहाय, बाय, ठेडी तथा पिलानी में बसते हैं। अलखा जी के ही वंश की एक शाखा चुरू में है।

२. रतनाजी ये शेखा जी के  द्वितीये पुत्र थे। इनके वंशज रतनावत शेखावत कहलाते हैं।  बैराठ के पास के प्रागपुरा ,पावटा ,बाघावास ,राजनोता ,भूनास ,ठिसकोला ,भामरु गुढ़ा ,जयसिंह पुरा , बडनगर ,जोधपुर आदि में हैं।  शेखाजी द्वारा हरियाणा के चरखी ,दादरी,भिवानी आदि स्थानों पर आक्रमण के समय रतनाजी अद्भुत वीरता प्रदर्शित की , शेखाजी ने वहां जीते ग्रामो का अधिकार रतनाजी को दे दिया। सतनाली के पास के ग्रामो के समूह को रतनावतो का चालीसा कहा जाता है। रतनाजी की एक पुत्री का विवाह जोधपुर राव मालदेव के साथ हुआ था।

३. भरतजी। ४. तिलोकजी।  ५. प्रतापजी।  - निसंतान थे

६. आभाजी अपनी माताजी के बसाये हुए ग्राम मिलकपुर में बसने से मिलकपुरिया कह लाये

७. अचलाजी भी अपने भाई के साथ मिलकपुर में रहते थे सो इनके वंशज भी मिलकपु रिया ही कहलाते हैं।
८. पूरण जी ये घाटवा के युद्ध में शेखाजी के साथ ही लड़ते हुए मारे गये, यह भी निसंतान थे।

९. रिडमलजी -खेजडोली गाँव में बसने से इनके वंशज खेजडोल्या शेखावत कहलाते हैं।

१०. कुम्भा जी के वंशज सतालपोता कहे जाते है पर बाद में इन्हें भी खेजड़ोल्या ही कहा जाने लगा। यह भी खेजड़ोली गाँव में ही रहते थे।  इनकी कोटडिया सीकर के बेरी ,भूमा छोटा ,बासणी ,कटेवा ,भोजासर ,रासू  बड़ी,जेइ पहाड़ी ,सेणु सर ,नवलगढ़ के पास खेजड़ोल्या की ढाणी  आदि गाँवो में है।

११. भारमल जी इन के वंशज भी खेजड़ोल्या ही कहे जाते है।  किन्तु इनके बड़े पुत्र बाघा के वंशज बाघावत कहलाते हैं। ये भरडाटू , पालसर , ढाकास,गरडवा,पटोदा आदि गाँवो में हैं।

१२.राव  रायमल जी - ये शेखाजी के सबसे छोटे पुत्र थे अमरसर का राज्याधिकार इन्हें मिला।  घाटवा के युद्ध में गोड़ो की पराजय हुई किन्तु शेखाजी इस युद्ध में  अत्यंत घायल हो चुके थे।घाटवा से ये सेना सहित रात्रि विश्राम के लिए जिण माता के ओयण के पास रलावता में डेरा किया।  शेखाजी ने अपना अंतिम समय नजदीक समझ कर अपनी ढाल व तलवार रायमल जी को सौंपकर  अमरसर का राज तिलक देने की इच्छा प्रकट की।
रायमल जी शेखावत वंश परम्परा में सर्वाधिक शक्तिशाली और महत्व पूर्ण व्यक्ति हुए हैं। शेरशाह सूरी का पिता मिंया हसनखां इनकी सेना में चाकरी करता था।

इनके ६ पुत्र थे जिनमे जेष्ठ  सुजा जी को अमरसर का राज मिला।

१.  तेजसी के वंशज तेजसी के शेखावत कहलाते है व अलवर जिले के नारायणपुर ,गढ़ी ,मामोड़ और बाणासुर के गाँवो में हैं।

२. सहसमल जी को १२ गांवों से सांईवाड की जागीर मिली थी ,इन के वंशज सहसमल जी के शेखावत कहलाते हैं। इनकी एक पुत्री (मदालसा देवी )  का विवाह आमेट के रावत पत्ताजी चुण्डावत से हुआ था जिन्होंने चितोड़ के तीसरे शाके का नेतृत्व किया था।

३. जगमाल को १२ गाँवो से  में हमीरपुर व हाजीपुर की जागीर मिली जो अलवर जिले में हैं। जगमाल का पुत्र दुदा वीर व उदार राजपूत था उसकी प्रसिधी के कारण इन के वंशज दुदावत शेखावत कहलाते है।

४. ५. सीहा व सुरताण के बारे में कोई जानकारी नही है।

राव सुजा जी : ये अमरसर की गद्दी पर बैठे।  इनके ६ पुत्र हुये।  इनमे लुणकरण जी जेष्ट पुत्र थे और वे ही अमरसर की गद्दी पर बैठे।

. लुणकरण जी के वंशज लुणकरण जी का शेखावत कहलाते हैं। इनके पुत्रो व प्रपोत्रों  के नाम पर सावलदास का ,उग्रसेनण जी का , अचलदास जी का आदि हैं। इनके छोटे पुत्र मनोहरदास जी अमरसर के शासक हुए।
इस समय खेजडोली ,महरोली ,ढोड्सर, करीरी , दोराला गुढ़ा ,सांगसर,सिंगोद छोटी बड़ी जुणस्या व सीकर के पास सबलपुरा आदि व रुन्डल मानपुरा ,लालसर बावड़ी ,रामजीपुरा व झुंझुनू जिले के कई गाँवो में सांवल दास जी के शेखावत है।

 राजा रायसल ये रायमल जी के द्वितीय पुत्र थे।  इन्हें अमरसर से गुजरे की लिये लाम्याँ की छोटी से जागीर दी गयी थी किन्तु यह अपने बहुबल से अपने पैत्रिक राज्य अमरसर के बराबर एक दुसरे राज्य के शासक बन बैठे। इन्होने निरबाणो व चंदेलों का पराभव कर खंडेला ,उदयपुर ,रैवसा और कासली पर अधिकार कर लिया

राजा रायसल के १२ पुत्रो में से सात का वंश चला।  ये सभी रायसलोत शेखावत है और इन्ही से सात प्रशाखाओं का विकास हुआ।

१. लाड़ा जी ये रायसल जी के जेष्ट पुत्र थे किन्तु इन को खंडेला की राजगद्दी नही मिली।इनका नाम लाल सिंह था।  सम्राट अकबर इन्हें प्यार से लाडखां कहता था।   इनके वंशज लाडखानी शेखावत है। खाचरियावास ,रामगढ़ ,लामियां ,बाज्यवास ,धीगपुरा ,लालासरी,हुडिल ,तारपुरा ,खुडी निराधणु ,रोरु ,खाटू ,सांवालोदा ,लाडसर लुमास डाबड़ी ,दिणवा,हेमतसर आदि  लाडखानियो के गाँव है।

२.भोजराज जी : इनको उदयपुर वाटी के ४५ गाव जागीर में मिले थे। इनके वंशज भोजराज जी का कहलाते है। भोजराज जी के प्रपोत्र शार्दुल सिंह जी ने क्यामखानी नवाबों से झुंझुनू छीन ली तो झुंझुनू वाटी का पूरा प्रदेश इन के  कब्जे में आ गया ये सादावत कहलाते है। झाझड ,गोठडा ,धमोरा ,चिराणा ,गुढ़ा  ,छापोली ,उदयपुर
वाटी ,बाघोली ,चला ,मनकसास,गुड़ा ,पोंख,गुहला ,चंवरा ,नांगल ,परसरामपुरा आदि इन के गाँव है जिसको पतालिसा कहा जाता है।  शार्दुल सिंघजी के वंशजो के पास खेतड़ी ,बिसाऊ ,सूरजगढ़ ,नवलगढ़ ,मंडावा डुड़लोद  ,मुकन्दगढ़ ,महनसर चोकड़ी ,मलसीसर ,अलसीसर आदि ठिकाने थे.

३. तिरमल जी इन के वंशज राव जी का शेखावत कहलाते है। इनके सीकर व कासली दो बड़े ठिकाने थे। शिव सिंह जी ने फतेहपुर कायमखानी मुसलमानों से जीत कर सीकर राज्य में मिला लिया।  टाड़ास, फागलवा ,बिजासी ,खाखोली ,पालावास ,तिडोकी ,जुलियासर ,झलमल ,दुजोद ,बाडोलास ,जसुपुरा ,कुमास ,परडोली ,सिहोट ,गाडोदा , बागड़ोदा,शेखसर सिहोट ,माल्यासी ,बेवा ,रोरु,श्यामगढ़ ,बठोट ,पाटोदा ,सखडी ,दीपपुरा आदि राव जी का शेखावतो के गाँव है।

४. हरिरामजी के वंशज हरिरामजी  का शेखावत कहलाते है।  मूंडरु, दादिया ,जेठी आदि इनके गाँव है।   

५. राजा गिरधर जी - ये रायसल जी के छोटे पुत्र थे किन्तु खंडेला की राजगद्दी इन्ही को मिली। इनके वंशज गिरधर जी का शेखावत कहलाते है।  खंडेला के अलावा दांता व खुड इनके मुख्य ठिकाने हैं।  राणोली ,दादिया ,कल्याणपुरा ,तपिपल्या कोछोर ,डुकिया ,भगतपुरा ,रायपुरिया ,तिलोकपुरा ,सुजवास ,रलावता ,पलसाना बानुड़ा ,दुदवा ,रुपगढ़,सांगल्या ,गोडीयावास,जाजोद ठीकरिया ,बावड़ी आदि गिरघर जी के शेखावतो के गाँव हैं।

टिप्पणियाँ

  1. उदयपुरवाटी तहसील के बड़ा गांव की संपूर्ण वंशावली अगर आपको ज्ञात हो तो कृपया करके बताएं

    जवाब देंहटाएं
  2. Jahota Rundal Manpura macheri bhadhal Itawa junsya Biharipura mohanbari Jaisinghpura Kankra and some other Total 32 and 1/2 villages are of Achaldas ji ke Shekhawat. Jahota is head seat of Achaldas ji Ke Shekhawat and Tajimi Sardar of Jaipur state

    जवाब देंहटाएं
  3. Lalsinghji ko khandela nhi mila par raisalot k tikai to h.... Thikana lamiya

    जवाब देंहटाएं
  4. इसमें राव सूजा जी को कही नही बताया गया है,जबकि इतिहास की अन्य किताबो में रायसल जी के पिता सूजा जी को बताया गया है। रायमल जी बेटे सूजा जी थे,ओर सूजा जी के बेटे रायसल जी है।

    जवाब देंहटाएं
  5. नेछ्वा (सीकर)में बनाया हुआ गढ़ किस तकनेट वश का बताये

    जवाब देंहटाएं
  6. शार्दुलसिंह जी झुन्झुनू के वंशजो के ठिकानो मे बलौदा ठिकाणा भी है ।नाम जौङे

    जवाब देंहटाएं

एक टिप्पणी भेजें

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

शेखावत वंश परिचय एवम् शेखावत वंश की शाखाएँ

शेखावत वंश परिचय एवम् शेखावत वंश की शाखाएँ शेखावत शेखावत सूर्यवंशी कछवाह क्षत्रिय वंश की एक शाखा है देशी राज्यों के भारतीय संघ में विलय से पूर्व मनोहरपुर,शाहपुरा, खंडेला,सीकर, खेतडी,बिसाऊ,सुरजगढ़,नवलगढ़, मंडावा, मुकन्दगढ़, दांता,खुड,खाचरियाबास, दूंद्लोद, अलसीसर,मलसिसर,रानोली आदि प्रभाव शाली ठिकाने शेखावतों के अधिकार में थे जो शेखावाटी नाम से प्रशिद्ध है । शेखावत वंश परिचय वर्तमान में शेखावाटी की भौगोलिक सीमाएं सीकर और झुंझुनू दो जिलों तक ही सीमित है | भगवान राम के पुत्र कुश के वंशज कछवाह कहलाये महाराजा कुश के वंशजों की एक शाखा अयोध्या से चल कर साकेत आयी, साकेत से रोहतास गढ़ और रोहताश से मध्य प्रदेश के उतरी भाग में निषद देश की राजधानी पदमावती आये |रोहतास गढ़ का एक राजकुमार तोरनमार मध्य प्रदेश आकर वाहन के राजा गौपाल का सेनापति बना और उसने नागवंशी राजा देवनाग को पराजित कर राज्य पर अधिकार कर लिया और सिहोनियाँ को अपनी राजधानी बनाया |कछवाहों के इसी वंश में सुरजपाल नाम का एक राजा हुवा जिसने ग्वालपाल नामक एक महात्मा के आदेश पर उन्ही नाम पर गोपाचल पर्वत पर ग्वालियर दुर्ग की नीवं डाली | महात

माता राणी भटियाणी जी का सम्पूर्ण परिचय और गौभक्त सवाई सिंह भोमिया जी का इतिहास

~माता राणी भटियानी जी का सम्पूर्ण परिचय और गौभक्त सवाई सिंह भोमिया जी का इतिहास ।~ .....~जय जसोल माजीसा~...... माता राणी भटियानी ( "भूआजी स्वरूपों माजीसा" शुरूआती नाम) उर्फ भूआजी स्वरूपों का जन्म ग्राम जोगीदास तहसील फतेहगढ़ जिला जैसलमेर के ठाकुर जोगीदास के घर हुआ।भूआजी स्वरूपों उर्फ राणी भटियानी का विवाह मालाणी की राजधानी जसोल के राव भारमल के पुत्र जेतमाल के उतराधिकारी राव कल्याणसिंह के साथ हुआ था।राव कल्याणसिंह का यह दूसरा विवाह था।राव कल्याणसिंह का पहला विवाह राणी देवड़ी के साथ हुआ था। शुरुआत मे राव कल्याणसिंह की पहली राणी राणी देवड़ी के संतान नही होने पर राव कल्याण सिंह ने भूआजी स्वरूपों( जिन्हे स्वरूप बाईसा के नाम से भी जाना जाता था) के साथ दूसरा विवाह किया।विवाह के बाद भूआजी स्वरूपों स्वरूप बाईसा से राणी स्वरुपं के नाम से जाना जाने लगी। विवाह के एक साल बाद राणी स्वरुपं उर्फ रानी भटियानी ने एक बालक को जन्म दिया। जिसका नाम लालसिंह रखा गया। राणी स्वरुपं के संतान प्राप्ति होने से राणी देवड़ी रूठ गयी।उन्हे इससे अपने मान सम्मान मे कमी आने का डर सताने लगा था।प्रथम राणी देवड

देवड़ा चौहानो की खापें और उनके ठिकाने

देवड़ा चौहानों की खापें और उनके ठिकाने देवड़ा :- लक्ष्मण ( नाडोल) के तीसरे पुत्र अश्वराज (आसल ) के बाछाछल देवी स्वरूप राणी थी | इसी देवी स्वरूपा राणी के पुत्र 'देवीरा ' (देवड़ा ) नाम से विख्यात हुए | इनकी निम्न खापें है | १.बावनगरा देवड़ा :- महणसी देवड़ा के पुत्र पुतपमल के पुत्र बीजड़ हुए बीजड़ के तीसरे पुत्र लक्ष्मण के वंशजों का ठिकाना बावनगर था | इस कारन लक्ष्मण के वंशज बावनगरा देवड़ा कहलाये | मेवाड़ में मटोड़ ,देवरी ,लकड़बास आदी ठिकाने तथा मालवा में बरडीया ,बेपर आदी ठिकाने | २.मामावला देवड़ा :- प्रतापमल उर्फ़ देवराज के छोटे पुत्र बरसिंह को मामावली की जागीर मिली | इस कारन बरसिंह के वंशज मामावला देवड़ा कहलाये | ३.बड़गामा देवड़ा :- बीजड़ के छोटे पुत्र लूणा के पुत्र तिहुणाक थे | इनके पुत्र रामसिंह व् पोत्र देवासिंह को जागीर में बड़गाम देवड़ा कहलाये | बडगाम जोधपुर राज्य का ठिकाना था | सिरोही राज्य में इनका ठिकाना आकुला था | ४.बाग़ड़ीया देवड़ा :- बीजड़ के क्रमशः लूणा ,तिहुणक व् सबलसिंह हुए | सबलसिंह के वंशज बागड़ीया कहलाते है | बडगांव आकन आदी इनके ठिकाने थे | ५. बसी देवड़ा