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बिका राठौड़ो की खापे


बीका राठौड़:- जोधपुर के राव जोधा जी के पुत्र राव बीका जी के वंशज बीका राठौड़ कहलाते है । राजपुताना इतिहास में बीका राठौड़ो की 24 खापें है । राव बीका जी का विवाह राव शेखा जी भाटी की पुत्री रंगकुंवरी के साथ किया तथा माता करणी जी राव शेखा को मुलतान की केद से छुड़ाकर लाई तब शेखा तो अपनी पत्नी व पुत्र के साथ महल में चले गये व माताजी बाहर ही रह गई जब अन्दर जाकर शेखा को ध्यान आया तो जल्दी से बाहर आया तब देखा की माँ करणी जी रावत कांधल के साथ पोल् (द्वार) में विराजमान है और रावत कांधल जी से हंस हंसकर बाते कर रही है। शेखा ने कहा कि बाई सा आँगन में पधारो तो माताजी ने कहा अब नही अब तो राठोड़ घर आंगने अर भाटिया रे पोले। अब सगा सगा गले मिलो इस प्रकार माँ करणी ने राठौड़ो व् भाटियों में सगप्न करवादी। रावत कांधल ने राव शेखा को गले लगा लिया।

राव रिडमल जी के 24 पुत्र थे- 1 राव अखेराज जी 2 राव जोधा जी 3 रावत कांधल जी 4 राव चाम्पा जी 5 राव मंडला जी 6 राव भाखर जी 7 राव पाताजी 8 राव रूपा जी 9 राव करण जी 10 राव मानडण जी 11 राव नाथो जी 12 राव सांडो जी 13 राव बेरिसाल जी 14 राव अड्मल जी 15 राव जगमाल जी 16 राव लखाजी 17 राव डूंगर जी 18 राव जेतमाल जी 19 राव उदाजी 20 राव हापो जी 21 राव सगत जी 22 राव सायर जी 23 राव गोयन्द जी 24 राव सुजाण जी। उस समय राव कांधल जी, राव रूपा जी, राव मांडल जी, राव नथु जी और राव नन्दा जी ये पाँच सरदार जो जोधा के सगे भाई थे।

राव जोधा जी के पुत्र राव बीका जी अलमस्त स्वभाव के थे । अलमस्त नहीँ होते तो वे जोधपुर राज्य की गद्दी को यो हीँ बात- बात मे छोड देते। उस समय तो बेटा बाप को मार कर गद्दी पे बैठ जाता था। जैसा कि इतिहास मे मिलता है यथा राव मालदेव ने अपने पिता राव गाँगा को गढ की खिडकी से नीचे फेंक कर किया था और जोधपुर की सत्ता हथिया ली थी। इसके विरूद्ध बीकाजी ने अपनी इच्छा से जोधपुर की गद्दी छोडी।
इसके पीछे दो कहानियाँ लोक मे प्रचलित है।
1 - एक तो यह कि, नापा साँखला जो कि बीकाजी के मामा थे उन्होंने जोधाजी से कहा कि आपने भले ही राव सांतल जी को जोधपुर का उत्तराधिकारी बनादे किंतु बीकाजी को कुछ सैनिक सहायता सहित सारुँडे का पट्टा दे दीजिये। वह वीर तथा भाग्य का धनी है। वह अपने बूते खुद अपना राज्य स्थापित कर लेगा। जोधाजी ने नापा की सलाह मान ली। और पचास सैनिकों सहित पट्टा नापा को दे दिया। बीकाजी ने यह फैसला राजी खुशी मान लिया। उस समय कांधल जी, रूपा जी, मांडल जी, नथु जी और नन्दा जी ये पाँच सरदार जो जोधा के सगे भाई थे साथ ही नापा साँखला, बेला पडिहार, लाला लखन सिंह बैद, चौथमल कोठारी, नाहर सिंह बच्छावत, विक्रम सिंह पुरोहित, सालू जी राठी आदि कई लोगों ने बीकाजी का साथ दिया। इन सरदारों के साथ बीकाजी ने बीकानेर की स्थापना की।
2. - बीकाने की स्थापना के पीछे दूसरी कहानी ये है कि एक दिन राव जोधा दरबार मे बैठे थे बीकाजी दरबार मे देर से आये तथा प्रणाम कर
अपने चाचा कांधल से कान मे धीर धीरे बात करने लगे यह देख कर जोधा ने व्यँगय मे कहा “मालूम होता है कि चाचा-भतीजा किसी नवीन राज्य को विजित करने की योजना बना रहे है’।
इस पर बीका और कांधल ने कहाँ कि यदि आप की कृप्या हो तो यही होगा। और इसी के साथ चाचा – भतीजा दोनों दरबार से उठ के चले आये तथा दोनों ने बीकानेर राज्य की स्थापना की। इस संबंध मे एक लोक दोहा भी प्रचलित है
‘ पन्द्रह सौ पैंतालवे, सुद बैसाख सुमेर थावर बीज थरपियो, बीका बीकानेर ‘ इस प्रकार एक ताने की प्रतिक्रिया से बीकानेर की स्थापना हुई वैसे ये क्षेत्र तब भी निर्जन नहीं था इस क्षेत्र मे जाट जाति के कई गाँव थे | इस समय से पहले बिकनेर मे रुनिया का बारह बास विख्यात थे जिनमे शेरेरा, हेमेरा, बदा बास, राजेरा, आसेरा, भोजेरा जेसे12 गान्व शामिल थे जिनमे सारस्वत और गोदारो का वर्चस्व था आदिकाल मे इस जगह पर इनका ही राज्य था, जिनमे सरस गद के राजा सरस जी महाराज और अन्य कइ राजा राज्य करतए थे ! तदन्तर राव बीका जी ने बीकानेर नगर की स्थापना की
राव बीका जी जोधावत बीकानेर राज्य संस्थापक राव बीका जी। बीकानेर नगर की स्थापना राव बीका ने 1488 ई० में की। राव बीका महाराजा जोधा के चौदह पुत्रों में से एक थे।
जोधपुर के राव जोधा जी का बड़ा पुत्र नीबा जोधा की हाडी राणी जसमादे का पुत्र थे । वे पिता को विधमानता में हि मर गए थे । जसमादे के दो पुत्र सांतल और सूजा थे बीका सांतल से बड़े थे ।

जसमादे के बड़े पुत्र नीबा की म्रत्यु हो जाने पर उसके सोतिया डाह उत्पन्न हुआ और राजा से विक्रम ( बीका ) के अनुप्स्थ्ती में अपने पुत्र के विषय में रोचक कथा कही । कपटजाल में आकर विक्रम बीका को जंगल में निकल देने की इच्छा से बीका को बुलाया और कहा हे पुत्र । बाप के राज्य को पुत्र भोगे , यह कोई अचरज की बात नहीं है  परन्तु जो नया राज्य कायम करें वही बेटों में मुख्या कहा जाता है । तुम साहसी हो जांगल देश पर अधिकार करो । जोधपुर का जोधा के बाद गद्दी पर बेठने वाले सांतल से बीका बड़े थे| सांतल की म्रत्यु के बाद जब सूजा गद्दी पर बेठे तो बीका ने सूजा पर आक्रमण किया ।बीकानेर राज्य की जन्म पत्री में बीका का जन्म विक्रमी 1495 अंकित किया है | तथा जोधपुर की जन्म पत्री में बीका का जन्म 1496 अंकित किया है ।टेसीटोरी में मिली दूसरी ख्यात में सूजा का जन्म विक्रमी विक्रमी 1499 है |

अतः इससे प्रसन्न हल नहीं होता है कोन बड़े थे । पर बीका ने सूजा से जोधपुर की पूजनिक चीजों को लेकर हि सूजा से संधि की । इससे भी जाना जाता है की बीका सांतल से बड़े थे। पित्र भक्ति के कारन उन्होंने आपने चाचा कांधल के साथ होकर जांगल प्रदेश पर अधिकार कर नया राज्य स्थापित कर लिया । और सातल को जोधपुर की गद्दी मिलने पर कोई एतराज नहीं किया । इन्ही बीका के वंशज बीका राठोड़ कहलाते है । इनकी खापें निम्न प्रकार है ।

बीका राठौड़ो के सब ठिकानों का विवरण इस प्रकार है –    
01 - घड़सिहोत बीका:- राव बीका जी के पुत्र राव घड़सी जी के वंशज घड़सिहोत बीका कहलाते है । घड़सी के नाम पर घड़सीसर (बीकानेर से पूर्व में) बसा हुआ है । घड़सी के दो पुत्र थे । बड़े पुत्र देवीसिंह को गारबदेसर व छोटे पुत्र डूंगर सिंह को घड़सीसर मिला । यह दोनों इकलड़ी ताजीम वाले ठिकाने थे ।
राव घड़सी जी - राव बीका जी-
02 -राजसिंहोत बीका:- बीका के पुत्र राजसिंह के वंशज ।
03 - मेघराजोत बीका:- बीका के पुत्र मेघराज जी के वंशज ।
04 - केलण बीका:- बीका के पुत्र केलण के वंशज।
05 - अमरावत बीका:- बीका के पुत्र अमरा के वंशज।
06 - बीसावत बीका:- बीका के पुत्र बीसा के वंशज।
07 - रतनसिंहहोत बीका:- लूणकरण के पुत्र रतनसिंह के पुत्र रतनसिहोत बीका कहलाते है। इनका मुख्या ठिकाना महाजन था, रतनसिंह को महाजन मिला था, सिरायत ठिकानों में यह ऐक था । सांगा आमेर की सहायतार्थ बीकानेर की सेना में रतनसिंह शामिल था । रतनसिंह के बाद उनके पुत्र अर्जुनसिंह गद्दी बेठे।मालदेव के विरुद्ध बीकानेर की सहायता मांगने पर बीकानेर की फौज के साथ अर्जुनसिंह भी थे।सूरसिंह के राज्यकाल में जोहियों को दबाने महाजन के उदयभाण ने वीरता पूर्वक युद्ध किया।इसमें माछोटा के पास उनके 18 तथा नोहर के पास २ पुत्र काम आये । महाजन के ठाकुर भीम सिंह ने बीकानेर राजा जोरावर सिंह को समय -समय पर विद्रोहियों को दबाने में सहायता की।महाराजा रतनसिंह ने विक्रमी संवत 1886 में जैसलमेर पर बैरीशाल महाजन के नेत्रत्व में सेना भेजी।बैरीशाल की गतिविधियों से बीकानेर नरेश नाराज हो गया परन्तु क्षमा मांगने पर उन्हें क्षमा कर दिया , कुछ लोगो को मरवा देने से बीकानेर राजा ने फिर महाजन को खालसे कर दिया। बीकानेर नरेश के साथ बैरीशाल के साथ कई वर्षों तक संघर्ष चला फिर समझोता होने पर पुनः महाजन मिल गया। बीकानेर की पब्लिक वर्कर्स कमेटी के सदस्य तथा राज्पुजत हितकारिणी सभा के उप सभापति थे। गंगासिंह ने रजत जयंती पर राजा की उपाधि दी। इसके बाद भूपालसिंह राजा बने।
रतनसिहोत बीकाओं का दूसरा ठिकाना - रतनसिहोत बीकाओं का दूसरा ठिकाना कुंभाणा था। रतनसिंह के सातवे वंशज केशरीसिंह को यह ठिकाना मिला।यह ताजमी ठिकाना था। रतनसिंह के बाद क्रमश अर्जुनसिंह महाजन के शासक हुए। अभय सिंह महाजन के पुत्र भायसिंह के वंशज भायसिहोत बीका कहलाते है । इनका मुख्या ठिकाना राजासर (लूणकर्णसर से 16 मील पूर्व में) था।इसके अतिरिक्त सेनिवाला, बिलोचिया आदी गाँव उनकी जागीर में था।अभय सिंह के पुत्र मोहकम सिंह को कांकडवाला की जागीर मिली ।
08 - प्रतापसिहोत बीका:- बीका के पुत्र लूँणकरण के पुत्र प्रतापसिंह के वंशज प्रतापसिहोत बीका कहलाते है ।
09 - नारनोत बीका:- लूँणकरण के पुत्र बैरसी के पुत्र नारण के वंशज नारनोत बीका कहलाते है । बीकानेर रियासत में मगरासर मैणसर, तेणसर,तेणदेसर ,कातर,बड़ी इनके मुख्या ठिकाने थे । मगरासर दोलड़ी ताजीमवाला ठिकाना था ।
·         बलभद्रोत नारनोत बीका:- नारण के पुत्र बलभद्र के वंशज ठी. महदसर ।
·         भापपोत नारनोत:- नारण के पुत्र भोपत के वंशज है ठी मगरासर ।
·         जैमलोत नारनोत:- नारण के पुत्र जैमल के वंशज है ठी. तेणदेसर ,कातर आदी ।
10 - तेजसिहोत बीका:- लूणकरण के पुत्र तेजसिंह के वंशज ।
11 - सूरजमलोत बीका:- लूणकरण के पुत्र सूरजमल के वंशज ।
12 - करमसिहोत बीका:- लूणकरण के पुत्र करम जी के वंशज ।
13 - रामसिहोत बीका:- लूणकरण के पुत्र रामसिंह के वंशज ।
14 - नीबावत बीका:- लूणकरण के पुत्र रूपा के पुत्र नीबा के वंशज ।
15 - भीमराजोत बीका :- बीकानेर के लूणकरण के पुत्र जैत सिंह के दुसरे पुत्र भीमराज के वंशज भीम्रजोत कहलाते है ।जोधपुर के शासक मालदेव राठोड़ ने बीकानेर पर आक्रमण किया । इसमें बीकानेर के राजा जैतसिंह ने वीरगति प्राप्त पाई । मालदेव का बीकानेर पर अधिकार हो गया । जैतसिंह के पुत्र कल्याणदास सिरसा में राजगद्धी बेठे ।भीमराज शेरसाह के पास गए और शेरशाह की सहायता से मालदेव को बीकानेर से हटाया और आपने भाई कल्याणमल का अधिकार बीकानेर पर करवा दिया । इससे प्रसन्न होकर कल्याणमल ने भीमराज को विक्रमी संवत 1602 में भोमसार की जागीर दी । रायसिंह की अकबर के समय गुजरात पर चढ़ाई होने पर उस युद्ध में भीमराज के पुत्र नारंग ने वीरगति पायी |इनके वंशधर हिम्मत सिंह को गजसिंह ने राजपुरा गाँव जागीर में दिया ।  राजपुरा दोलड़ी ताजीम वाला ठीकाना था । यहीं अमर पूरा , कुशुम्बी , भुवाड़ी आदी भीमराजोत बीकाओं के गाँव है ।
16 - बाघावत बीका:- बीकानेर के राजा जैतसी के पुत्र ठाकुरसी के पुत्र बाघ सिंह के वंशज बाघावत बीका कहलाते है ।बाघसिंह को पहले भटनेर की जागीरी मिली फिर उनके पुत्र रघुनाथ सिंह को भटनेर के स्थान पर नोहर की जागीरी मिली । । इसके बाद नोहर की जगह मेघाणा की जागीरी तथा ताजीम का सम्मान मिला ।

17 - माधोदासोत बीका:- राव जैतसी के पुत्र मानसिंह के पुत्र माधोदास के वंशज ।
18 - मालदेवोत बीका:- लूणकरण के पुत्र जैतसिंह के पुत्र मालदे के वंशज ।
19 - श्रंगोत बीका (सिरंगोत बीका)::- बीकानेर राजा जैतसी के कई पुत्रों में ऐक पुत्र श्रंग़ थे, इनके वंशज श्रंगोत बीका कहलाते है । मालदेव जोधपुर ने जब मेड़ता पर आक्रमण किया तब जयमल राठोड़ ने बीकानेर से सहायता मांगी । बीकानेर नरेश कल्याणमल ने आपने भाई श्रंग को सहायता के लिए भेजा । उनके पुत्र भगवान् दास , रामसिंह द्वारा अहमदाबाद पर चढ़ाई करने के समय उनके साथ रहकर युद्ध किया और वीरगति पायी । इनके पुत्र मनोहर दास के पुत्र किशन सिंह को शोध मुख की जागीरी मिली । भूकरका के ठाकुरों ने बीकानेर की समय -समय पर बहुत सहायता की थी |महाराजा अजीतसिंह द्वारा विक्रमी संवत 1763 में बीकानेर पर आक्रमण करने के समय भूकरका के ठाकुर ने प्रथ्विराज ने वीरता का परिचय दिया | भूकरका के ठाकुर कुशल सिंह स्वाभिमानी तथा बड़े बहादुर थे । विक्रमी संवत 1797 मे अभय सिंह ने जब बीकानेर पर आक्रमण किया तब गढ़ में रहकर कुशलसिंह ने वीरता से अभय सिंह की सेना का मुकाबला किया और किले पर अधिकार न होने दिया | जोरावर सिंह बीकानेर के निसंतान मरने पर कुशलता से आनंद सिंह के दुसरे पुत्र गजसिंह को गद्धी बिठाया । जोधपुर की सहायता से अमर सिंह राजवी ने फिर हमला किया तो कुशलसिंह हरावल में रहकर बीकानेर की रक्षार्थ लड़े  इनके बाद वाले ठाकुरों ने भी समय -समय पर बीकानेर की सहायता की । भुकरका के अतिरिक्त सीधमुख , बाय ,जसाणा , बिरकाली ,मुनसरी,अजीतपुर ,रासलाणा ,कानसर ,रणसीसर ,जवजसर ,शिमला ,थिराणा आदी ठिकाने थे ।
20 - गोपलदासोत बीका:-राव जैतसिंह के पुत्र राव कल्याणमल बीकानेर के पुत्र गोपालदास के वंशज ।
21 - प्रथ्विराजोत बीका :- बीकानेर राजा कल्याणमल के ऐक पुत्र प्रथ्विराज थे । प्रथ्विराज अकबर के दरबार में रहते थे ।वे उस समय के उच्च कोटि के साहित्यकार थे । डिंगल के जबरदस्त विद्वान् थे । उन्होंने वेलिकर्सन रुकमणी जैसे ग्रंथों का निर्माण किया ।कहा जाता हे की महाराणा प्रताप ने निराश होकर अकबर की अधीनता मानने का पत्र लिख दिया | प्रथ्विराज ने हि अपनी ओजस्वी लेखनी से राणा की निराशा को दुर किया | वे जबरदस्त वीर भी थे ।स्वयं अकबर भी इनका सम्मान करता था ।काबुल व अहमदनगर की लड़ाइयों में इन्होने वीरता प्रदर्शित की ।इसी प्रथ्विराज के वंशज प्रथ्वीराजोत बीका कहलाते है | इनका मुख्या ठिकाना ददेरवा के पास हि मैलाणा , पाबासी,मानपुरा ,सेवा ,धोलिया आदी 12 गाँव इनके है । दादरेवा दोलड़ी ताजीम का ठिकाना था ।
22 - किशनसिहोत बीका:- राव कल्याणमल के पुत्र किशनसिंह थे ।इनके वंशज किशनसिहोत बीका कहलाते है । किशनसिहोतों के सांखू (दोलड़ी ताजीम) नीमा (दोलड़ी ताजीम) रावतसर , कुंजाला ( सादी ताजीम ) के ठिकाने थे ।

23 - अमरसिहोत बीका:- बीकानेर राव कल्याणमल के छोटे पुत्र अमरसिंह के वंशज अमर्सिहोत बीका कहलाते है । इनका हरदेसर (दोलड़ी ताजीम) का ठिकाना था ।
24 - राजवी बीका:- महाराजा अनूपसिंह बीकानेर के छोटे पुत्र आनंदसिंह के चार पुत्र थे ।
01 - अमरसिंह
02 - गजसिंह
03 - तारासिंह
04 -गुदड़सिंह
इन चारों पुत्रों के वंशज राजवी कहलाते है | महाराज जोरावरसिंह निसंतान मरने के कारन गजसिंह राजा बनाये गए । गजसिंह के भाई होने के कारन वे राज्य से अधिक निकट थे । अतः इन्हें राजवी कहा गया ।
राजवीयों की उपखाप- राजवीयों की उपखापों में
01 - अमरसिहोत राजवी
02 - तारासिहोत राजवी
03 - गुदड़सिहोत राजवी
राजवीयों का चंगोई इकलड़ी ताजीम का ठिकाना ,गुदड़सिहोत राजवीयों का महेरी इकलड़ी ताजीम का ठिकाना था ।
गजसिंह के पुत्र छत्रसिंह के वंशज ड्योढी वाले राजवी कहलाते है । इनकी उपाधि 'महाराजा ' तथा ताजीम का सम्मान प्राप्त था । इनके अनूपगढ़ ,खारडा व रिड़ी ठिकाने थे । गजसिंह के दुसरे पुत्र सुल्तानसिंह ,मोहकमसिंह ,देवीसिंह ,आदी के वंशज हवेली वाले राजवी कहे जाते है ।  इनमे सुल्तानसिंह के वंशजों के बानिसर,नाभासर व् आलसर ठिकाने थे । मोहकमसिंह के वंशजों कोसाइसर ठिकाना था तथा मारवाड़ में जांभा गाँव था व देवीसिंह के वंशजों के सलुंडीया ,कुरझडी व बिल नियासर ठिकाने थे ।

बीका राठौड़ो का पीढी क्रम इस प्रकार है –    
01 - घड़सिहोत बीका = राव देवीसिँह जी - राव घड़सी जी - राव बीका जी - राव जोधा जी - राव रिडमल जी - राव चुंडा जी - राव विरम देव जी - राव सलखा जी – राव टीडा जी - राव छाड़ा जी - राव जालणसी जी - राव कानपाल जी - राव रायपाल - राव धुहड़ जी - राव आस्थान जी - राव सीहा जी ।
राव डूंगर सिंह जी -राव घड़सी जी - राव बीका जी - राव जोधा जी - राव रिडमल जी - राव चुंडा जी - राव विरम देव जी - राव सलखा जी – राव टीडा जी - राव छाड़ा जी - राव जालणसी जी - राव कानपाल जी - राव रायपाल जी - राव धुहड़ जी - राव आस्थान जी - राव सीहा जी ।
बड़े पुत्र देवीसिँह को गारब देसर व छोटे पुत्र डूंगर सिंह को घड़सीसर मिला । यह दोनों इकलड़ी ताजीम वाले ठिकाने थे ।
02 - राजसिँहोत बीका = राव राजसिंह जी - राव बीका जी - राव जोधा जी - राव रिडमल जी - राव चुंडा जी - राव विरम देव जी - राव सलखा जी – राव टीडा जी - राव छाड़ा जी - राव जालणसी जी - राव कानपाल जी - राव रायपाल जी - राव धुहड़ जी - राव आस्थान जी - राव सीहा जी ।
03 - मेघराजोत बीका= राव मेघराज जी - राव बीका जी - राव जोधा जी - राव रिडमल जी - राव चुंडा जी - राव विरम देव जी - राव सलखा जी – राव टीडा जी - राव छाड़ा जी - राव जालणसी - राव कानपाल जी - राव रायपाल जी - राव धुहड़ - राव आस्थान - राव सीहा जी ।  
4 - केलण बीका (राव केलण जी बीका) = राव केलण जी -- राव बीका जी - राव जोधा जी - राव रिडमल जी - राव चुंडा जी - राव विरम देव जी - राव सलखा जी – राव टीडा जी - राव छाड़ा जी - राव जालणसी जी - राव कानपाल जी - राव रायपाल जी - राव धुहड़ जी - राव आस्थान जी - राव सीहा जी ।
05 - अमरावत बीका = राव अमरा जी - राव बीका जी - राव जोधा जी - राव रिडमल जी - राव चुंडा जी - राव विरम देव जी - राव सलखा जी – राव टीडा जी - राव छाड़ा जी - राव जालणसी जी - राव कानपाल जी - राव रायपाल जी - राव धुहड़ जी - राव आस्थान जी - राव सीहा जी ।
06 - बीसावत बीका:- राव बीसा जी - राव बीका जी - राव जोधा जी - राव रिडमल जी - राव चुंडा जी - राव विरम देव जी - राव सलखा जी – राव टीडा जी - राव छाड़ा जी - राव जालणसी जी - राव कानपाल जी - राव रायपाल जी - राव धुहड़ जी - राव आस्थान जी - राव सीहा जी।
07 - रतनसिँहोत बीका:- राव रतनसिंह जी - राव लूणकरण जी- राव बीका जी - राव जोधा जी - राव रिडमल जी - राव चुंडा जी - राव विरम देव जी - राव सलखा जी – राव टीडा जी - राव छाड़ा जी - राव जालणसी जी - राव कानपाल जी - राव रायपाल जी - राव धुहड़ जी - राव आस्थान जी - राव सीहा जी ।
·         भायसिहोत बीका – भायसिंह - अभयसिंह।
08 - प्रतापसिहोत बीका:- राव प्रतापसिँह जी - राव लूणकरण जी- राव बीका जी - राव जोधा जी - राव रिडमल जी - राव चुंडा जी - राव विरम देव जी - राव सलखा जी – राव टीडा जी - राव छाड़ा जी - राव जालणसी जी - राव कानपाल जी - राव रायपाल जी - राव धुहड़ जी - राव आस्थान जी - राव सीहा जी ।
09 - नारनोत बीका:- राव बैरसी जी - राव लूणकरण जी- राव बीका जी - राव जोधा जी - राव रिडमल जी - राव चुंडा जी - राव विरम देव जी - राव सलखा जी – राव टीडा जी - राव छाड़ा जी - राव जालणसी जी - राव कानपाल जी - राव रायपाल जी - राव धुहड़ जी - राव आस्थान जी - राव सीहा जी ।
·         बलभद्रोत नारनोत बीका:- राव बलभद्र जी – राव नारण जी - राव बैरसी जी ।
·         भोपपोत नारनोत बीका:- राव भोपत जी - राव नारण जी - राव बैरसी जी ।
·         जैमलोत नारनोत बीका:- राव जैमल जी- राव नारण जी - राव बैरसी जी ।

10 - तेजसिँहोत बीका:- राव तेजसिंह जी - राव लूणकरण जी- राव बीका जी - राव जोधा जी - राव रिडमल जी - राव चुंडा जी - राव विरम देव जी - राव सलखा जी – राव टीडा जी - राव छाड़ा जी - राव जालणसी जी - राव कानपाल जी - राव रायपाल जी - राव धुहड़ जी - राव आस्थान जी - राव सीहा जी ।
11 - सूरजमलोत बीका:- राव सूरजमल जी - राव लूणकरण जी- राव बीका जी - राव जोधा जी - राव रिडमल जी - राव चुंडा जी - राव विरम देव जी - राव सलखा जी – राव टीडा जी - राव छाड़ा जी - राव जालणसी जी - राव कानपाल जी - राव रायपाल जी - राव धुहड़ जी - राव आस्थान जी - राव सीहा जी ।
12 - करमसिँहोत बीका:- राव करमसिँह जी - राव लूणकरण जी- राव बीका जी - राव जोधा जी - राव रिडमल जी - राव चुंडा जी - राव विरम देव जी - राव सलखा जी – राव टीडा जी - राव छाड़ा जी - राव जालणसी जी - राव कानपाल जी - राव रायपाल जी - राव धुहड़ जी - राव आस्थान जी - राव सीहा जी ।
13 - रामसिँहोत बीका:- राव रामसिंह जी - राव लूणकरण जी - राव बीका जी - राव जोधा जी - राव रिडमल जी - राव चुंडा जी - राव विरम देव जी - राव सलखा जी – राव टीडा जी - राव छाड़ा जी - राव जालणसी जी - राव कानपाल जी - राव रायपाल जी - राव धुहड़ जी - राव आस्थान जी - राव सीहा जी ।
14 - नीबावत बीका:- राव नीबा जी - राव रूपा जी- राव लूणकरण जी- राव बीका जी - राव जोधा जी - राव रिडमल जी - राव चुंडा जी - राव विरम देव जी - राव सलखा जी – राव टीडा जी - राव छाड़ा जी - राव जालणसी जी - राव कानपाल जी - राव रायपाल जी - राव धुहड़ जी - राव आस्थान जी - राव सीहा जी ।
15 - भीमराजोत बीका:- राव भीमराज जी - राव जैतसिंह जी- राव लूणकरण जी- राव बीका जी - राव जोधा जी - राव रिडमल जी - राव चुंडा जी - राव विरम देव जी - राव सलखा जी – राव टीडा जी - राव छाड़ा जी - राव जालणसी जी - राव कानपाल जी - राव रायपाल जी - राव धुहड़ जी - राव आस्थान जी - राव सीहा जी ।
16 - बाघावत बीका:- राव बाघसिंह जी - राव ठाकुरसी जी- राव जैतसी जी - राव लूणकरण जी- राव बीका जी - राव जोधा जी - राव रिडमल जी - राव चुंडा जी - राव विरम देव जी - राव सलखा जी – राव टीडा जी - राव छाड़ा जी - राव जालणसी जी - राव कानपाल जी - राव रायपाल जी - राव धुहड़ जी - राव आस्थान जी - राव सीहा जी। 
17 - माधोदासोत बीका:- राव माधोदास जी - राव मानसिंह जी- राव जैतसी जी - राव लूणकरण जी - राव बीका जी - राव जोधा जी - राव रिडमल जी - राव चुंडा जी - राव विरम देव जी - राव सलखा जी – राव टीडा जी - राव छाड़ा जी - राव जालणसी जी - राव कानपाल जी - राव रायपाल जी - राव धुहड़ जी - राव आस्थान जी - राव सीहा जी। 
18 - मालदेवोत बीका:- राव मालदे जी- राव जैतसी जी - राव लूणकरण जी - राव बीका जी - राव जोधा जी - राव रिडमल जी - राव चुंडा जी - राव विरम देव जी - राव सलखा जी – राव टीडा जी - राव छाड़ा जी - राव जालणसी जी - राव कानपाल जी - राव रायपाल जी - राव धुहड़ जी - राव आस्थान जी - राव सीहा जी। 
19 - श्रंगोत बीका (सिरंगोत बीका):- राव श्रंग़ जी - राव जैतसी जी - राव लूणकरण जी - राव बीका जी - राव जोधा जी - राव रिडमल जी - राव चुंडा जी - राव विरम देव जी - राव सलखा जी – राव टीडा जी - राव छाड़ा जी - राव जालणसी जी - राव कानपाल जी - राव रायपाल जी - राव धुहड़ जी - राव आस्थान जी - राव सीहा जी। 

20 - गोपालदासोत बीका:- राव गोपालदास जी- राव कल्याणमल जी- राव जैतसी जी - राव लूणकरण जी - राव बीका जी - राव जोधा जी - राव रिडमल जी - राव चुंडा जी - राव विरम देव जी - राव सलखा जी – राव टीडा जी - राव छाड़ा जी - राव जालणसी जी - राव कानपाल जी - राव रायपाल जी - राव धुहड़ जी - राव आस्थान जी - राव सीहा जी। 
21 - प्रथ्विराजोत बीका:- राव प्रथ्वीराज जी- राव कल्याणमल जी- राव जैतसी जी - राव लूणकरण जी - राव बीका जी - राव जोधा जी - राव रिडमल जी - राव चुंडा जी - राव विरम देव जी - राव सलखा जी – राव टीडा जी - राव छाड़ा जी - राव जालणसी जी - राव कानपाल जी - राव रायपाल जी - राव धुहड़ जी - राव आस्थान जी - राव सीहा जी।  
22 - किशनसिँहोत बीका:- राव किशनसिंह जी- राव कल्याणमल जी- राव जैतसी जी - राव लूणकरण जी - राव बीका जी - राव जोधा जी - राव रिडमल जी - राव चुंडा जी - राव विरम देव जी - राव सलखा जी – राव टीडा जी - राव छाड़ा जी - राव जालणसी जी - राव कानपाल जी - राव रायपाल जी - राव धुहड़ जी - राव आस्थान जी - राव सीहा जी।
23 - अमरसिँहोत बीका:- राव अमरसिंह जी- राव कल्याणमल जी- राव जैतसी जी - राव लूणकरण जी - राव बीका जी - राव जोधा जी - राव रिडमल जी - राव चुंडा जी - राव विरम देव जी - राव सलखा जी – राव टीडा जी - राव छाड़ा जी - राव जालणसी जी - राव कानपाल जी - राव रायपाल जी - राव धुहड़ जी - राव आस्थान जी - राव सीहा जी।
24 - राजवी बीका:- महाराजा राजसिँह जी आणादसिँहोत का
आनंदसिंह - अनूपसिंह (अनोपसिँह)
अमरसिंह - आनंदसिंह - अनूपसिंह (अनोपसिँह)
गजसिंह - आनंदसिंह - अनूपसिंह (अनोपसिँह)
तारासिंह - आनंदसिंह - अनूपसिंह (अनोपसिँह)
गुदड़सिंह- आनंदसिंह - अनूपसिंह (अनोपसिँह)
राजवीयों की उपखाप –
अमरसिँहोत राजवी – अमरसिंह - आनंदसिंह - अनूपसिंह (अनोपसिँह)
तारासिँहोत राजवी - तारासिंह - आनंदसिंह - अनूपसिंह (अनोपसिँह)
गुदड़सिहोत राजवी - गुदड़सिंह- आनंदसिंह - अनूपसिंह (अनोपसिँह)
ड्योढी वाले राजवी – छत्रसिंह – गजसिंह -
हवेली वाले राजवी –
01 - सुल्तानसिंह – गजसिंह
02 - मोहकमसिंह - गजसिंह
03 - देवीसिंह- गजसिंह
सुरजनोत बीका - सुरजन जी का यह शाखायेँ आगे चलकर समाप्त हो गयी।

ख्यात अनुसार पीढी क्रम ईस प्रकार है -
01. महाराजराजा यशोविग्रह जी (कन्नौज राज्य के राजा)
02. महाराजराजा महीचंद्र जी
03. महाराज राजा चन्द्रदेव जी
04. महाराजराजा मदनपाल जी (1154)
05. महाराज राजा गोविन्द्र जी
06. महाराज राजा विजयचन्द्र जी जी (1162)
07. महाराज राजा जयचन्द जी (कन्नौज उत्तर प्रदेश 1193)
08. राव राजा सेतराम जी
09. राव राजा सीहा जी (बिट्टू गांव पाली, राजस्थान 1273)
10. राव राजा अस्थान जी (1292)
11. राव राजा दूहड़ जी (1309)
12. राव राजा रायपाल जी (1313)
13. राव राजा कान्हापाल जी (1323)
14. राव राजा जलमसी जी (राव जालण जी) (1328)
15. राव राजा चड़ा जी (राव छाडा जी) (1344)
16. राव राजा तिडा जी (राव टीडा जी) (1357)
17. राव राजा सलखा जी (1374)
18. राव बीरम जी (राव विरम देव जी)
19. राव चुंडा जी
20. राव रणमल जी (राव रिङमाल जी)
21. राव जोधा जी
22. राव बीका जी
·         राव घड़सी जी (राव बीका जी के पुत्र)
1.  राव देवीसिँह जी (राव घड़सी जी के पुत्र)
2.  राव डूंगर सिंह जी (राव घड़सी जी के पुत्र)
·         राव राजसिंह जी (राव बीका जी के पुत्र)
·         राव मेघराज जी (राव बीका जी के पुत्र)
·         राव केलण जी (राव बीका जी के पुत्र)
·         राव अमरा जी (राव बीका जी के पुत्र)
·         राव बीसा जी (राव बीका जी के पुत्र)
·         राव लूणकरण जी (राव बीका जी के पुत्र)
1.  राव रतनसिंह जी (राव लूणकरण जी के पुत्र)
2.  राव प्रतापसिँह जी (राव लूणकरण जी के पुत्र)
3.  राव बैरसी जी (राव लूणकरण जी के पुत्र)
4.  राव तेजसिंह जी (राव लूणकरण जी के पुत्र)
5.  राव सूरजमल जी (राव लूणकरण जी के पुत्र)
6.  राव करमसिँह जी (राव लूणकरण जी के पुत्र)
7.  राव रामसिंह जी (राव लूणकरण जी के पुत्र)
8.  राव रूपा जी (राव लूणकरण जी के पुत्र)
9.  राव जैतसिंह जी (राव लूणकरण जी के पुत्र)

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