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अरड़कमलोत राठौड़


अरड़कमलोत राठौड़:- राव चुंडा जी के पुत्र राव अरिडमल जी (राव अरड़कमल जी उर्फ अरड़कमलोत वीर) थे । राठौड़ों और भाटियों के शत्रुता के कारण शार्दुल भाटी जब कोडमदे मोहिल से शादी कर लोट रहा था । तब राव अरड़कमल जी ने रास्ते में युद्ध के लिए ललकारा और युद्ध में शार्दुल भाटी व राव अरड़कमल जी दोनों हि वीरता से लड़े शार्दुल भाटी वीरगति प्राप्त हुए और राणी कोडमदे सती हुयी। अरड़कमल भी उन घावों से कुछ दिनों बाद मर गए । इस अरड़कमल के वंशज अरड़कमल राठौड़ कहलाये ।

राव चुंडा जी- राव विरम देव के छोटे पुत्र राव चुंडा थे ।राव वीरम देव की मृत्यु होने के बाद माता मांगलियानी इन्हें लेकर अपने धर्म भाई आल्हो जी बारठ के पास कालाऊ गाँव में लेकर आगई वहीं इनका पालन पोसण हुआ तथा आल्हा जी ने इन्हें युद्ध कला में निपुण किया ओर बड़े होने पर मल्लीनाथ जी के पास आगये तब इन्हें सलेडी गाँव की जागीर मिली ।चुंडा जी ने अपनी शक्ति बढाई तथा नागोर के पास चुंडासर गाँव बसाया इस अपने शक्ति केंद्र बना कर पहले मण्डोर विजय किया तथा उसे अपनी राजधानी बनाया। इसके बाद नागोर के नवाब जलालखां खोखर पर हमला कर उसे मार कर नागोर पर अधिकार करलिया फिर फलोदी पर अधिकार करलिया ।तथा सुख पूर्वक शासन करने लगे। फिर भाटी केलन ने मुल्तान के नवाब फिरोज से सहायता लेकर फोज लेकर आगया लेकिन राव चुंडा को परास्त करना उनके बस में नहीं था अतः धोखे से राव चुंडा को संधि के लियेबुलाया तथा हमला करदिया राव चुंडा तथा उनके साथी नागोर की रक्षा करते हुए गोगालाव नामक स्थान पर विक्रम सम्वत 1475बैसाख बदी1 (15मार्च1423)को वीरगति को प्राप्त हुए। उनके साथ राणी समंदर कंवर सांखली सती हुई। इनके चोदहपुत्र तथा एक पुत्री हंसकंवर थी ।

राव चुंडा जी-के चोदहपुत्र

·         01 राव सत्ता

·         02 राव रिडमल जी

·         03 राव अरिड मलजी उर्फ राव अरड़कमल जी

·         04 राव रण धीर

·         05 राव सहस मलजी इनके वंशज सहसमलोत

·         06 राव अर्जुन

·         07 राव भीम इनके भिमावत

·         08 राव राजसी

·         09 राव रामो जी

·         10 राव पूनो जी इनके पुनावत

·         11 राव कान्हो जी इनके कानावत

·         12 राव लूंबा जी इनके लुमबावत

·         13 राव जेसी

·         14 राव सुरतान

अरड़कमलोत राठौड़ो का पीढी क्रम इस प्रकार है –  

राव अरिडमलजी उर्फ राव अरड़कमल जी - राव चुंडा जी - राव बीरम जी (राव विरम देव जी) – राव राजा सलखा जी - राव तिडा जी (राव टीडा जी) - राव चड़ा जी (राव छाडा जी) - राव जलमसी जी (राव जालण जी) - राव राजा कान्हापाल जी - राव राजा रायपाल जी - राव राजा दूहड़ जी - राव राजा अस्थान जी - राव सीहा जी

ख्यात अनुसार पीढी क्रम ईस प्रकार है -

01. महाराजराजा यशोविग्रह जी (कन्नौज राज्य के राजा)

02. महाराजराजा महीचंद्र जी

03. महाराज राजा चन्द्रदेव जी

04. महाराजराजा मदनपाल जी (1154)

05. महाराज राजा गोविन्द्र जी

06. महाराज राजा विजयचन्द्र जी जी (1162)

07. महाराज राजा जयचन्द जी (कन्नौज उत्तर प्रदेश1193)

08. राव राजा सेतराम जी

09. राव राजा सीहा जी (बिट्टू गांव पाली, राजस्थान1273)

10. राव राजा अस्थान जी (1292)

11. राव राजा दूहड़ जी (1309)

12. राव राजा रायपाल जी (1313)

13. राव राजा कान्हापाल जी (1323)

14. राव राजा जलमसी जी (राव जालण जी) (1328)

15. राव राजा चड़ा जी (राव छाडा जी) (1344)

16. राव राजा तिडा जी (राव टीडा जी) (1357)

17. राव राजा सलखा जी (1374)

18. राव बीरम जी (राव विरम देव जी)

19. राव चुंडा जी

20. राव अरिडमलजी (राव चुंडा जी के पुत्र)

                            

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