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डांगी(डांगी के वंशज ढोली हुए)


(डांगी के वंशज ढोलि हुए)

डांगी- राव डांगी जी के वंशज ढोली कहलाये। राव डांगी जी के पास किसी प्रकार कि भूमी नहीँ थी व ईसने डूमन या ढोली जाती कि लङकी से शादी कि तत्तसन्तान कही ढोली तो कहीँ डांगी नाम से बसते है। राव डांगी जी के वंशज ढोली कहलाये।

यहाँ स्पष्ट कर देता हूँ कि ङाँगी से ढोली जाती नही बनी ढोली जाती तो अन्य जातीयोँ की तरह पिढी दर पिढी चली आ रही है। कहीँ ढोली तो कही नगारसी पुकारा जाता था क्योकि ये लोग ढोल और नगाङे के साथ गाने बजाने का काम करते थे। मगर डाँगी ने किसी कारण वंश ढोली जाती की लङकी से शादी कि थी। जिससे आगे का वंश राजपूत न रहकर ढोली वंश बन गया। व डागी के वंशज राजपूतो से अलग हो गये मगर ईनके रिश्ते नाते जाने अनजाने मे जिन राजपूत या राजपूतोँ से निकली जातीयोँ मेँ हुये वही नख बन गयी। जिस प्रकार डागी के किसी वंशज ने सोनगरा या चौहान कि लङकी से शादी की तो उसकी सन्नताने माँ कि नख का प्रयोग हुआ और बाद मे वही से उन की नख या खांप शुरू हो गयी। राजस्थान मे जहाँ जहाँ राठौङ राजपूत फैला वैसे वैसे ढोली जाती भी ईनके आस पास आबाद होती गयी।जो सिल सिला आज तक कायम है।

डांगी के वंशज ढोलि हुए ईनका पीढी क्रम ईस प्रकार है-

ढोली जाती (राव डांगी जी के वंशज) - राव डांगी जी -राव रायपाल जी – राव धुहड़ जी -राव आस्थान जी- राव सीहा जी।

ख्यात अनुसार पीढी क्रम ईस प्रकार है -

01. महाराजराजा यशोविग्रह जी (कन्नौज राज्य के राजा)

02. महाराजराजा महीचंद्र जी

03. महाराज राजा चन्द्रदेव जी

04. महाराजराजा मदनपाल जी (1154)

05. महाराज राजा गोविन्द्र जी

06. महाराज राजा विजयचन्द्र जी जी (1162)

07. महाराज राजा जयचन्द जी (कन्नौज उत्तर प्रदेश1193)

08. राव राजा सेतराम जी

09. राव राजा सीहा जी (बिट्टू गांव पाली, राजस्थान1273)

10. राव राजा अस्थान जी (1292)

11. राव राजा दूहड़ जी (1309)

12. राव राजा रायपाल जी (1313)

13. राव डांगी जी (राव डांगी जी ने डूमन या ढोली जाती कि लङकी से शादी कि तत्तसन्तान कही ढोली तो कहीँ डांगी कहलाये।)

                          

टिप्पणियाँ

  1. Jai mata ji aap itihaas k ache jaankaar hai parantu aap nai kuch tathyon ko ispasht nahe kiya j Sa ki Dangi Ji yadi Doman ya Dholi ladki sai vivaah kar liya tou un ki pidhi ka kya hua vartmaan mai kai RAO RAJA h jin ki Mata dusre samaj ya Dharam ki hai ...tou Dangi ji k Damami he kyun hue shri Maan Jo randhawal h jin ko Raj damami kaha ja ta hai WO aap ki Jaan kari k liye bata dun shudh Rajparivaar k sadasy ho tai Thai ye mai nahe Rajparivaaron ka vansh parichay mai likha h doubt ho tou Haridwar k andar sampurn ithihaas sanrakshit h .kam sai kam shudh rajputon ko is ka Pura gyan hai ...Mewar Darbar,shahpuradhish,Gujarat darbar V Jodhpur Darbar mai sampurn Vansh k vanshjon ka ithihaas surakshit h k WO kin Rajpariwaron v thikanedaro mai sai thai...Jai mata Ji

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  2. or jai sa aap is mai bata rahai h ki chouhano ki ladki sai shadi kar li tou kya ye itna aasan tha ki anay Rajpoot apni ladkiyon ki shadiyan Daangi ji k Dhooli santano sai karwa dai tai thai or Rathore itne kamjor thai ki unki Khaanp laga nai ki Jagha Maan Ki khaanp laga ni padi..ti thee..... shri maan Thoda Ithihaas ki sahi Jaan kari lai k aao .."Kah nai waalon sai soun nai waala Jyada Chatur Ho ta hai."
    aap you tube par Raj Damamiyon ka ithihaas ki kuch Jaan kari praapt Kar saktai hai. Randhawal ka Kaam Ranjeet Nagara baja na ho ta tha 1 haat sai talwaar 2sre sai nagara or kai Randhawal Jhujaar bhi hai jin ki aaj bhi CHATRIYAN BANI HAI. sab sai pahle dushman sena nagaara Nishan kabje mai karne k liye aage badhti thi or us raaja ko haara hua maan liya jaa ta tha.
    Bhatiyon mai sai bhi 1 khaanp nikli hai Dagga or Babbi.
    koi shak ho tou aap k Bade bujurgon sai sampark kare.Jai Mata JI

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  3. kripaya is mai sanshodhan kare or Dholi shabad hata kar Rajdamami ya Randhawal likhe..... kyun k har Jaat ka admi aaj kal dhool baja ta hua mil jaye ga dhooli or Rajdamai mai utna he fark hai jitna Rajput or any 2rajpoot mai. Dangi rathore sirf ranjeet nagara baja tai thai.jai mata ji jai shri shayam

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  4. उत्तर
    1. Q rathore ki shadi dholi s nhi ho sakti kya jb rathore present time m bhangiyo s kr rhe h bhaisahab hr jati ka astitav hota h dholi jati k bhi mahan raja hue h or ha for your kind information bina soche samje kuch bhi mt bola karo rawal jo shabd h na wo apne ap m mahan h unik h bura mt manna lekin yhi such h

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    2. भाई कोई ढोली की लड़की सै शादी नही की थी डांगी जी को जैसलमेर के राजा द्वारा बंदी बना लिया जाता है क्यूं के शुरू सै राठौर ओर भटियों का युद्ध हो ता रहा है वहां डांगी जी को नगाड़े पर बिठा दिया जा ता है जब जब भाटी राजा आए tou vo Nagada bajaye Jodhpur के बड़े शुरिविर युधा उनको जैसलमेर सै चुडा के ले के आते है तब डांगी जी उन्ही भाटियों के खिलाफ युद्ध मै नगाड़ा बजा के युद्ध करते है तब सै जोधपुर दरबार ने रंजीत नगाड़े पर उनके वंशजों को बिठाया ओर वो नंगार्ची या राज दमामी कहलाए जो मारवाड़ की जीत का डंका बजाते है इस लिए राठौर रणबंका कहलाते ओर उन को डांगी राठौड़ राठौर कह राजदरबार में आज भी इनकी उतनी ही इज्जत व सम्मान है जितना अन्य ठिकानेदारों का

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  5. रजदामामी मुगल काल सै पहले रण धवल कहलाते थे,,,1000,% शुद्ध राजपूत ओर स्वामिभक्त जाती हैं इतिहास मै विदित है ,कोई भी राजपूत अपने राव सै उनकी पोथी की कसम दिलवा के पता करसक्ता है ,,,ये 1 मात्र a sa samuday hai Jo स्वामिभक्ति के चलते अपनी बेजत्ती भी करवा रहा है आज खुद इनके भाई राजपुत ही ढोली ढोली कर रहें है जो नादान है जिनको इनके इतिहास के बारे मै पता नही है वो ऐसा करते है ,,,,थोड़ा पता करना क्यूं शादियों मै ढोल की पूजा हो ती है, राणा जी के तिलक लगाया जा ता है राजपरिवार की लेडिज पहले राणा जी के पांव लगती है,क्यूं उन के नेग लगता है,क्यूं इनके घर गढ़ मै या उस के बिल्कुल लगे हो तै हैं ,जानना डोयदी मै की सी पुरुष की एंट्री nahe ho tai par Rana ji yani rajdamami ko koi रोक नही हो ती ,यदि इन सब सै भी समझ ना आ रहा हो tou ki c pure blood Rajput Old person ya बुजुरगों sai jankari le saktai hain,
    इतिहास की कुछ बताओ को bohat छुपा कर रखा गया है जिन ठिकानों ने इनका सम्मान बंद करदिया है उन का अस्तित्व ही ख़तम हो गया ,,ये देवी के उपासक है ढोल ओर नगाड़े मै देवी का वास हो ता है ओर ये उस के उपासक है बुरा लगा हो tou maaf karna par satay sai awgat karwana Jaruri hai ,,,,,Jai mata Ji

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  6. Dangi sai Jyada tou Dholi ki ladki power full thi vaah dhany ho a sai Dholi ladki k maat pita ...Jin ko 1 Raaja ka fakir ladka apna Naam or Jaati 2 9 na De saka ,,,....or Namaskar h a sai History likhne walon ko jin ko Such likhne ki himmat nahe ho ti रण धवल राजपूतों का इतिहास देखो आप ऑनलाइन जिस को दबा ओर छुपा दिया गया है। रणबंका राठौर क्यूं कहते है राठौड़ को ये बताए मै राठौड़ कुल की बहुत इज्जत करता हूं इस लिए शुद्ध इतिहास लिखे लिखना है तो इनको ढोली ना लिखे राणा जी या रण धवल राजपुत लिखें

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  7. वा डांगी के ढोली हुए तो अब ढोल वोल सब बंद डालो अपने अपने गले मै ओर सब बजाओ ओर बन जाओ डांगी जी के वंशज वाह इतिहासकार जी

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  8. ढोली राजपूत नही हो ते वो कोई भी हो सकते की सी भी जाति के हो सकते है पर जो राजपरिवार मै से चुने जा ते थे उन को राज दमामी या Randhaval बनाया जा ता था वो शुद्ध राजपूत हो ते है उन के नाम के पीछे राजपूत गोत्र लगता है सारे रीति रिवाज क्षत्रीय वाले हो ते है इतिहास कारो ने इतिहास छुपाया है शायद उन को शंका महसूस हुईं पर इस का जिम्मेदार राजपूत समाज ही है जब घर का ही इज्जत नही करे गा तो बाहर वाले को कोन रोके गां नही तो मजाल किसी ओर की खुद को शुद्ध राजपूत बता के दिखाए ...आज कल खूब ठाकुर, कुंवर, ओर सिंह लगा ते है राजपूतों की कॉपी करते है पर राजपूत तो नही कह सकते खुद को ओर इं तथाकथित लोगो ने है राज दमामियो को ज्यादा बदनाम किया है क्यूं के बाकी सब को दान लगता था ओर RajDamami को नेग जो सिर्फ परिवार के सदस्य को लगता हैं

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  9. भाई बिना जानकारी के राठौड़ राजपूत वंस को बदनाम मत करो

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  10. मीराबाई जब द्वारका आई (1542 CE), उस समय वहाँ कौन से बाढे़ल राठौड राजा का शासन था? उसका नाम और कार्यकाल की कुछ जानकारी मिल सकती है? धन्यवाद!!!

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  11. युद्ध में रणभेरी बजाने का काम संभाल कर राठौड़ राजपूत से अलग हुए डांगी जाति के राणाऔ मे जोधपुर महाराज श्री रामसिंह के समय पाल गांव की जागीर अमरा नाम के राणा (डांगी) को इनायत की गई थी। ।उसकी बहिन का विवाह महाराज रामसिंह के साथ हो रखा था। मैं राववर्णा राजपूत हूँ और इनकी तहेदिल से इज्जत करता हूँ।

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    उत्तर
    1. आप सच्चे व्यक्ति और शुद्ध रक्त के व्यक्ति है हुकम आप के इन शब्दों और जानकारी के लिए हार्दिक धन्यवाद बाकी लोगो ने द्वेष और जलन से आज राणा या दमामी राजपूत को ढोली बना दिया ...जब की वास्तिविक रूप से ढोल हरिजनों द्वारा बाज्या जा ता है जय माता जी

      हटाएं
  12. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  13. मे डांगी राणा हूँ और मे मेरी जाती का इतिहास पढ़कर बहुत खुश हूँ और मुझे मेरी ढोली समाज मे ये संदेश भेजने से बड़ी खुशी होगी

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  14. यहां ये स्पष्ट कर दूं के आज रणधवल या दमामी राजपूत का जो पतन हुआ है ये 200 सालो मैं हुआ है जिस प्रकार राजशाही का हुआ ...इस मैं पूरी गलती राजदमामी समाज की हैं की उन्होंने खुद का शोषण हो ने दिया ये स्वामी भक्ति नही कायरता और गुलामी की निशानी हों गई क्यों की ठिकाने को दमामी नगाड़ा और निशान राजा से मिलता था युद्ध मैं वीरता दिखाने पर लेकिन 18 वी शताब्दी के निकम्मे राजाओं और बाद के ठाकुरों ने इन को मनोरंजन के काम मैं ले ना शुरू कर दिया क्यों के युद्ध बंद हो गए और इस का श्रेय भी कुछ चाटुकार समाज जो की खुद को ही राजा समझ बैठे उन गुलामों को जाता है इन लोगो ने ही राजा महाराजा के कान भर भर के इनको राजपूत समाज से जो इनकी खुद की थी से दूर कर दिया ....इतिहास गवाह है इन लोगो ने जितनी गर्दन कटवाई है उतना उन को इतिहास मैं सम्मान और जगह नहीं दी गई इन तथाकथित इतिहासकारों की वजह से इन लोगो का इतिहास दुनियां के सामने नहीं आया पर सत्य कभी छिपता नही ...जब दुर्दशा हुई तो मजबूरी मैं इन लोगो ने भी उस को अपना भाग्य समझ कर इस को अपना पेशा बना लिया और अब आजादी के बाद आरक्षण का सहारा ले कर आज स्वर्ण से एससी मैं खुद को जबरदस्ती डाल लिया महज थोड़े से फायदे के लिए पर आज भी जो स्वाभिमानी दमामी राजपूत है या रणधवल राजपूत है वो अपने इज्जत और मर्यादा से जीवन जी रहे है और कोई भी व्यक्ति मर्यादा लांघे तो उस का मुंह तोड़ने का दम रखते है क्यों की वो शुद्ध रक्त राजपूत है ....आप जे से लेखकों से या गलत इतिहास लिखने से कोई फर्क नही पड़ता आप के पूर्वजों को लजा रहे हो बस.
    लक्ष्यराज सिंह सोलंकी ठिकान आतरोली (जिला नागौर)

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  15. दांगी राजपूतों का इथाश छिपाया गया हे जानबूझ कर लिकिन छुपने बाला नही है गुगल पे सर्च करे दांगी कच्छ वह राजपूत इठाश

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  16. दांगी समाज के साथ खिलवाड़ ना करें कोई

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