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छप्पनिया राठौड़


छप्पनिया राठौड़ :- छप्पनिया राठौड़ो का उद्गम स्थलमेवाड़ से सटा हुआ मारवाड़ की सीमा पर छप्पन गाँवो का क्षेत्र है जो (छप्पनिया) छप्पन का क्षेत्र कहलाता है।यहाँ के राठौड़ छप्पनिया राठौड़ कहलाये।  

यह खांप बागड़ीया राठौड़ो से निकली है। उदयपुर रियासत में कणतोड़ गाँव की जागीरी थी। डूंगरपुर-बांसवाड़ा का क्षेत्र बागड़ (वार्गट, वागड़) कहलाता था।  

छप्पनिया राठौङ का पीढी क्रम ईस प्रकार है-  

छप्पनिया राठौङ - बागड़ीया राठौङ - राव रामा जी –-राव चुडा जी- राव वीरम- राव सलखा जी- राव तिडा जी- राव चड़ा जी- राव जलमसी जी- राव कान्हापाल जी- राव रायपाल जी - राव दूहड़ जी- राव अस्थान जी-राव सीहा जी।

(छप्पनिया राठौङ खांप बागड़ीया राठौड़ो से निकलीहै।)

मेवाड़ -   मेवाड़, राजस्थान के दक्षिण मध्य में स्थित एक प्रसिद्ध रियासत थी। इसमें आधुनिक भारत के उदयपुर,भीलवाड़ा, राजसमंद तथा चित्तौड़गढ़ ज़िले सम्मिलितहै।   

डूंगरपुर तथा उदयपुर के दक्षिणी भाग में प्राचीन 56गांवों के समूह को ""छप्पन'' नाम से जानते हैं। छप्पन का मैदान - बाँसवाडा व प्रतापगढ़ के बीच स्थित माही बेसिन के छप्पन ग्राम समुहोँ का क्षेत्र है।     

मारवाड़ की सीमा पर मेवाड़ से सटा हुआ, मेवाड़रियासत के दक्षिण का यह जंगली भाग  - मेवाड़ से दक्षिण की ओर पहाड़ियों की ऊँचाई बढ़ती गई है, वहीं घाटियाँ नीची होती गई हैं। ऊपरी हिस्से की अपेक्षा जंगल अधिक सघन है, लेकिन इसके ऊँचे-नीचे हिस्से को पार करने के बाद खुली हुई भूमि है, जिसमें बहुत से गाँव बसे थे तथा ईन में खेती-बाड़ी होती थी। बाँसवाडा व प्रतापगढ़ के बीच स्थित माही बेसिन के छप्पन ग्राम समुहोँ का क्षेत्र छप्पन का मैदान  या छप्पन गाँवो का क्षेत्र छप्पन का क्षेत्र था। यह जंगली भाग 'छप्पन' के नाम से जाना जाता था। मेवाड़ से सटा हुआ मारवाड़ की सीमा पर छप्पन गाँवो का क्षेत्र छप्पन का क्षेत्र था। मेवाड़ रियासत के दक्षिण का यह जंगली भाग 'छप्पन'के नाम से जाना जाता था है। मेवाड़ के पश्चिम की ओर की समस्त पहाड़ी दूरी दक्षिण में डूंगरपुर की सीमा से उत्तर में सिरोही व मारवाड़ की सीमा तक 'मगरा'कहलाती थी।  

ख्यात अनुसार पीढी क्रम ईस प्रकार है -

1. महाराजराजा यशोविग्रह जी (कन्नौज राज्य के राजा)

2. महाराजराजा महीचंद्र जी

3. महाराज राजा चन्द्रदेव जी

4. महाराजराजा मदनपाल जी (1154)

5. महाराज राजा गोविन्द्र जी

6. महाराज राजा विजयचन्द्र जी जी (1162)

7. महाराज राजा जयचन्द जी (कन्नौज उत्तर प्रदेश1193)

8. राव राजा सेतराम जी

9. राव राजा सीहा जी (बिट्टू गांव पाली, राजस्थान1273)

10. राव राजा अस्थान जी (1292)

11. राव राजा दूहड़ जी (1309)

12. राव राजा रायपाल जी (1313)

13. राव राजा कान्हापाल जी (1323)

14. राव राजा जलमसी जी (1328)

15. राव राजा चड़ा जी (1344)

16. राव राजा तिडा जी (1357)

17. राव राजा सलखा जी (1374)

18.राव राजा विरमदेव जी (1383)

19.राव राजा चूण्डा जी (1422)

यह खांप बागड़ीया राठोड़ों से निकली है। उदयपुर रियासत में कणतोड़ गाँव की जागीरी थी। डूंगरपुर-बांसवाड़ा का क्षेत्र बागड़ (वार्गट, वागड़) कहलाता था। 

 

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