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भगवान श्री राम से पहले राठौड़ वंस का इतिहास

भगवान श्री राम से पहले राठौङ वंश का इतिहास

इक्ष्वाकु वंश की पूरी वंशावली

उपर्युक्त जानकारी कालिदास के महाकाव्य रघुवंश के अनुसार है किन्तु रघुवंश नाम पड़ने के पहले इस वंश का नाम 'इक्ष्वाकु वंश' था। वाल्मिकी रामायण के अनुसार इक्ष्वाकु वंश की पूरी वंशावली इस प्रकार है जो वाल्मिकी रामायण में राम के विवाह प्रसंग में आयी है।

"आदि रूप ब्रह्मा जी से मरीचि का जन्म हुआ।

01 - ब्रह्मा जी से मरीचि का जन्म हुआ।

02 - मरीचि के पुत्र कश्यप हुये।

03 - कश्यप के पुत्र विवस्वान हुये।

04 - विवस्वान के पुत्र वैवस्वत मनु हुये।

मनु अयोध्या के सर्वप्रथम सूर्यवंशी शासक राजा हुये। 

05 - वैवस्वत मनु के पुत्र इक्ष्वाकु हुये।

इक्ष्वाकु कुल - इक्ष्वाकु ने अयोध्या को अपनी राजधानी बनाया और इस प्रकार इक्ष्वाकु कुल की स्थापना की।

06 - इक्ष्वाकु के पुत्र कुक्षि हुये।

07 - कुक्षि के पुत्र विकुक्षि हुये।

08 - विकुक्षि के पुत्र बाण हुये।

09 - बाण के पुत्र अनरण्य हुये। 

10 - अनरण्य के पुत्र पृथु हुये।

11 - पृथु के पुत्र त्रिशंकु हुये।

12 - त्रिशंकु के पुत्र धुन्धुमार हुये।

13 - धुन्धुमार के पुत्र युवनाश्व हुये।  

14 - युवनाश्व के पुत्र मान्धाता हुये।

15 - मान्धाता के पुत्र सुसन्धि हुये। 

16 - सुसन्धि के दो पुत्र हुये –

•     01 - ध्रुवसन्धि

•     02 - प्रसेनजित

17 - ध्रुवसन्धि के पुत्र भरत हुये।

18 - भरत के पुत्र असित हुये।

19 - असित के पुत्र सगर हुये।

20 - सगर के पुत्र असमंज हुये।

21 - असमंज के पुत्र अंशुमान हुये।

22 - अंशुमान के पुत्र दिलीप हुये। दिलीप की पत्नी सुदक्षिणा थी।

23 - दिलीप के पुत्र भगीरथ हुये। इन्हीं भगीरथ ने अपनी तपोबल से गंगा को पृथ्वी पर लाया।

24 - भगीरथ के पुत्र ककुत्स्थ हुये।

25 - ककुत्स्थ के पुत्र रघु हुये।

26 - रघु के पुत्र प्रवृद्ध हुये। रघु के पुत्र प्रवृद्ध जो एक शाप के कारण राक्षस हो गये थे, इनका दूसरा नाम कल्माषपाद था।

रघुवंश - रघु के अत्यंत तेजस्वी और पराक्रमी नरेश होने के कारण उनके बाद इस वंश का नाम रघुवंश हो गया।

27 - प्रवृद्ध के पुत्र शंखण हुये। 

28 - शंखण के पुत्र सुदर्शन हुये। 

29 - सुदर्शन के अग्निवर्ण हुये। 

30 - अग्निवर्ण के पुत्र शीघ्रग हुये। 

31 - शीघ्रग के पुत्र मरु हुये।

32 - मरु के पुत्र प्रशुश्रुक हुये।

33 - प्रशुश्रुक के पुत्र अम्बरीष हुये।

34 - अम्बरीष के पुत्र नहुष हुये।  

35 - नहुष के पुत्र ययाति हुये।

36 - ययाति के पुत्र नाभाग हुये।

37 - नाभाग के पुत्र अज हुये। अज ने विदर्भ की राजकुमारी इंदुमति के स्वयंवर में जाकर उन्हें अपनी पत्नी बनाया । अज अपनी पत्नी इन्दुमति से बहुत प्रेम करते थे। एक बार नारदजी प्रसन्नचित्त अपनी वीणा लिए आकाश में विचर रहे थे। संयोगवश उनकी विणा का एक फूल टूटा और बगीचे में सैर कर रही रानी इंदुमति के सिर पर गिरा जिससे उनकी मृत्यु हो गई। राजा अज इंदुमति के वियोग में विह्वल हो गए और अन्त में जल-समाधि ले ली। 

38 - अज के पुत्र दशरथ हुये।

39 - दशरथ के चार पुत्र हुये - इस प्रकार भगवान श्री राम का जन्म मनु की चालिसवीँ पिढी मेँ हुआ।

    01 - भगवान श्री राम

    02 - भरत

    03 - लक्ष्मण

    04 – शत्रुघ्न 

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