हटूकिया राठौङ :- राव सोनग जी के वंशज हस्तीकुण्डी ( हटुंडी ) में रहे वे हटूंडीया राठौङ कहलाये। उसके वंशज हटूंणडीया राठौङ है।
जोधपुर इतिहास में ओझा लिखते है की राव सीहा जीसे पहले हटकुण्डी में राष्ट्र कूट बाला प्रसाद राज करताथा ।
हटूकिया राठौङ का पीढी क्रम इस प्रकार है-
राव सोनग जी के वंशज - राव सोनग जी - राव सीहा जी- राव सेतराम जी।
प्रसिद्ध जैन मंदिर राता महावीरजी के नाम से विख्यात प्राचीन मंदिर जवाई बान्ध रेल्वे स्टेशन से 20किलोमीटर दूर पूर्व दिशा की ओर बीजापुर गांव के पास5 किलोमीटर दूर एकांत जंगल में अरावली पर्वत शृंखलाऒं के बीच स्थित है। प्राचीन पांडुलिपियों-शिलालेखों के आधार पर कभी यहां विशाल नगरी के रूप में थी। इस नगरी को हस्तिकुंडी या हथूण्डी के नाम से पुकारा जाता था और यह राष्टकुटों की राजधानी थी।यहां के राजा के पास असंख्य हाथी थे। इसी हस्ति सेना के बल पर राष्ट्रकूटों ने दूर-दूर तक अपना साम्राज्य का विस्तार किया था। यही कारण है कि राता महावीरजी की प्रतिमा के नीचे जो सिंह का जो लांछन अंकित है उसका मुख हाथी का है। संभवत: हाथियों से इस नगरी की प्रसिद्धि हुई होगी इसलिए इसका नाम हस्तीकुंडी पड़ा हो। यहां नदी के दोनों ओर साठ कुएं और नौ बावड़ियां तथा सोलह सौ पनिहारियों की लौकिक युक्तियां आज भी इस प्रदेश में चरितार्थ होती है।
संवत 1080 में महमूद गजनवी ने सोमनाथ जाते पहले नाडोल के रामपाल चौआण व बाद में हस्तीकुण्डी के दत्तवर्मा राठौड़ से युद्ध किया। इस युद्ध में गजनवी ने हस्तीकुण्डी को बुरी तरह लूटा और उजाड़ दिया।
परन्तु हस्तीकुण्डी शासन करने वाले राष्ट्रकूटों (चंद्रवंशी) का कोई वंशज नजर नहीं आता है।
ख्यात अनुसार पीढी क्रम ईस प्रकार है -
1. महाराजराजा यशोविग्रह जी (कन्नौज राज्य के राजा)
2. महाराजराजा महीचंद्र जी
3. महाराज राजा चन्द्रदेव जी
4. महाराजराजा मदनपाल जी (1154)
5. महाराज राजा गोविन्द्र जी
6. महाराज राजा विजयचन्द्र जी जी (1162)
7. महाराज राजा जयचन्द जी (कन्नौज उत्तर प्रदेश1193)
8. राव राजा सेतराम जी
9. राव राजा सीहा जी (बिट्टू गांव पाली, राजस्थान1273) (1226-1273)
10. राव सोनग जी (राव सिहा जी के पुत्र)
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