बनीरोत राठौड़
रावत कांधल जी - राव रिडमल जी (राव रणमल जी) - राव राजा चड़ा जी (राव छाडा जी) - राव वीरम देवजी - राव सलखा जी - राव तिडा जी - राव छाडा जी - राव जलमसी जी (राव जालण जी) - राव कनक पाल जी - राव रायपाल जी - राव धुहड जी - राव आस्थान जी - राव सीहा जी
(01) राव सीहा जी
(02) राव आस्थान जी
(03) राव धुहड जी
(04) राव रायपाल जी
(05) राव कनक पाल जी
(06) राव जलमसी जी (राव जालण जी)
(07) राव राजा चड़ा जी (राव छाडा जी)
(08) राव तिडा जी
(09) राव सलखा जी
(10) राव वीरम देवजी
(11) राव चुंडा जी
(12) राव रिडमल जी (राव रणमल जी)
राव रिडमल जी के 24 पुत्र थे-
01 - राव अखेराज जी
02 - राव जोधा जी
03 - रावत कांधल जी
04 - राव चाम्पा जी
05 - राव मंडला जी
06 - राव भाखर जी
07 - राव पाताजी
08 - राव रूपा जी
09 - राव करण जी
10 - राव मानडण जी
11 - राव नाथो जी
12 - राव सांडो जी
13 - राव बेरिसाल जी
14 - राव अड्मल जी
15 - राव जगमाल जी
16 - राव लखाजी
17 - राव डूंगर जी
18 - राव जेतमाल जी
19 - राव उदाजी
20 - राव हापो जी
21 - राव सगत जी
22 - राव सायर जी
23 - राव गोयन्द जी
24 - राव सुजाण जी।
राव जोधा जी के पाँच सगे भाई थे –
01 - राव कांधल जी,
02 - राव रूपा जी,
03 - राव मांडल जी,
04 - राव नथु जी और
05 - राव नन्दा जी ये पाँच सरदार जो जोधा के सगे भाई थे।
राव कांधल जी राव चुंडा जी के पोत्र तथा राव रिडमल जी (राव रणमल जी) के पुत्र थे वीर राव कांधल जी अपने दादा व् पिता की तरह ही पराक्रमी थे राव कांधल जी ने प्रथम युद्ध बारह बरस की अवस्था में लड़ा और विजय प्राप्त की राव कांधल जी ने अपने जीवन में 52 युद्ध लड़े तथा सभी में विजय श्री हासिल की माँ करनी जी में उनकी अगाध श्रधा थी माँ करणी का भी अत्यधिक स्नेह था वे राव कांधल जी को अपने भतीजा मानती थी राव कांधल जी ने जोधपुर राज्य बनाने से लेकर बीकानेर राज्य स्थापित करने में अपना जीवन न्योछावर करदिया जिसे राठौड़ो के इतिहास में कभी भी नही भुलाया जासकता है।
राजपूतों के छतीस राजवंशो में से श्रेष्ठ कुल सूर्य वंशी राठौड़ को माना गया है। सूर्य वंशी राठौड़ो ने अपनी श्रेष्ठता हमेशा सिद्ध की है, इसी कारण इन्हें रण बंका राठौड़ कहा गया है।
"'ब्रज्देसा चन्दन बड़ा मरु पहाडा मोड़।
गरुड खंडा लंका गढ़ा राजकुला राठौड़ ।।
बल हट बंका देवड़ा करतब बंका गोड।
हाडा बांका गाढ़ में तो रण बंका राठौड़ ।।
बनीरोत राठौड़:- जब राव कांधल जी छत्तरियांवाली में काम आये, अपने पिता की मौत का बैर लेते हुए बाघ जी थोड़े ही महीने बाद झांसल के युद्ध में काम आये । बणीर जी छोटे थे और अकेले भी, उन्होंने पहले मेलूसर पर अपना कब्ज़ा किया और वहां तालाब भी बनवाया। फिर उन्होंने अपना ठिकाना घांघू में बाँधा। उनके बाद बणीरोतों के तीन बड़े ठिकाने कायम हुए –
01 - चुरू (मालदेव जी)
02 - घांघू (अचलदास जी)
03 - घंटेल (महेशदास जी)
चुरू के ठाकुर कुशल जी के वक्त से चुरू का प्रभाव ज़्यादा हुआ और बाकी बणीरोत ठिकाने उनके नीचे आ गए। बाद में चुरू और भादरा के साथ घांघू भी खालसा हो गया। बीकानेर और अंग्रेजी सेना का एक तरफ से आक्रमण और शेखावतों का दूसरी तरफ से आक्रमण बणीरोतों के लिए बहुत भारी पड़ गया । खालसा के बाद ठिकाना सिर्फ तीन गाँव का रह गया (लाखाउ पहले ही अलग हो गया था) ।
खालसा के बाद बणीरोतों के (57 गाँवों) के पट्टे यह थे -
01 - कुचोर (चुरुवाला)
02 - घांघू (3 गाँव)
03 - देपालसर (8 गाँव)
04 - झरिया (8गाँव)
05 - सात्यूं (8 गाँव)
06 - लोहसना (7 गाँव)
07 - अन्य (23 गाँव)
कांधल जी के बड़े पुत्र बाघ जी (वाघ जी) थे । बाघ जी के तीन पुत्र थे -
01 - बणीर जी
02 - नारायणदास जी (ठी, धमोरा)
03 - रायमल जी - रायमल के वंशज रायमलोत कांधल कहलाते है । इनके वंशज रोहतक के पास डमाणा गाँव में बसते है ।
बाघ जी के पुत्र बणीर जी से बनीरोत राठौड़ो की उत्पति हुयी । लूणकरण जी द्वारा ददरेवा पर अधिकार के समय बणीर उनकी सेना में शामिल थे । जेसलमेर पर जब लूणकरण जी ने चढ़ाई की तब भी बणीर जी साथ में था । जैतसिंह जी बीकानेर के समय वि.सं.1791 में कामरान ने जब बीकानेर पर चढ़ाई की तब उसे हटाने में बणीर जी का पूरा सहयोग था । जयमल मेड़तिया की राव कल्याणमल ने मालदेव के विरुद्ध सहायता की तब भी बणीर जी बीकानेर की सेना के साथ थे । बणीर के दस पुत्र थे ।
काँधल बणीरोत ठिकाना चूरु -
काँधल बणीरोत ठिकाना चूरु - काँधल जी के तेरह पुत्र हुए -
• 01 - बाघसिंह जी
• 02 - राजसिंह जी
• 03 – अरड़कमलसिंह जी
• 04 – पंचायणसिंह जी
• 05 – सुजाणसिंह जी
• 06 – शेरसिंह जी
• 07 – पूरणमलसिंह जी
• 08 – परबतसिंह जी
• 09 – निमासिंह जी
• 10 - खीवसिंह जी
• 11 – पीथराजसिंह
• 12 – जगजीतसिंह जी
• 13 – अबजीतसिंह जी
बाघसिंह जी - काँधल जी के पुत्र बाघसिंह जी के तीन पुत्र हुए -
• 1 बणीरसिंह जी - बणीरसिँह जी ने घांघू नया ठिकाना बांधा।
• 2 नारायणदास जी - नारायणदास जी धमोरा, ओटू हरियाणा।
• 3 रायमल जी - रायमल जी डम्माणा हरियाणा।
बणीरसिँह जी (बणीर जी) - बाघसिंह जी के पुत्र बणीरसिँह जी (बणीर जी) के ग्यारह पुत्र हुए बाघसिंह जी के पुत्र बाघसिंह जी से बनीरोत राठौड़ो की उत्पति हुयी ।
• 01 - मेघराजसिंह जी (ऊंटवालिया)
• 02 - मोकरणसिंह जी (कानासर)
• 03 - कल्ला जी
• 04 - मेदसिंह (सिरियासर)
• 05 - रूपसिंह जी
• 06 – हरदाससिंह जी
• 07 – हमीरससिंह जी
• 08 - मालदेव जी ने (चूरु बसायी)
• 09 - अचलदास जी (घांघू)
• 10 - महेशदास जी
• 11 – जैतसिंह जी (जैतसी) (घंटेल)
कुशलसिंह - कुशलसिंह बीकानेर नरेश करणसिंह व् अनूपसिंह के साथ दक्षिण में रहकर कई युद्धों में भाग लिया । करणसिंह की म्रत्यु ओरंगाबाद में हुयी, तब बीकानेर के सारे सरदार उन्हें छोड़कर बीकानेर चले आये । पर कुशलसिंह ने अपना कर्तव्य निभाया और सारे मरत करम करवाए । इन्होने हि शहर की सुरक्षा के लिए चुरू में किला बनवाया । सुरक्षा के कारण फतहपुर में बहुत से महाजन यहाँ आकर बस गए ।
इन्द्रसिंह - कुशलसिंह के बाद इन्द्रसिंह चुरू की गद्धी पर बैठे । शेखावतों द्वारा फतेहपुर की विजय के समय इन्द्रसिंह सेना सहित नवाब की सहायता को गए थे ।
संग्रामसिंह - इन्द्रसिंह के बाद संग्रामसिंह चुरू की गद्धी पर बैठे थे ।
जुझारसिंह - बीकानेर नरेश जोरावरसिंह बीकानेर ने इन्द्रसिंह से रुष्ट होकर चुरू का पट्टा जुझारसिंह के नाम कर दिया तब इन्द्रसिंह बीकानेर राज्य से विद्रोह हो गए। इन्द्रसिंह ने बीकानेर पर जोधपुर आक्रमण होने के समय जोधपुर का साथ दिया था। संग्रामसिंह ने चुरू पर आक्रमण कर जुझारसिंह से चुरू छीन लिया। बीकानेर नरेश जोरावरसिंह ने सात्यूं में इस स्वाभिमानी सरदार संग्रामसिंह को वि.सं.1798 में छल से मरवा डाला। बीकानेर नरेश जोरावरसिंह ने चुरू पर अधिकार कर लिया। इनके बाद धीरतसिंह, हरिसिंह, शिवराजसिंह हुए थे।
शिवसिंह जी (शिवाजिसिंह) - शिवसिंह जी (शिवाजिसिंह) चुरू के ऐक स्वाभिमानी व् वीर योद्धा हुए । उन्होंने महाराजा सूरतसिंह बीकानेर की अधीनता स्वीकार नहीं की । अतः महाराजा ने ऐक सेना को चुरू पर आक्रमण करने भेज दिया परन्तु विफल होना पड़ा । जोधपुर द्वारा बीकानेर पर आक्रमण की सूचना पाकर सूरतसिंह ने शिवसिंह जी (शिवाजिसिंह) को सहतायार्थ बुलाया परन्तु शिवसिंह जी (शिवाजिसिंह) सहायता की बजाय बीकानेर क्षेत्र को लुटने लगे थे । सूरतसिंह ने अंत में 1870 वि.में चुरू पर आक्रमण कर दिया । महाराजा को सफलता न मिली और वहां से रिणी चले गए । कुछ समय बाद सूरतसिंह ने फिर चुरू पर आक्रमण किया । शिवसिंह जी (शिवाजिसिंह) ने कड़ा मुकाबला किया । किले में जब गोला बारूद खत्म हो गया तो शिवसिंह जी (शिवाजिसिंह) ने चांदी के गोले ढलवाये और युद्ध जारी रखा । इस समय 1871 वि.कार्तिक सुदी में शिवसिंह जी (शिवाजिसिंह) का किले में देहांत हो गया तब कहीं बीकानेर का चुरू पर अधिकार हुआ। इनके बाद शिवसिंह जी (शिवाजिसिंह) के पुत्र प्रथ्वीसिंह ने चुरू को वापिस लेने की कोशिस बहुत की और अंत में बहुत से लोगों की मदद से चुरू पर वापिस अधिकार कर लिया । सूरतसिंह को बहुत चिंता हुयी । सूरतसिंह ने और कोई उपाय न देखकर अंग्रेजों से संधि कर ली और अंग्रेज सेनाधिकारी बिर्गेडियर अर्नाल्ड ने चुरू को विजय किया । सूरतसिंह के मरने के बाद फिर राजा रतनसिंह ने प्रथ्वीसिंह से मेल कर लिया और कुचोर की जागीरी दी। कुचोर गद्धी पर प्रथ्वीसिंह के बाद भैरूसिंह, बालसिंह ,प्रतापसिंह व् कान्हसिंह रहे।
बनीरोत राठौड़ो की खापें व सब ठिकाने का विवरण इस प्रकार है –
1 - मेघराजोत बनीरोत:- बणीर के बड़े पुत्र मेघराज के वंशज मेघराजोत बनिरोत कहलाते है, इनका ठिकाना ऊंटवालिया था ।
2 - मैकरनोत बनीरोत:- बणीर के पुत्र मैकरण के वंशज मैकरनोत बनीरोत कहलाते है, इनके वंशज कानासर में बसते है ।
3 - अचलदासोत बनीरोत:- बणीर के पुत्र अचलदास के वंशज अचल्दासोत बनिरोत कहलाते है, इनकी जागीरी में घांघू गाँव था ।
4 - सूरसीहोत बनिरोत:- बणीर के पुत्र मालदेव के पुत्र सांवलदास के पुत्र सूरसिंह के वंशज सुरसिहोत बनिरोत कहलाते है, वे चलकोई गाँव में निवास करते है ।
5 - जयमोल बनीरोत:- सांवलदास चुरू के पुत्र जयमल के वंशज जयमोल बनीरोत कहलाते है, इन्द्रपुरा में निवास करते है ।
6 - प्रतापसिंह बनिरोत:- चुरू के ठाकुर सांवलदास के पुत्र, बलभद्र के पोत्र, तथा भीमसिंह के पुत्र प्रतापसिंह थे । प्रतापसिंह के वंशज प्रतापसिहोत बनीरोत है । लोसणा, तोगावास आदी इनके जागीर में थे ।
7 - भोजराजोत बनीरोत:- भीमसिंह जी के पुत्र भोजराज जी के वंशज भोजराजोत बनीरोत कहलाते है । भीमसिंह जी प्रतापसिंह जी के भाई थे। जसरासर, दूधवा मीठा इनके इलाके है।
8 - चत्रसालोत बनीरोत:- कुशलसिंह जी चुरू; के पुत्र चत्रसाल जी के वंशज चत्रसालोत बनीरोत कहलाते है। देपालसर इनका ठिकाना
9 - नथमलोत बनीरोत:- चत्रसाल के भाई इन्द्रसिंह चुरू; के पुत्र नाथुसिंह के वंशज नथमलोत बनीरोत कहलाते है। इनकी जागीरी सोमासी थी।
10 - धीरसिहोत बनीरोत:- चुरू के इन्द्रसिंह के पुत्र संग्रामसिंह के पुत्र धीरसिंह के वंशज धीरसिहोत बनीरोत कहलाते है। संग्रामसिंह के बाद धीरसिंह चुरू के ठाकुर रहे । सात्यूं (इकलड़ी ताजीम) झारिया (दोलड़ी ताजीम) पीथीसर आदी इनके ठिकाने थे।
11 - हरिसिहोत बनीरोत:- धीरसिंह के भाई हरिसिंह भी चुरू के ठाकुर थे । इनके वंशज हरिसिहोत बनीरोत कहलाते है। इनका ऐक ठिकाना जोधपुर रियासत में हरसोलाव तथा बीकानेर रियासत में बुचावास, धोधलिया, थिरियासर, घांघू, हरपालसर आदी ठिकाने थे । जयपुर राज्य में हिंगोलिया भी इनका ठिकाना था।
बनीरोत राठौड़ो का पीढी क्रम इस प्रकार है –
1 - मेघराजोत बनीरोत:- मेघराज जी – बणीर जी - बाघ जी (वाघ जी) - कांधल जी - राव रिडमल जी (राव रणमल जी) - राव चुंडा जी - राव वीरम देवजी - राव सलखा जी - राव तिडा जी - राव राजा चड़ा जी (राव छाडा जी) - राव जलमसी जी (राव जालण जी) - राव कनक पाल जी - राव रायपाल जी - राव धुहड जी - राव आस्थान जी - राव सीहा जी
2 - मैकरनोत बनीरोत:- मैकरण जी – बणीर जी - बाघ जी (वाघ जी) - कांधल जी - राव रिडमल जी (राव रणमल जी) - राव चुंडा जी - राव वीरम देवजी - राव सलखा जी - राव तिडा जी - राव राजा चड़ा जी (राव छाडा जी) - राव जलमसी जी (राव जालण जी) - राव कनक पाल जी - राव रायपाल जी - राव धुहड जी - राव आस्थान जी - राव सीहा जी
3 - अचलदासोत बनीरोत:- अचलदास जी – बणीर जी - बाघ जी (वाघ जी) - कांधल जी - राव रिडमल जी (राव रणमल जी) - राव चुंडा जी - राव वीरम देवजी - राव सलखा जी - राव तिडा जी - राव राजा चड़ा जी (राव छाडा जी) - राव जलमसी जी (राव जालण जी) - राव कनक पाल जी - राव रायपाल जी - राव धुहड जी - राव आस्थान जी - राव सीहा जी
4 - सूरसीहोत बनिरोत:- सूरसिंह जी - सांवलदास जी - मालदेव जी – बणीर जी - बाघ जी (वाघ जी) - कांधल जी - राव रिडमल जी (राव रणमल जी) - राव चुंडा जी - राव वीरम देवजी - राव सलखा जी - राव तिडा जी - राव राजा चड़ा जी (राव छाडा जी) - राव जलमसी जी (राव जालण जी) - राव कनक पाल जी - राव रायपाल जी - राव धुहड जी - राव आस्थान जी - राव सीहा जी
5 - जयमोल बनीरोत:- जयमल जी - सांवलदास जी - मालदेव जी – बणीर जी - बाघ जी (वाघ जी) - कांधल जी - राव रिडमल जी (राव रणमल जी) - राव चुंडा जी - राव वीरम देवजी - राव सलखा जी - राव तिडा जी - राव राजा चड़ा जी (राव छाडा जी) - राव जलमसी जी (राव जालण जी) - राव कनक पाल जी - राव रायपाल जी - राव धुहड जी - राव आस्थान जी - राव सीहा जी
6 - प्रतापसिंह बनिरोत:- प्रतापसिंह जी - भीमसिंह जी - बलभद्र जी - सांवलदास जी - मालदेव जी – बणीर जी - बाघ जी (वाघ जी) - कांधल जी - राव रिडमल जी (राव रणमल जी) - राव चुंडा जी - राव वीरम देवजी - राव सलखा जी - राव तिडा जी - राव राजा चड़ा जी (राव छाडा जी) - राव जलमसी जी (राव जालण जी) - राव कनक पाल जी - राव रायपाल जी - राव धुहड जी - राव आस्थान जी - राव सीहा जी
7 - भोजराजोत बनीरोत:- भोजराज जी - भीमसिंह जी - बलभद्र जी - सांवलदास जी - मालदेव जी – बणीर जी - बाघ जी (वाघ जी) - कांधल जी - राव रिडमल जी (राव रणमल जी) - राव चुंडा जी - राव वीरम देवजी - राव सलखा जी - राव तिडा जी - राव राजा चड़ा जी (राव छाडा जी) - राव जलमसी जी (राव जालण जी) - राव कनक पाल जी - राव रायपाल जी - राव धुहड जी - राव आस्थान जी - राव सीहा जी
8 - चत्रसालोत बनीरोत :- चत्रसाल जी - कुशलसिंह जी - भीमसिंह जी - बलभद्र जी - सांवलदास जी - मालदेव जी – बणीर जी - बाघ जी (वाघ जी) - कांधल जी - राव रिडमल जी (राव रणमल जी) - राव चुंडा जी - राव वीरम देवजी - राव सलखा जी - राव तिडा जी - राव राजा चड़ा जी (राव छाडा जी) - राव जलमसी जी (राव जालण जी)- राव कनक पाल जी - राव रायपाल जी - राव धुहड जी - राव आस्थान जी - राव सीहा जी
9 - नथमलोत बनीरोत:- नाथुसिंह जी - इन्द्रसिंह जी - कुशलसिंह जी - भीमसिंह जी - बलभद्र जी - सांवलदास जी - मालदेव जी – बणीर जी - बाघ जी (वाघ जी) - कांधल जी - राव रिडमल जी (राव रणमल जी) - राव चुंडा जी - राव वीरम देवजी - राव सलखा जी - राव तिडा जी - राव राजा चड़ा जी (राव छाडा जी) - राव जलमसी जी (राव जालण जी)- राव कनक पाल जी - राव रायपाल जी - राव धुहड जी - राव आस्थान जी - राव सीहा जी
10 - धीरसिहोत बनीरोत :- धीरसिंह जी - संग्रामसिंह जी - इन्द्रसिंह जी - कुशलसिंह जी - भीमसिंह जी - बलभद्र जी - सांवलदास जी - मालदेव जी – बणीर जी - बाघ जी (वाघ जी) - कांधल जी - राव रिडमल जी (राव रणमल जी) - राव चुंडा जी - राव वीरम देवजी - राव सलखा जी - राव तिडा जी - राव राजा चड़ा जी (राव छाडा जी) - राव जलमसी जी (राव जालण जी)- राव कनक पाल जी - राव रायपाल जी - राव धुहड जी - राव आस्थान जी - राव सीहा जी
11 - हरिसिहोत बनीरोत:- हरिसिंह जी - संग्रामसिंह जी - इन्द्रसिंह जी - कुशलसिंह जी - भीमसिंह जी - बलभद्र जी - सांवलदास जी - मालदेव जी – बणीर जी - बाघ जी (वाघ जी) - कांधल जी - राव रिडमल जी (राव रणमल जी) - राव चुंडा जी - राव वीरम देवजी - राव सलखा जी - राव तिडा जी - राव चड़ा जी (राव छाडा जी) - राव जलमसी जी (राव जालण जी) - राव कनक पाल जी - राव रायपाल जी - राव धुहड जी - राव आस्थान जी - राव सीहा जी
बनीरोत राठौड़ो की ख्यात अनुसार पीढी क्रम ईस प्रकार है –
01. महाराजराजा यशोविग्रह जी (कन्नौज राज्य के राजा)
02. महाराजराजा महीचंद्र जी
03. महाराज राजा चन्द्रदेव जी
04. महाराजराजा मदनपाल जी (1154)
05. महाराज राजा गोविन्द्र जी
06. महाराज राजा विजयचन्द्र जी (1162)
07. महाराज राजा जयचन्द जी (कन्नौज उत्तर प्रदेश 1193)
08. राव राजा सेतराम जी
09. राव राजा सीहा जी (बिट्टू गांव पाली, राजस्थान 1273)
10. राव राजा अस्थान जी (1292)
11. राव राजा दूहड़ जी (1309)
12. राव राजा रायपाल जी (1313)
13. राव राजा कान्हापाल जी (1323)
14. राव राजा जलमसी जी (राव जालण जी) (1328)
15. राव राजा चड़ा जी (राव छाडा जी) (1344)
16. राव राजा तिडा जी (राव टीडा जी) (1357)
17. राव राजा सलखा जी (1374)
18. राव बीरम जी (राव विरम देव जी)
19. राव चुंडा जी
20. राव रणमल जी (राव रिङमाल जी)
21. राव कांधल जी
22. बाघ जी (वाघ जी)
23. बणीर जी - बणीर जी के दस पुत्र इस प्रकार से थे:-
• 01-मेघराज जी (ऊंटवालिया)
• 02-मैकरण जी (कानासर)
• 03-मेद्सी (सीरियासर शेखावटी)
• 04-अचलदास जी (घांघू)
• 05-मालदेव (चुरू)
• 06-महेसदाश (घंटेल)
• 08-बलभद्र जी
• 09-भीमसिंह जी
• 10-कुशलसिंह जी (चुरू)
बीकानेर रियासत मेँ कांधलों के चार मुख्य व शक्तिशाली ठिकाने थे ।
01 - चूरु
02 - भादरा
03 - रावतसर
04 - जैतसर
रियासत का जो मुख्य राजा राज करता था वो दूसरे को चिट्ठी लिखकर गाँव या जमीन का लिखित मेँ पट्टा देता था वो ताजीमी ठाकुर व उसका ठिकाना ताजीम कहलाता था। जिनको मुख्य राजा या राज से चिट्ठी-पट्टे दिये गये वे टिकाई ठाकुरोँ मेँ गिने जाने लगे तथा एक गाँव मेँ जितनी चिट्ठीयाँ-पट्टे दिये गये वे ठाकुर परिवार अपने-अपने गाँव या अपने हिस्से कि जमीन के टीकाई ठाकुर कहलाने लगे और टीकाई के अलावा अन्य जो ठाकुर थे वे छुटभाई कहलाते थे। इस प्रकार रियासत मेँ सरदारों की तीन श्रेणियाँ होती थी।
01 - ताजीमी
02 - टीकाई चिट्ठीदार
03 - छुटभाई
उपरोक्त तीनोँ मिलकर एक रियासत कहलाती थी। काँधल जी के बङे लङके बाघसिंह जी अपने पिता का बैर लेते हुये मारे गये थे। बाघसिंह जी के बङे लङके बणीरजी की बाल अवस्था होने के कारण काँधल जी कि पाग और "रावताई" की पदवी दोनों राजसिँह को मिली थी। कुल चार मुख्य ठिकानों मेँ से राव काँधल जी के वंश मेँ रावतसर के रावतोत, चुरू के बणीरोत, भादरा के साँईदासोत तीन ठिकाने कायम हुये। रावतसर के रावत तो राज्य के "सरायत" सरदारों मेँ थे मगर काँधलोँ के ठिकानों कि गणना तो बीकानेर राज्य के प्रमुख ठिकानों मेँ रही है। काँधलोँ के पट्टोँ के गाँवो कि स्थिति व संख्या मेँ बहुत उतार चढाव हुवा क्योकि 1657 ई. से 1668 ई. के बीच बिकोँ के पट्टोँ मेँ 5 प्रतिशत कि बढोतरी हो गयी थी।
चूरू को चुहरू नाम के कालेर जाट ने बसाया था। जिस स्थान पर ये आकर बसे वह आज भी कालेरा बास के नाम से जाना जाता है। मालदेव जी के चुरू आने से पहले चुरू नाम गाँव बास कालेरा था। जो कस्वाँ जाटोँ के अधिन था। महाराजा जैतसिँह जी के रजवाङे से संवत 1596 मेँ मालदेव जी ने अपने अधिन कर चुरू नाम दिया। राव काँधल जी का पूत्र बाघसिंह हुवा तब तक सात ठिकाने थे व बणीर जी तक सात हि ठिकाने रहे। बणीर जी के वंशज बणीरोत कहलाये व मालदेव जी ने हि चुरू ठिकाना बाँधा जो ताजीम इनायत हुयी यानी मुख्य ठिकाना चुरू बना व ईन सभी चुरू के भाईयोँ के 39 रेख तथा 32 गाँव थे । चुरू ताजीम मेँ कुल 84 गाँव थे जो चुरू कि चौरासी बाजते थे (बोल चाल कि भाषा मेँ चुरू की चौरासी या चौरासी आळी रेख से सम्बोधन करते थे ठिकाणो चुरू पट्टा 84 गाँव कि चाकरी असवार रेख 84) देश दर्पण पत्र 122 मेँ
के भाईयोँ के गाँवोँ कि सूची इसप्रकार है-
गाँव
रेख – गाँव
गाँव के ठाकुर
1 – लादङिया (लाधङियो)
(रेख 1 – गाँव 1)
- करणीसिँह पहाङसिह सूरजमलोत
2 - बुचावास
(रेख 2 – गाँव 1)
- पनैसिँह ईसरिसिँघोत
3 – दांदू
(रेख 1 – गाँव 1)
- रावतसिँह सगतसिँघोत
4 - सोमासी
(रेख 1 – गाँव 1)
- जवानसिँह पहाङसिँघोत
5 – रामसरा
(रेख 1 – गाँव 1)
- अनोपसिँह गैनसिँधोत
6 – थिरियासर
(रेख 1 – गाँव 1)
- गोपालसिँह पृथ्वीसिँघोत
7 - घांघू व लाखाऊ
(रेख 3 – गाँव 2)
- शेरसिँह संग्रामसिँघोत
8 - बिकासी
(रेख 1 – गाँव 1)
- कुशलसिंह संग्रामसिँघोत
9 – कङवासर
(रेख 1 – गाँव 1)
- कुशलसिंह शेरसिँघोत
10 – हरपालसर
(रेख 1 – गाँव 1)
- आईदानसिँह सगतसिँघोत
11 – बास खंडवा
(रेख 1 – गाँव 1)
- हुकुमसिंह पदमसिँघोत
12 – भैरुसर
(रेख 1 – गाँव 1)
- मोतीसिँह सालमसिँघोत
13 – कोटवाद
(रेख 1 – गाँव 1)
- अरजनसिँह दुल्लेसिँहोत
14 – घांघू
(रेख 1 – गाँव 1)
- जवानसिँह
15 – सोमणसर
(रेख 1 – गाँव 1)
- बींजराजसिंह मोतीसिँघोत
16 – चलकोई
(रेख 1 – गाँव 1)
- प्रतापसिँह
17 – दुधवा मीठा
(रेख 2 – गाँव 1)
- गणेशसिँह अरजनसिँघोत
18 – मेरासर
(रेख 1 – गाँव 1)
- रामचन्द्रसिँह
19 – थैलासर
(रेख 2 – गाँव 2)
- सिवदानसिँह
20 - हणुतपुरा
(रेख 0 – गाँव 0)
- हिम्मतसिंह
21 – ढाढरिया
(रेख 1 – गाँव 1)
- खुमाणसिँह
22 – जसरासर
(रेख 2 – गाँव 1)
- रुघसिँह अरजनसिँघोत
23 – रामपुरा
(रेख 1 – गाँव 1)
- चतरसिँह करणिसिँघोत
24 – लालासर
(रेख 1 – गाँव 1)
- भैरुसिँह
25 – ऊंटवालिया
(रेख 1 – गाँव 1)
- भैरुसिँह
26 – सिरसला
(रेख 2 – गाँव 1)
- बख्तावरसिंह
27 – खारिया
(रेख 1 – गाँव 1)
- सिवजीसिँह खुमाणसिँघोत
28 – घंटेल
(रेख 3 – गाँव 1)
- दुलैसिँह कानसिँघोत
29 - दुधवा खारा
(रेख 1 – गाँव 1)
- खुमाणसिँह
30 – कंवलीसर
(रेख 1 – गाँव 1)
- खंगसिँह
31 – आसूसर
(रेख 1 – गाँव 1)
– कानसिँह
चुरू ताजीम मेँ कुल 84 गाँव थे जो चुरू कि चौरासी बाजते थे (बोल चाल कि भाषा मेँ चुरू की चौरासी या चौरासी आळी रेख से सम्बोधन करते थे ठिकाणो चुरू पट्टा 84 गाँव कि चाकरी असवार रेख 84) देश दर्पण पत्र 122 मेँ
1 ढाढरिया (बणिरोतान)
43 कङवासर
2 जासासर
44 झारिया
3 धीरासर (शेखावतान)
45 भैरुसर
4 खंडवा पट्टा झारिया
46 चलकोई बणिरोतान
5 खंडवा
47 जोङी पट्टा सात्यूं
6 कुणसीसर
48 जोङी पट्टा लोसणा
7 बालरासर
49 खीवांसर
8 दुधवा मीठा
50 घंटेल
9 जसरासर (बास रामदेवरा)
51 बास घंटेल
10 जसरासर
52 रिङखला
11 जसरासर (बास रामपुरा)
53 सोमासी (सोमावासी)
12 खारिया
54 रामपुरा पट्टा झारिया
13 बीनासर
55 कोटवाद टीब पट्टा लोसणा
14 श्यामपुरा
56 कोटवाद ताल
15 देपालसर
57 धमेरी
16 मेघसर
58 बिकासी (बिकावासी)
17 ऊंटवालिया
59 थैलासर
18 रामसरा
60 हणुतपुरा
19 ढाढर
61 कुचेरा (चुरुवाला)
20 दांदू
62 बाधनू
21 घांघू
63 लालमदेसर बङा
22 लाखाऊ
64 हरपालसर
23 बास ढाकान
65 सोमणसर
24 लोसणा जाटान
66 दांदू
25 लोसणा बङा
67 आसूसर
26 श्योदानपुरा
68 देराजसर
27 सिरसला
69 मेरासर चाचेरा
28 लादङिया
70 थिरियासर
29 बाढकी
71 बुचावास
30 करणपुरा
72 तोगावास
31 बास सिरसला
73 रेताण
32 सिरसली
74 नाहरसरा
33 सात्यूं
75 करणपुरा
34 दुधवा खारा
76 ढाणा पट्टा सात्यूं
35 ढाणी दुधवा खारा
77 भानीसिंह की ढाणी
36 लालासर बणिरोतान
78 ढाणी भाटियान
37 जवानीपुरा
79 टेऊ
38 गिनङी पट्टा लोसणा
80 इन्द्रपुरा
39 थालोड़ी
81 धोधलिया
40 बरङादास
82 खासोली
41 भांमासी (भांबाबासी)
83 आसलखेङी
42 मठौड़ी
84 बूंटीया
चूरु के ईन चौरासी गाँवोँ के अलावा जयपुर रियासत मेँ हिगोनिया।
जोधपुर रियासत मेँ लाम्बा जाटान (जिला नागौर मेँ) चुरू के हरिसिँह के वंशजो का ठिकाना।
जोधपुर रियासत मेँ ही हर्सोलावा गाँव चुरू के राठौड़ो के हि अधिकार मेँ था।
काँधल बणीरोत ठिकाना चूरु -
काँधल बणीरोत ठिकाना चूरु काँधल जी के तेरह पुत्र हुए -
01 - बाघसिंह जी
02 - राजसिंह जी
03 – अरड़कमलसिंह जी
04 – पंचायणसिंह जी
05 – सुजाणसिंह जी
06 – शेरसिंह जी
07 – पूरणमलसिंह जी
08 – परबतसिंह जी
09 – निमासिंह जी
10 - खीवसिंह जी
11 – पीथराजसिंह
12 – जगजीतसिंह जी
13 – अबजीतसिंह जी
बाघसिंह जी - काँधल जी के पुत्र बाघसिंह जी के तीन पुत्र हुए -
1 बणीरसिंह जी - बणीरसिँह जी ने घांघू नया ठिकाना बांधा।
2 नारायणदास जी - नारायणदास जी धमोरा, ओटू हरियाणा।
3 रायमल जी - रायमल जी डम्माणा हरियाणा।
बणीरसिँह जी (बणीर जी) - बाघसिंह जी के पुत्र बणीरसिँह जी (बणीर जी) के ग्यारह पुत्र हुए -
01 - मेघराजसिंह जी (ऊंटवालिया)
02 - मोकरणसिंह जी (कानासर)
03 - कल्ला जी
04 - मेदसिंह (सिरियासर)
05 - रूपसिंह जी
06 – हरदाससिंह जी
07 – हमीरससिंह जी
08 - मालदेव जी ने (चूरु बसायी)
09 - अचलदास जी (घांघू)
10 - महेशदास जी
11 – जैतसिंह जी (जैतसी) (घंटेल)
मालदेव जी (चुरू) - बणीरसिँह जी (बणीर जी) के पुत्र मालदेव जी (चुरू) के 5 पुत्र हुए -
01 - रामचन्द्र जी (देराजसर)
02 - सांवलदास जी (चुरू) तथा
03 - दूदा जी और
04 - महताब जी
05 - नरहरदास जी (नरहरिदास)
नरहरदास जी (नरहरिदास) रामसिँह जी बीकानेर द्वारा मारे गये थे।
सांवलदास जी (चुरू) - मालदेव जी (चुरू) के पुत्र सांवलदास जी (चुरू) के 7 पुत्र हुए-
01 - बलभद्र जी (चुरू)
02 - चत्रभुज जी (चुरू)
03 - सूरतसिँह (चलकोई)
04 – माधोसिंह (इनकी सन्तानेँ पंजाब मेँ हैँ)
05 - जयमल जी इन्द्रपुरा
06 - सगतसिंह जी
07 - कुम्भकरण जी
सांवलदास जी (चुरू) के पुत्र कुम्भकरण जी के पुत्र हुए किशनसिँह जी।
बलभद्र जी - सांवलदास जी (चुरू) के पुत्र हुए बलभद्र जी ।
01 - बलभद्र जी
भीमसिंह जी - बलभद्र जी के पुत्र हुए भीमसिंह जी । बलभद्र जी के पाट बैठे भीमसिंह जी । भीमसिंह जी इनके पाँच पुत्र हुए -
01 - ताजसिँह जी व
02 - प्रतापसिँह जी (लोसणा)
03 - कुशलसिंह जी (चुरू)
04 - भोजराज जी
05 - साँवतसिँह जी (जसरासर)
कुशलसिंह जी (चुरू) - भीमसिंह जी के पुत्र कुशलसिंह जी (चुरू) के 2 पुत्र हुए -
01 - इन्द्रसिंह जी (चुरू)
02 - चत्रसाल जी (देपालसर)
कुशलसिंह जी के पाट बैठे इन्द्रसिंह जी।
इन्द्रसिंह जी (चुरू) - कुशलसिंह जी के पुत्र इन्द्रसिंह जी (चुरू) जी के 6 पुत्र हुए -
01 - संग्रामसिंह जी
02 - जुझारसिह जी
03 - भोपालसिँह जी
04 - गुमानसिँह जी
05 - नथुसिंह जी (सोमासी)
06 - जलिमसिंह जी।
इन्द्रपालसिँह जी के पाट बैठे संग्रामसिंह जी।
संग्रामसिंह जी - इन्द्रसिंह जी के पुत्र संग्रामसिंह जी के 3 पुत्र हुए -
01 - धीरसिंह जी
02 - हरिसिंह जी (चूरु)
03 - चैनसिंह जी।
संग्रामसिंह के पाट बैठे धीरसिंह जी।
धीरसिंह जी की मोत के बाद उनके भाई हरिसिंह जी चूरु के ठाकुर बने।
धीरसिंह जी - संग्रामसिंह जी के पुत्र धीरसिंह जी के दो पुत्र हुए –
01 - विजयसिंह जी (सात्यूं)
02 - सूरजमल जी (झारिया)
हरिसिंह जी (चूरु) - संग्रामसिंह जी के पुत्र हरिसिंह जी के 4 पुत्र हुए –
01 - श्योजीसिंह जी इनको शिवजीतसिंह जी भी कहते थे ।
02 - मानसिंह जी (भैरुसर)
03 - सालमसिंह जी (रामसरा)
04 - नाहरसिंह जी।
हरिसिंह जी (चूरु) के पाट बैठे श्योजीसिंह जी ।
श्योजीसिंह जी - हरिसिंह जी के पूत्र श्योजीसिंह जी के 6 पुत्र हुए –
01 - प्रथ्वीसिंह जी के भाई थे
02 - भीमसिंह जी (हरसोलाव जोधपुर)
03 - सगतसिंह जी
04 - चाँदसिंह जी
05 - पदमसिंह जी (खंडवा और हिगुणिया जयपुर) और
06 - सौभाग्यसिंह जी ।
श्योजीसिंह जी के पाट बैठे प्रथ्वीसिंह जी ।
सगतसिंह जी - श्योजीसिंह जी के पुत्र सगतसिंह जी के दो पुत्र हुए –
01 - रावतसिँह जी (दांदू)
02 - आईदानसिँह जी (पुनुसर और हरपालसर)
प्रथ्वीसिंह जी - श्योजीसिंह जी के पुत्र प्रथ्वीसिंह जी के 6 पुत्र हुए –
01 - भैरुसिंह जी
02 - भानीसिंह जी
03 - ईसरीसिंह जी (बुचावास - चुरू मेँ मारे गये थे)
04 - महेशदास जी (चुरू मेँ मारे गये)
05 - गोपालसिँह जी (धोधलिया और थिरियासर) व
06 - कुशालसिंह।
प्रथ्वीसिंह जी के पाट बैठे भैरुसिँह जी (चूरु और कुचेरा) ।
कुशालसिंह जी ईसरीसिंह जी के गोद गये।
भैरुसिंह जी - प्रथ्वीसिंह जी के पुत्र हुए भैरुसिंह जी । भैरुसिंह जी के 1 पुत्र हुए लालसिंह जी – लालसिंह जी के तीन पुत्र हुए -
01 - प्रतापसिँह जी
02 – दीपसिंह जी
03 – जसवंतसिंह जी
भैरुसिँह जी के बाद लालसिंह जी चुरू के पाट पर बैठे ।
प्रतापसिँह जी के पाट बैठे जसवंतसिंह जी व जसवंतसिंह जी के गोद आये कानसिँह जी ।
ठिकाना चुरू के राठौड़ वंशजो के चुरू मेँ 67 सतसठ गाँव ।
हरियाणा मेँ दो गाँव ।
जयपुर रियासत मेँ तीन गाँव।
जोधपुर रियासत मेँ दो, सब मिलाकर कुल 74चौहतर गाँवोँ का ठिकाना।
बदलते समय के साथ ये सभी ठिकानों के ठाकुर चुरू से अलग होकर अपने-अपने अधिन कब्जायत ठिकाने के गाँवोँ मेँ उनके वंशज नखवार बैठ कर राज करने लगे व आगे चलकर उन्हीं गाँवो के बाशिन्दे या ठाकुर बनकर रहने लगे।
तोगावास ग्राम के बनीरोत राठौड़ो का क्रमागत पीढी वंश इस प्रकार से है –
बनीरोत राठौङ = निकास अयोध्या- राष्ट्रकूट (महाराष्ट्र) - कनौज - पाली-मँण्डोर- जोधपुर- धमोरा- साहवा- मेलूसर - घांघू-चुरू-लोसणा-तोगावास सहित बनीरोतो के 84 गाँव। नाई = टोकसिया (तोकसिया) बीकानेर के पास। पुरोहित (पिरोत) सोड्डा तोलासर। सिहाजी मारवाड़ कि धरती पर प्रवेश 1152 मेँ।
राव आस्थान जी - की सादी मारोठ गाँव कि गौङ राजपूत खाँप की लड़की से हुयी थी।
धूहङजी - की शादी बैलवा गाँव कि जादव राजपूत खाँप की लड़की से हुयी थी।
चूडाजी - की शादी मँण्डोर गाँव की हिन्था राजपूत खाँप की लड़की से हुयी थी ।
राव रणमल जी - की शादी बयाना गाँव कि सिसोदीया राजपूत खाँप की लड़की से हुयी थी। कांधल जी - की शादी सिरोही गाँव की देवड़ा चौहान जाती की लड़की से हुयी थी।
बाघसिंह जी - की शादी देवास गाँव की भटियाणी राजपूत खाँप की लड़की से हुयी थी ।
बणीरसिंह जी - की शादी छापर गाँव की मोहिलराजपूत खाँप की लड़की से हुयी थी ।
मालदेव जी - की शादी देरावर गाँव की रावलोत राजपूत खाँप की लड़की से हुयी थी ।
साँवलदास जी - की शादी बडबर बुहाना गाँव की भाटी राजपूत खाँप की लड़की से हुयी थी ।
सांवलदास जी के 7 पुत्र हुए-
01 - बलभद्र जी (चुरू)
02 - चत्रभुज जी (चुरू)
03 - सूरतसिँह (चलकोई)
04 – माधोसिंह (इनकी सन्तानेँ पंजाब मेँ हैँ)
05 - जयमल जी इन्द्रपुरा
06 - सगतसिंह जी
07 - कुम्भकरण जी
बलभद्र जी - लुदियानाया (राजस्थान) नरुका राजपूत खाँप की लड़की से हुयी थी । बलभद्र जी के पाँच पुत्र हुए -
बलभद्र जी के पुत्र हुए भीमसिंह जी ।
भीमसिंह जी - बलभद्र जी के पुत्र हुए भीमसिंह जी । भीमसिंह जी की शादी हरासर गाँव की भाटी राजपूत खाँप की लड़की से हुयी थी । भीमसिंह जी इनके पाँच पुत्र हुए –
01 - ताजसिँह जी व
02 - प्रतापसिँह जी (लोसणा)
03 - कुशलसिंह जी (चुरू)
04 - भोजराज जी
05 - साँवतसिँह जी (जसरासर)
बलभद्र जी के पाट बैठे भीमसिंह जी ।
प्रतापसिँह - प्रतापसिँह जी (लोसणा) की शादी जोलरु गाँव की तंवर राजपूत खाँप की लड़की से हुयी थी । प्रतापसिँह के पाँच पुत्र हुये थें -
01 - भगवँतसिँह
02 - हेमसिँह
03 - गोरधनदास जी
04 - जीवणदास जी
05 - सुजाणसिंह
ग्राम लोसणा मेँ जीवणदास जी ने माताजी हिँगलाज का मन्दिर 1769 मेँ बनाया था।
जीवणदास - जीवणदास जी के चार पुत्र हुये थें –
01 - सुवाई सिँह
02 - देवीसिँह
03 - भवानी सिँह
04 - करणी सिँह
भाई बँटवारे मेँ देवीसिँह को तोगावास गाँव मिला तथा देवीसिँह 1805 मेँ तोगावास गाँव मेँ आये थें । देवीसिँह से पहले तोगावास गाँव सारण गोत्र के जाट तोगाराम के पास था व गाँव का नाम करण आज भी उसी के नाम से है । आज भी तोगावास मेँ तोगाराम जाट का बनाया हुआ प्राचीन कुँवा ऐतिहासिक धरोहर के रुप मे विधमान है।
देवीसिँह - देवीसिँह के तीन पुत्र हुये थें –
01 - उम्मेदसिँह
02 - जोर जी (जोराजी) नि:सन्तान रहे
03 - धीरसिंह
धीरसिंह - धीरसिंह के दो पुत्र हुये थें –
01 - रतनसिँह (नि:सन्तान रहे)
02 – अभयसिंह
अभयसिंह - अभयसिंह के तीन पुत्र हुये थे –
01 - चाँदसिंह
02 - मालमसिंह
03 - लूणसिँह
चाँदसिंह की शादी मदावास गाँव के साँखला राजपूत खाँप की लड़की से हुयी व ईन के पूत्र न होकर दो लङकियाँ हुयी थी।
मालमसिंह की शादी ललाणीया गाँव मेँ सोनगरा राजपूत खाँप की लड़की से हुयी थी।
लूणसिँह की शादी लिखवा गाँव मे बैँरुका खाँप के राजपूत की लड़की से हुयी थी।
अभयसिंह - धीरसिंह - देवीसिँह - जीवणदास जी – प्रतापसिँह
मालमसिंह - मालमसिंह का पूत्र हुवा खँगारसिँह। खँगारसिँह के चार पूत्र हुये थे –
01 – श्योनाथसिंह जी
02 – बालसिंह जी (बालजी)
03 – डूँगरसिँह जी
04 - भोपालसिँह जी
बालसिंह जी (बालजी) के एक पुत्री हुयी मँगन बाई (मँगन कँवर)
डूँगरसिँह नि:सन्तान थे।
श्योनाथजी - इनके चार पूत्र हुये थे –
01 – सबलसिंह जी
02 – फूलसिंह जी
03 – लख जी
04 - बच्चनसिँह
सबलसिंह जी - श्योनाथजी के पुत्र हुये सबलसिंह जी। सबलसिंह जी के पुत्र हुये प्रतापसिँह। प्रतापसिँहबालसिंह के गोद (खोळे) गये। प्रतापसिँह के तीन पुत्र व चार पुत्री हुयी –
01 - संतोष कँवर (पुत्री)
02 - गुड्डी कँवर (पुत्री)
03 - तेजा कँवर (पुत्री)
04 – बजरंगसिँह
05 - भगवानसिँह उर्फ भूगानसिँह
06 - बिक्रमसिँह
07 - छगन कँवर (छगनी) (पुत्री)
प्रतापसिँह कि शादी हुयी अजाङी गाँव मेँ हुयी।
संतोष कँवर कि शादी हुयी निराधनू गाँव मेँ हुयी।
गुड्डी कँवर कि शादी हुयी बजावा रावतका गाँव मेँ हुयी।
तेजा कँवर कि शादी हुयी ईन्डाली गाँव मेँ हुयी।
छगन कँवर कि शादी हुयी ईन्डाली गाँव मेँ हुयी।
बजरंगसिँह कि शादी हुयी नगरदास गाँव मेँ हुयी।
भगवानसिँह उर्फ भूगानसिँह कि शादी हुयीबङगुजरा की ढाणी (ठाकरा की ढाणी) ।
बिक्रमसिँह कि शादी हुयी पिलानी खुर्द।
भोपालसिँह - के चार पुत्र एक पुत्री हुयी।
1 - प्रहलादसिँह
2 - हरिसिह
3 - गुमानसिँह
4 - हनुमानसिँह
5 – गुलाब कँवर लुटू (पुत्री)
गुलाब कँवर की शादी लुटू गाँव मेँ हुयी।
प्रहलादसिँह - प्रहलादसिँह की शादी ढाकास गाँव मेँहुयी। प्रहलादसिँह के चार पुत्र चार पुत्री हुयी।
प्रहलादसिँह – भोपालसिँह – खँगारसिँह - मालमसिंह - अभयसिंह - धीरसिंह - देवीसिँह-
जीवणदास जी - प्रतापसिँह (लोसणा) ।
1 – औमसिँह
2 – महेन्द्रसिँह
3 - ईन्द्र कँवर (पुत्री)
4 – अनोपसिँह
5 - कँचन कँवर (पुत्री)
6 - विनोद कँवर (पुत्री)
7 – पप्पूकँवर (पुत्री)
8 - रुघबीरसिँह
9 – आनन्दसिँह
औमसिँह कि शादी हुयी कारँगा गाँव मेँ।
महेन्द्रसिँह कि शादी हुयी चिँचङोली गाँव मेँ।
ईन्द्र कँवर कि शादी हुयी लुटू गाँव मेँ।
अनोपसिँह कि शादी हुयी चुङी अजितगढ गाँव मेँ।
कँचन कँवर कि शादी हुयी TODARWAS गाँव मेँ।
विनोद कँवर कि शादी हुयी TODARWAS गाँव मेँ।
पप्पू कँवर कि शादी हुयी TODARWAS गाँव मेँ।
रुघबीरसिँह कि शादी हुयी कसेरू गाँव मेँ।
आनन्दसिँह कि शादी हुयी चिँचङोली गाँव मेँ।
हरिसिँह - हरिसिँह की शादी नाहङ गाँव (हरियाणा) मेँहुयी। हरिसिँह के 3 पुत्र 3 पुत्री हुयी।
1 - विजयसिँह
2 – सिरुकँवर (पुत्री)
3 - किरण कँवर (पुत्री)
4 – बसुकँवर (पुत्री)
5 - मुकेश कँवर (पुत्री)
6 – दिपुसिँह
विजयसिँह कि शादी ढाकास गाँव मेँ हुयी।
सिरु कँवर कि शादी हुयी लुटू गाँव मेँ।
किरण कँवर कि शादी हुयी लुटू गाँव मेँ।
बसुकँवर कि शादी हुयी चितलाण (हरियाणा) गाँव मेँ।
मुकेश कँवर कि शादी हुयी चितलाण (हरियाणा) गाँव मेँ।
दिपुसिँह कि शादी खोटिया गाँव के शोभसिँह के पुत्र करणीसिँह शेखावत कि पुत्री असमान कँवर के साथ हुयी जो राजपूत मेँ शेखावत खाँप की नख उग्रसेनजी के वंश से है।
लुटू और चितलाण हरियाणा
गुमानसिँह - गुमानसिँह की शादी HALUWAS गाँव मेँ हुयी। गुमानसिँह के 1 पुत्र हुवा –
1 – भँवरसिँह - भँवरसिँह के 2 पुत्र हुये-
01 - विवेकसिँह
02 - विकाससिँह
हनुमानसिँह - हनुमानसिँह की शादी NAHAD गाँव मेँ हुयी। हनुमानसिँह के 4 पुत्र 1 पुत्री हुयी।
1 - रूकमण कँवर (पुत्री)
2 – लक्ष्मणसिँह
3 - सुरेन्द्रसिंह
4 – जयबीरसिँह
5 - राजेन्द्रसिँह
लूणसिँह - लूणसिँह अभयसिंह के पुत्र थे । लूणसिँह के पाँच पुत्र हुये -
01 – रावतसिँह
02 - कानसिँह
03 - भगवतसिँह
04 - रामनाथ जी
05 - बिसालसिँह उर्फ नानसिँह
रावतसिँह की - शादी सुन्दरपुर से जाटू राजपूत खाँप मे हुयी इनका एक पुत्र सुगनसिँह था ।
सुगनसिँह -सुगनसिँह की शादी हुयी गाँव जङवा पत्थरवा की ढाणी मुल्कपुरिया खाँप के राजपूत मेँ ।सुगनसिँह के 3 पुत्र 1 पुत्री हुयी।
1 – मदनसिँह
2 - करणीसिँह
3 - सुरज्ञानसिँह
4 - उम्मेद कँवर (पुत्री)
कानसिँह – कानसिँह की दो शादी हुयी थी।
कानसिँह की पहली शादी हुयी गाँव पत्थरवा मे मुल्कपुरिया खांप के राजपूत मे व दो पूत्र हुये।
01 - प्रेमसिँह व
02 - कालूसिँह ।
कानसिँह की दूसरी शादी हुयी दुशराडा के चौहान खाँप के राजपूत मेँ व इस से भी दो पुत्र हुये।
01 - श्योपालसिँह और
02 - प्रभूसिँह।
प्रेमसिँह - प्रेमसिँह की दो शादी हुयी थी पहली शादी कैरु गाँव हरियाणा मेँ जिसके कोई सन्तान नहीँ हुयी व बीमारी से मृत्यु के कारण आगे चलकर वँश वरदी हेतु दूसरी शादी करनी पड़ी दूसरी शादी सीलोती गाँव मेँ जादौन खाँप के राजपूत मेँ। व ईनका नाम धूपकँवर है जिनसे पाँच पुत्र व एक पुत्री हुयी –
1 - गुलाबसिँह
2 – किशनसिँह (लेखक यानी पेपसिँह के पिताजी)
3 - महावीरसिँह
4 - कमलेश कँवर (पुत्री)
5 - किशोरसिँह
6 – जीवराजसिँह
कमलेश कँवर कि शादी गाँव खाचरीवास के मनोहरसिँह के साथ हुयी जो किशोरसिँह के पुत्र व मानसिँह के पोत्र तथा शेखावत राजपूत मेँ लाडखानी खाँप से है।
कालूसिँह - कालूसिँह कि शादी गाँव नगरदास मेँ बाला पोता शेखावत खाँप के राजपूत मेँ। इनके एक पुत्री व दो पुत्र हुये-
1 - गैनकँवर
2 - अमरसिँह
3 - कल्याणसिंह
गैन कँवर की शादी गाजुसर गाँव तहसील सरदारशहर जिला चुरू राज. मेँ पँवार खाँप के राजपूत मेँ हुयी है।
अमरसिँह कि शादी गाँव कारँगा मेँ लाडखानी खाँप के शेखावत राजपूत मेँ हुयी है।
कल्याणसिंह की शादी गाँव पुनलसर मेँ शेखावत खाँप के राजपूत मेँ हुयी है।
श्योपालसिँह - श्योपालसिँह कि शादी हुयी गाँव इछलवाङा मेँ किलाणोत खाँप के राजपूत मेँ हुयी । इन के एक पुत्र व एक पुत्री हुयी।
01 – विजयसिंह
02 - रुप कँवर (पुत्री)
रूप कँवर की शादी तेजसिँह नरुका गाँव बास बल्लू सिँह अलवर जिले मेँ हुयी।
प्रभूसिँह - प्रभूसिँह कि शादी हुयी मेलूसर गाँव सरदारशहर से (रतनगढ रेलवे लाइन पर) मेँ टकणेत खाँप शेखावत राजपूत मेँ हुयी। इनके तीन पुत्र व दो पुत्री हुयी –
01 – मँगेज कँवर (पुत्री)
02 - मोहनसिँह
03 - समुद्रसिँह
04 - जगमालसिंह
05 – सुप्पयार कँवर (पुत्री)
गुलाबसिँह - इनके सात पुत्र व दो पुत्री हुयी
01 - जय कँवर (पुत्री)
02 - भँवरसिँह उर्फ राजुसिँह
03 - रणवीरसिँह
04 – मिता कँवर (पुत्री)
05 - मालमसिंह
06 - दिपुसिँह
07 - साँवतसिँह
08 - अर्जुनसिंह
09 - नरुसिँह उर्फ नरेन्द्रसिँह
जय कँवर की शादी गाँव परथ्वीपुरा सीकरके श्यामसिँह शेखावत के साथ हुयी है।
भँवरसिँह उर्फ राजुसिँह की शादी गाँव मौरवा के शेखावत कि पुत्री के साथ हुयी है।
रणवीरसिँह की शादी गाँव मौरवा के शेखावत कि पुत्री के साथ हुयी है।
मिता कँवर की शादी गाँव कारँगा सीकर के मूलसिँह शेखावत राजपूत (लाडखानी खाँप ) के साथ हुयी है।
मालमसिंह की शादी गाँव अगवाना खुर्द जिला झूझूनू के करणीसिँह शेखावत की पुत्री सुनील कँवर के साथ हुयी है।
दिपुसिँह की शादी गाँव मौरवा के शेखावत कि पुत्री भतेरी कँवर के साथ हुयी है।
साँवतसिँह की शादी गाँव अगवाना खुर्द जिला झूझूनू के करणीसिँह शेखावत की पुत्री छीना कँवर के साथ हुयी है।
अर्जुनसिंह की शादी गाँव पिलोद जिला झूझूनू के शेखावत की पुत्री के साथ हुयी है।
नरुसिँह उर्फ नरेन्द्रसिँह की शादी गाँव पिलोद जिला झूझूनू के शेखावत की पुत्री के साथ हुयी है।
किशनसिँह - किशनसिँह की शादी हुयी गाँव अगवाना खुर्द के सबलसिँह की पुत्री प्रेम कँवर के साथ शेखावत राजपूत मेँ खाँप गोपालजी का । प्रेम कँवर की माताजी का नाम शान्ति कँवर था। किशनसिँह के तीन पुत्र हुये -
1 - पेपसिँह उर्फ पप्पुसिँह (लेखक)
2 - सिलूसिँह
3 - राजबीरसिँह
महावीरसिँह - महावीरसिँह कि शादी हुयी गाँव पिलानी (पिलानी छोटी बिसाऊ के पास) बिमला कँवर से जो शेखावत राजपूत मेँ टकणेत खाँप से है। महावीरसिँह के पाँच पुत्र व एक पुत्री हुयी -1 - रणजीतसिँह
2 - विक्रमसिँह
3 - उछब कँवर
4 - रेँवतसिँह
5 - भैरुसिँह
6 - गणेशसिँह
उछब कँवर की शादी ईन्डाली गाँव के राजेन्द्रसिँह शेखावत के साथ हुयी। राजेन्द्रसिँह के पिताजी का नाम महावीरसिँह है ।
किशोरसिँह - किशोरसिँह कि शादी हुयी गाँव नाहङ (हरियाणा) मेँ करणीसिँह कि पुत्री मुकेश कँवर के साथ जो शेखावत राजपूत मेँ रतनावत खाँप से है। किशोरसिँह के दो पुत्र हुये –
1 - फतेहसिँह उर्फ मोनू
2 - विक्रमसिँह उर्फ भोलू
जीवराजसिँह - जीवराजसिँह कि शादी हुयी गाँव पिलानी (पिलानी छोटी बिसाऊ के पास) । महावीरसिँह व जीवराज सिँह दोनों सगे भाई तो उधर इनकी पत्नी भी सगी बहनेँ हैँ।
जीवराजसिँह के दो पुत्र हुये –
1 - नरेन्द्रसिँह उर्फ टीनू
2 - बिजेन्द्रसिँह
पेपसिँह उर्फ पप्पुसिँह - पेपसिँह की शादी हुयी खोटिया गाँव के हनुमानसिँह कि पुत्री व बिरजुसिँह कि पौत्री मनोहर कँवर के साथ जो राजपूत मे शेखावत कि उग्रसेन खाँप से है । पेपसिँह उर्फ पप्पुसिँह के दो पुत्र व दो पुत्री हुयी है।
1 - पूनम कँवर (पुत्री)
2 - अनीता कँवर उर्फ नीतू (पुत्री)
3 - घनश्यामसिँह
4 - देवेन्द्रसिँह
पूनम कँवर कि शादी बुडानिया गाँव के देवीसिँह शेखावत के साथ हुयी है। देवीसिँह उम्मेदसिँह के पुत्र व भँवरसिँह के पोत्र है।
अनीता उर्फ नीतू कँवर कि शादी मोहनबाङी गाँव के भगवानसिँह के साथ हुयी है जो शेखावत राजपूत मेँ भोजराज जी खाँप के हैँ व इनकी नख शैलेसिँहजी है। भगवानसिंह के पिताजी का नाम कानसिँह व दादाजी का नाम हनुमानसिँह है।
सिलूसिँह - सिलूसिँह कि शादी खुडानिया गाँव के मोतीसिँह (कुँवा वाले) कि पुत्री व छोटूसिँह की पौत्री सरोज कँवर के साथ हुयी जो शेखावत राजपूत मेँ भोजराज जी खाँप से है। सिलूसिँह के दो पुत्र व एक पुत्री हुयी है।
1 - गोपालसिँह
2 - रेखा कँवर (पुत्री)
3 - गणेशसिँह
राजबीरसिँह - राजबीरसिँह कि शादी हुयी चिँचङोली के सुरेन्द्रसिंह शेखावत कि पुत्री व गुलाबसिँह की पौत्री राजेश कँवर के साथ जो राजपूत मेँ शेखावत मेँ भोजराज जी खाँप से है। राजबीरसिँह के एक पुत्र व दो पुत्री हुयी है।
1 – पूजा कँवर (पुत्री)
2 - राकेश कँवर (पुत्री)
3 - भूपेन्द्रसिँह
अमरसिँह - इनके तीन पुत्र व तीन पुत्री हुयी –
अमरसिँह – कालूसिँह – कानसिँह - लूणसिँह – अभयसिंह - धीरसिंह - देवीसिँह - जीवणदास जी – प्रतापसिँह
1 - शिसपालसिँह
2 - भँवरी कँवर
3 - भूगानसिँह
4 - संताकँवर
5 - रुकमणकँवर
6 - भैरुसिँह उर्फ पपिलसिँह
कल्याणसिंह - इनके दो पुत्र व दो पुत्री हुयी –
कल्याणसिंह – कालूसिँह – कानसिँह - लूणसिँह – अभयसिंह - धीरसिंह - देवीसिँह - जीवणदास जी – प्रतापसिँह
1 - सुरेन्द्रसिंह
2 - मनोज कँवर
3 – पुष्पा कँवर
4 - दलिपसिँह
भगवतसिँह - नि:सन्तान रहे ।
रामनाथ जी - रामनाथ जी की शादी हुयी गाँव दूसराङा मे चौहान खाँप राजपूत मेँ ईनका पुत्र हुवा भादरसिँह उर्फ बहादूरसिँह । बहादूरसिँह की शादी गाँव बिलोद मेँ राजावत खाँप के राजपूत मेँ । बहादूरसिँह के दो पुत्र व एक पुत्री हुयी –
1 - नारायणसिँह उर्फ नीराणसिँह
2 - शिम्भूसिँह
3 – सज्जन कँवर (पुत्री)
नारायणसिँह - नारायणसिँह उर्फ नीराणसिँह की शादी निरात गाँव मे हुयी । नारायणसिँह के एक पुत्री बिनोद कँवर हुयी जो डाबङी गाँव मेँ जयपालसिँह शेखावत से शादी हुयी।
शिम्भूसिँह - शिम्भूसिँह की शादी हुयी कुवाङा गाँव हरियाणा जिला भीवानी मेँ। शिम्भूसिँह की पत्नी का नाम भँवरी कँवर । ईन के दो पुत्र व दो पुत्री हुयी जो ईस प्रकार है-
1 – अँजू कँवर (पुत्री)
2 - गिरधारिसिँह
3 – निशा कँवर (पुत्री)
4 - जीतूसिँह
अँजू कँवर की शादी गाँव माताढाणा हलुवास के पास मेँ इन्द्रपालसिँह तंवर के साथ हुयी ईन के पिताजी का नाम रामसिँह तंवर है जिनका निकास लाडणपुरा गाँव सोङी सतनाली के पास से है ।
निशा कँवर की शादी गाँव गावङी नाहङ के पास मेँ सुरेशसिँह तँवर के साथ हुयी । सुरेशसिँह के पिताजी का नाम महावीरसिँह तँवर (बिहाघ्र गोत्र) है।
बिसालसिँह उर्फ नानसिँह - बिसालसिँह उर्फ नानसिँह पाँचोँ भाईयोँ मे सबसे छोटे होने के कारण नानीया या नानू बोलता नाम था जो बाद मे नानजी नाम प्रचलित हो गया। इनकी शादी हुयी गाँव श्यामपुरा मेँ दारदासोत खाँप के राजपूत मेँ हुयी । इनके तीन पुत्र व एक पुत्री हुयी –
1 - रामकुवारसिँह
2 - नारायणसिँह (नि:सन्तान)
3 - भीसनसिँह
4 - गोपाल कँवर (पुत्री)
गोपाल कँवर लुटू गाँव मेँ ब्याही।
रामकुवारसिँह कि शादी हुयी नगरदास गाँव मेँ बाला पोता शेखावत खाँप के राजपूत मेँहुयी।
भीसनसिँह कि शादी हुयी नगरदास गाँव मेँ बाला पोता शेखावत खाँप के राजपूत मेँ हुयी।
रामकुवारसिँह - रामकुवारसिँह के पाँच पुत्र हुये -
1 - भँवरसिँह
2 – सवाईसिँह
3 - मेघसिँह
4 – सुमेरसिँह
5 - देबिसिँह
भीसनसिँह - भीसनसिँह के चार पुत्र व चार पुत्री हुयी –
1 - महेन्द्रसिँह
2 - रिङमलसिँह
3 – भँवरी कँवर (पुत्री)
4 – सुबध कँवर (पुत्री) (बीमारी से अविवाहित रहते म्रत्यू)
5 – शायर कँवर (पुत्री)
6 – पपु कँवर (पुत्री)
7 - बजरंगसिँह
8 - बलबीरसिँह
01 - चेतनसिँह
02 - मुकेश कँवर (पुत्री)
03 - मंजू कँवर (पुत्री)
04 - संजू कँवर (पुत्री)
चेतनसिँह के पुत्र दो हुये -
01 - सुरेन्द्रसिंह
02 - संदीपसिँह
भँवरसिंह अजाङी
01 - हवा कँवर (पुत्री)
02 - रामसिँह
03 - नीँमा कँवर (पुत्री)
04 - बीमला कँवर (पुत्री)
05 - गुड्डि कँवर (पुत्री)
घांघू के बणीरोतों का वंशावली क्रम इस प्रकार से है -–
राव कांधल जी
बाघ जी
बणीर जी
अचलदास जी
देईदास जी
भगवानदास जी
सुन्दरदास जी
अमरसिंह जी
केसरीसिंह जी
रूपसिंह जी
भगवानसिंह जी
रिद्धसिंह जी
बींजराजसिंह जी
जोधसिंह जी (कर्नल ठाकुर जोध सिंह जी के पांच पुत्र और छह पुत्रियां हुए)
1. बनेसिंह जी
2. जगमालसिंह जी
3. भैरोंसिंह जी
4. हीरसिंह जी
5. सुरेन्द्रसिंह जी
कर्नल ठाकुर जोध सिंह जी की छह पुत्रियां –
1. मोन कँवर
2. पन्ना कँवर
3. प्रेम कंवर
4. नवल कंवर
5. देव कँवर
6. नेम कँवर
जगमाल सिंह जी (कर्नल ठाकुर जोध सिंह जी के पुत्र)
जगमाल सिंह जी के दो पुत्र और एक पुत्री –
1.जीवराज सिंह,
2. करणी सिंह,
3. निर्मल कँवर
प्रसेनजीत सिंह (जीवराज सिंह के पुत्र)
दिव्येंद्र सिंह (करणी सिंह के पुत्र)
महीरुद्र सिंह (करणी सिंह के पुत्र)
अमित सिंह (निर्मल कँवर के पुत्र)
सीमा कँवर (निर्मल कँवर की पुत्री)
One of the precious information
जवाब देंहटाएंNice
जवाब देंहटाएंआपने किया तो कोपी है लेकिन... समाज के लिए अच्छी जानकारी है
जवाब देंहटाएंदेराज सर के रामचंद्र जी की संतान का विवरण भी देवे सा !
जवाब देंहटाएंRight
हटाएंहुकम मेहरासर चाचेरा में सुरू में कौन आये थे मतलब कोनसे बणीरोत सरदार आये थे
जवाब देंहटाएंबने सिंह जी के तीन पुत्र थे। लक्ष्मण सिंह, पूर्ण सिंह और श्रवण सिंह राठौड़।
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