आस्थान के पुत्र धूहड़ के वंशज धुहड़ीया राठौङ कहलाये।
धूहङिया राठौङ - राव धूहङजी(दूहङजी) के बेटोँ
(01) जीवराजसिँह
(02) भीमराजसिँह
(03) साँवतसिँह
(04) शूरसिँह के बेटो कि (सन्नताने) वंशज हैँ।
धूहङिया राठौङ का पीढी क्रम इसप्रकार है-
(जीवराजसिँह, भीमराजसिँह, साँवतसिँह, शूरसिँह के वंशज)- राव धूहङजी (दूहङजी) - राव आस्थानजी -राव सिहाजी - राव सेतराम जी। ।
ख्यात अनुसार पीढी क्रम ईस प्रकार है -
1. महाराजराजा यशोविग्रह जी (कन्नौज राज्य के राजा)
2. महाराजराजा महीचंद्र जी
3. महाराज राजा चन्द्रदेव जी
4. महाराजराजा मदनपाल जी (1154)
5. महाराज राजा गोविन्द्र जी
6. महाराज राजा विजयचन्द्र जी जी (1162)
7. महाराज राजा जयचन्द जी (कन्नौज उत्तर प्रदेश1193)
8. राव राजा सेतराम जी
9. राव राजा सीहा जी (बिट्टू गांव पाली, राजस्थान1273)
10. राव राजा अस्थान जी (1292)
11. राव राजा दूहड़ जी (1292-1309 ई.) आस्थान के पुत्र राव धुहड़ ने बाड़मेर के पचपदरा
परगने के गाँव नागाणा में अपने वंश की कुलदेवी कुलदेवी 'नागणेची '
('नागणेची का पूर्व नाम 'चकेश्वरी ' रहा है) को प्रतिष्ठापित किया।
धुहड़ जी प्रतिहारो से युद्ध करते हुवे वि.सं. 1366 को वीर गति को
प्राप्त हुवे।
12. जीवराजसिँह,
भीमराजसिँह,
साँवतसिँह,
शूरसिँह के बेटो कि (सन्नताने) वंशज हैँ।
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