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रणधीरोत राठौड़


रणधीरोत राठौड़:- राव चुंडा जी के पुत्र राव रणधीर जी के वंशज रणधीरोत राठौड़ कहलाये है।

है फेफाना इनकी जागीर थी ।

[फेफाना जागीर एक परिचय - फेफाना गांव हनुमानगढ़ जिले का एक बड़ा नोहर- सिरसा सड़क मार्ग पर स्थित है। उपखण्ड मुख्यालय से २१ किलोमीटर दूर उत्तर-पूर्व में हरियाणा राज्य की सीमा पर बसा हुआ है। कांधल वंश की रानी 'फेफा` के नाम पर करीब साढ़े छह सौ वर्ष पूर्व चौहदवी शताब्दी में बसाया गया गांव फेफाना अनेक बार उजड़ा और बसा। सन् 1819 में महाराजा सूरतसिंह के शासन काल में इसी उजड़े गांव को पुन: बसाया गया था। सन् 1354 में फिरोजशाह ने एक किले के रुप में हिसार नगर की स्थापना की थी। पहले हिसार फिरोजा कहा जाता था। उसके आस-पास छोटे-छोटे राज्य थे, सब हिसार सूबे के अधीन थे। कर-बिगोड़ी देते थे।

पन्द्रहवी शताब्दी में इस क्षेत्र में राठौड़ वंश का आगमन हुआ। कांधल राजपुत काफी शूर वीर थे। जिसने अपने प्रभाव से इस क्षेत्र में अपना राज कायम किया। यहां की जनता ने उसे ही अपना राजा मान लिया था। हिसार नवाब को जो कर बिगोड़ी, बंद कर दी गयी। कांधल, बीका और जोधा महान, शुरवीर थे। कांधल जोधा का भाई तथा बीका भतीजा था। ये भादरा रहते थे। कांधल ने साहवा को अपना ठिकाना बना लिया। जोधपुर से शासन संचालित होता था। हिसार तक उनका राज्य था। कांधल; कांधलद्ध की रानी 'फेफा` के नाम पर गांव फेफाना बसाया गया। तत्पश्चात किसी समय आबाद गांव फेफाना के निवासी अन्यत्रा जा बसे गांव उजड़ गया। मुस्लिम शासक का प्रभुत्व क्षेत्र में कायम हो गया। सन् 1819 में महाराज सूरतसिंह के शासन काल में उजड़े फेफाना को फिर बसाया गया। पण्डित रतनाराम इंदौरिया थानापति बने और केवलाराम बिजारणिया को महाराजा द्वारा पगड़ी बांध्कर लम्बरदार बनाया गया था।]  

राव चुंडा जी- राव विरम देव के छोटे पुत्र राव चुंडा थे ।राव वीरम देव की मृत्यु होने के बाद माता मांगलियानी इन्हें लेकर अपने धर्म भाई आल्हो जी बारठ के पास कालाऊ गाँव में लेकर आगई वहीं इनका पालन पोसण हुआ तथा आल्हा जी ने इन्हें युद्ध कला में निपुण किया ओर बड़े होने पर मल्लीनाथ जी के पास आगये तब इन्हें सलेडी गाँव की जागीर मिली ।चुंडा जी ने अपनी शक्ति बढाई तथा नागोर के पास चुंडासर गाँव बसाया इस अपने शक्ति केंद्र बना कर पहले मण्डोर विजय किया तथा उसे अपनी राजधानी बनाया। इसके बाद नागोर के नवाब जलालखां खोखर पर हमला कर उसे मार कर नागोर पर अधिकार करलिया फिर फलोदी पर अधिकार करलिया ।तथा सुख पूर्वक शासन करने लगे। फिर भाटी केलन ने मुल्तान के नवाब फिरोज से सहायता लेकर फोज लेकर आगया लेकिन राव चुंडा को परास्त करना उनके बस में नहीं था अतः धोखे से राव चुंडा को संधि के लियेबुलाया तथा हमला करदिया राव चुंडा तथा उनके साथी नागोर की रक्षा करते हुए गोगालाव नामक स्थान पर विक्रम सम्वत 1475बैसाख बदी1 (15मार्च1423)को वीरगति को प्राप्त हुए। उनके साथ राणी समंदर कंवर सांखली सती हुई। इनके चोदहपुत्र तथा एक पुत्री हंसकंवर थी ।

राव चुंडा जी-के चोदहपुत्र

·         1 राव सत्ता - के वंशज सतावत राठौड़ कहलाये है।  

·         2 राव रिडमल जी

·         3 राव अरिड मलजी (राव अरड़कमल जी) -के वंशज अरड़कमल राठौड़ कहलाये है।

·         4 राव रणधीर - के वंशज रणधीरोत राठौड़ कहलाये है।

·         5 राव सहस मलजी -  इनके वंशज सहसमलोत राठौड़ कहलाये है।

·         6 राव अर्जुन - अर्जुन के वंशज अर्जुनोत राठौड़ कहलाये है।

·         7 राव भीम - के वंशज भींवोत (भिमावत) राठौड़ कहलाये है।

·         8 राव राजसी

·         9 राव रामो जी

·         10 राव पूनो जी(पूनपाल) - पूनपाल के वंशज पुनावत राठौड़ कहलाये है।

·         11 राव कान्हो(कान्हा) जी - कान्हा के वंशजकानावत राठौड़ कहलाये है।

·         12 राव लूंबा जी - राव लूंबा जी के वंशजलुमबावत राठौड़ कहलाये है।

·         13 राव जेसी

·         14 राव सुरतान

 रणधीरोत राठौड़ो का पीढी क्रम इस प्रकार है – 

राव अरिडमलजी उर्फ राव अरड़कमल जी - राव चुंडा जी - राव बीरम जी (राव विरम देव जी) – राव राजा सलखा जी - राव तिडा जी (राव टीडा जी) - राव चड़ा जी (राव छाडा जी) - राव जलमसी जी (राव जालण जी) - राव राजा कान्हापाल जी - राव राजा रायपाल जी - राव राजा दूहड़ जी - राव राजा अस्थान जी - राव सीहा जी

ख्यात अनुसार पीढी क्रम ईस प्रकार है -

1. महाराजराजा यशोविग्रह जी (कन्नौज राज्य के राजा)

2. महाराजराजा महीचंद्र जी

3. महाराज राजा चन्द्रदेव जी

4. महाराजराजा मदनपाल जी (1154)

5. महाराज राजा गोविन्द्र जी

6. महाराज राजा विजयचन्द्र जी जी (1162)

7. महाराज राजा जयचन्द जी (कन्नौज उत्तर प्रदेश1193)

8. राव राजा सेतराम जी

9. राव राजा सीहा जी (बिट्टू गांव पाली, राजस्थान1273)

10. राव राजा अस्थान जी (1292)

11. राव राजा दूहड़ जी (1309)

12. राव राजा रायपाल जी (1313)

13. राव राजा कान्हापाल जी (1323)

14. राव राजा जलमसी जी (राव जालण जी) (1328)

15. राव राजा चड़ा जी (राव छाडा जी) (1344)

16. राव राजा तिडा जी (राव टीडा जी) (1357)

17. राव राजा सलखा जी (1374)

18. राव बीरम जी (राव विरम देव जी)

19. राव चुंडा जी

20. राव अरिडमलजी (राव चुंडा जी के पुत्र)

टिप्पणियाँ

  1. हुक्म आपको रणधीरोत राठौड़ो के बारे में जानकारी कौनसी पुस्तक से प्राप्त हुई

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