रामा पुत्र वीरम के वंशज के बागङ या बागङीया राठौङ कहलाये।
नोगासा बांसवाड़ा के ऐक स्तम्भ लेख बैसाख वदी 1361 में मालूम होता हैँ की रामा पुत्र वीरम सवर्ग सिधारा।
ओझाजी ने इसी वीरम के वंशजों को बागड़ीया राठौङ माना है। क्यूँ कि डूंगरपुर-बांसवाड़ा का क्षेत्र बागड़ (वार्गट, वागड़) कहलाता था।
स्पस्टीकरण 1.ओझाजी ने वीरम के पुत्र रामा के वंशजो को बागङिया राठौङ माना है मगर
वीरम जी के रामा नाम की कोई सन्तान नहीँ थी मगर वीरम जी के पुत्र राव
चुडा जी के नौँवे पुत्र का नाम रामा जी था। यानी विरम जी के पौते का नाम
रामा था। मगर जोधपुर इतिहास मेँ इस खाँप का वर्णन नहीँ मिलता है।
2. मेवाड़ से सटा हुआ मारवाड़ की सीमा पर छप्पन गाँवो का क्षेत्र छप्पन का क्षेत्र
है। यहाँ के राठौड़ छप्पनिया राठोड़ कहलाये।जो यह छप्पनिया राठोड़ खांप
बागड़ीया राठोड़ों से निकली है। उदयपुर रियासत में कणतोड़ गाँव की जागीरी
थी। मेवाड़ से सटा हुआ मारवाड़ की सीमा पर छप्पन गाँवो का क्षेत्र छप्पन
का क्षेत्र है। यहाँ के राठौड़ छप्पनिया राठौङकहलाये। छप्पन का मैदान -
बाँसवाडा व प्रतापगढ़ के बीच स्थित माही बेसिन के छप्पन ग्राम समुहोँ का
क्षेत्र है।
3.आज जातिगत इतिहास मेँ रुचिरखने वालोँ व बङे बुर्जुगो के मुख से यह
भी सुना गया है कि बागङीया छप्पनिया भाई भाई, तो इस बात की तरफ
साफ संकेत है कि दोनोँ मे कुछ तो सम्बनधता है। सो मेरा मानना है अगर
ऐसा है तो इस खाँप को वीरम के वंशजों राजाव चूण्डा जी से जोङकर
हमेँ आगे बढना चाहिये क्योकि सिलालेख भी इसबात की पूर्ण प्रमाणिकता
तो नहीँ करते मगर इस वंश की प्रमाणीकता जरूर करता है कि यह वंश
यहाँ पर राज करता था और इतिहास भी इस वंश के यहाँ शासन का साक्षी
आज भी है।
बागड़ीया राठौङ का पीढी क्रम ईस प्रकार है-
राव रामा जी –- राव चुडा जी- राव वीरम- राव सलखा जी- राव तिडा जी- राव चड़ा जी- राव जलमसी जी- राव कान्हापाल जी- राव रायपाल जी - राव दूहड़ जी- राव अस्थान जी- राव सीहा जी।
ख्यात अनुसार पीढी क्रम ईस प्रकार है -
1. महाराजराजा यशोविग्रह जी (कन्नौज राज्य के राजा)
2. महाराजराजा महीचंद्र जी
3. महाराज राजा चन्द्रदेव जी
4. महाराजराजा मदनपाल जी (1154)
5. महाराज राजा गोविन्द्र जी
6. महाराज राजा विजयचन्द्र जी जी (1162)
7. महाराज राजा जयचन्द जी (कन्नौज उत्तर प्रदेश1193)
8. राव राजा सेतराम जी
9. राव राजा सीहा जी (बिट्टू गांव पाली, राजस्थान1273)
10. राव राजा अस्थान जी (1292)
11. राव राजा दूहड़ जी (1309)
12. राव राजा रायपाल जी (1313)
13. राव राजा कान्हापाल जी (1323)
14. राव राजा जलमसी जी (1328)
15. राव राजा चड़ा जी (1344)
16. राव राजा तिडा जी (1357)
17. राव राजा सलखा जी (1374)
18.राव राजा विरमदेव जी (1383)
19.राव राजा चूण्डा जी (1422)
20. राव रामा जी
नोगासा बांसवाड़ा के ऐक स्तम्भ लेख बैसाख वदी1361 में मालूम होता हे की रामा पुत्र वीरम सवर्ग सिधारा। ओझाजी ने इसी वीरम के वंशजों को बागड़ीया राठोड़ माना है। क्यूँ की डूंगरपुर-बांसवाड़ा का क्षेत्र बागड़ (वार्गट, वागड़) कहलाता था।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें