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राजपुताना इतिहास - राठौड़ो की सम्पूर्ण खापे - 31 – मोहनोत (मुह्नोत)
राजपुताना इतिहास - राठौड़ो की सम्पूर्ण खापे - 31 – मोहनोत (मुह्नोत)
रायपाल के पुत्र मोहन के वंशज मुह्नोत वेश्य कहलाये
मोहनोत (मुह्नोत):- राव रायपाल जी के पुत्र राव मोहन जी ने एक महाजन जाती कि लङकी से शादी कि तत्तसन्तान वेश्य (महाजन, मोहनोत (मुह्नोत)) नाम से बसते है। राव मोहन जी के वंशज मुह्नोत वेश्य (महाजन) कहलाये।
राजस्थान के इतिहासकार मुंहता (मुह्नोत) नेणसी राजा जसवंत सिँह का मंत्री था इसी ख्यात से था। मूहणोत नेणसी को राजपुताने का अबुल फजल कहा जाता है।
यहाँ स्पष्ट कर देता हूँ कि राव रायपाल जी के पुत्र राव मोहन जी से वेश्य (महाजन) जाती नही बनी वेश्य (महाजन) जाती तो अन्य जातीयोँ की तरह पिढी दर पिढी चली आ रही है। कहीँ वेश्य (महाजन) तो कही ओसवाल बणिया पुकारा जाता था क्योकि ये लोग व्यापार का काम करते थे। मगर राव रायपाल जी के पुत्र राव मोहन जी ने किसी कारण वंश एक ओसवाल बणिया जाती कि लङकी से शादी कि थी । जिससे आगे का वंश राजपूत न रहकर वेश्य (महाजन ओसवाल)बणिया वंश बन गया। व राव मोहन जी के वंशज राजपूतो से अलग हो गये मगर ईनके रिश्ते नाते जाने अनजाने मे जिन राजपूत या राजपूतोँ से निकली जातीयोँ मेँ हुये वही नख बन गयी। जिस किसी के वंशज कि लङकी से शादी की तो उसकी सन्नताने माँ कि नख का प्रयोग हुआ और बाद मे वही से उन की नख या खांप शुरू हो गयी। राव मोहन जी ने ओसवाल बणिया जाती कि लङकी से शादी कि थी जिसका पुत्र हुवा समपत सेन और समपत सेन के वंशज मुणोत ओसवाल है।
मोहनोत (मुह्नोत) का पीढी क्रम ईस प्रकार है-
समपत सेन - राव मोहन जी -राव रायपाल जी – राव धुहड़ जी -राव आस्थान जी- राव सीहा जी।
ख्यात अनुसार पीढी क्रम ईस प्रकार है -
01. महाराजराजा यशोविग्रह जी (कन्नौज राज्य के राजा)
02. महाराजराजा महीचंद्र जी
03. महाराज राजा चन्द्रदेव जी
04. महाराजराजा मदनपाल जी (1154)
05. महाराज राजा गोविन्द्र जी
06. महाराज राजा विजयचन्द्र जी जी (1162)
07. महाराज राजा जयचन्द जी (कन्नौज उत्तर प्रदेश1193)
08. राव राजा सेतराम जी
09. राव राजा सीहा जी (बिट्टू गांव पाली, राजस्थान1273)
10. राव राजा अस्थान जी (1292)
11. राव राजा दूहड़ जी (1309)
12. राव राजा रायपाल जी (1313)
13. राव राजा मोहन जी
14. समपत सेन (राव मोहन जी ने ओसवाल बणिया जाती कि लङकी से शादी कि थी जिसका पुत्र हुवा)जिससे आगे का वंश राजपूत न रहकर वेश्य (महाजन ओसवाल) बणिया वंश बन गया।
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